भारत-विरोधी ताकतों को किस तरह से पश्चिमी देश हवा देते हैं, वो धीरे-धीरे सामने आने लगा है. पहले भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकियों के पनाहगार कनाडा के चेहरे से नकाब उठा तो अब ब्रिटेन की बारी है. भारतीय मूल के दो ब्रिटिश नागरिकों को दिए गए सम्मान को इंग्लैंड के किंग ने छीन लिया है. वो भी शिकायत के बाद.
जिन लोगों ने भारतीय मूल के नागरिकों की शिकायत की थी उनमे भारत का प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) भी शामिल है. सम्मान वापस लेने के पीछे की वजह है कि एक ने बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के अत्याचार पर आवाज उठाई थी, तो दूसरे ने पीएम मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की आलोचना की थी.
ब्रिटेन में नहीं है अभिव्यक्ति की आजादी
ब्रिटेन में जिनसे सम्मान वापस लिया गया है वो करोड़पति कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके के मैनेजिंग ट्रस्टी अनिल भनोट हैं. रेंजर को कमांडर ऑफ द ऑर्डर दि ब्रिटिश एम्पायर और भनोट को ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर की उपाधि दी गई थी. ये वो सम्मान थे जो उनकी उपलब्धियों के लिए दिया गया था.
सम्मान वापस लेने के पीछे की वजह है कि एक ने बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के अत्याचार पर आवाज उठाई थी, तो दूसरे ने बीबीसी की पीएम मोदी पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री की आलोचना की थी. अब रामी रेंजर ने सम्मान वापस लिए जाने के खिलाफ लीगल एक्शन लेने का ऐलान किया है.
अनिल भनोट और रामी रेंजर पर क्या आरोप हैं?
अनिल भनोट ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर बात करते हुए बताया है कि साल 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किए थे. उनके इन्हीं पोस्ट को लेकर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाया गया है.
वहीं रामी रेंजर के खिलाफ शिकायत है कि जब बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ रिलीज हुई थी तो उन्होंने डॉक्यूमेंट्री की आलोचना करते हुए पीएम मोदी का बचाव किया था. इसके अलावा भारत में प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस को लेकर भी टिप्पणी करने का आरोप है.
आरोपों पर क्या बोले अनिल भनोट और रामी रेंजर?
अनिल भनोट ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है. भनोट ने कहा, ब्रिटेन में अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया गया है, जब बांग्लादेश में हिंदू मंदिर तोड़े गए, हिंदुओं पर हमला हुआ तब तो बीबीसी ने कवर नहीं किया. किसी के खिलाफ आवाज उठाना गलत नहीं है.
वहीं रामी रेंजर को साल 2016 में सम्मानित किया गया था. अब सम्मान वापस लिए जाने पर रामी रेंजर का कहना है कि मुझे सम्मान की चिंता नहीं है. पर ये सब गलत है. बोलने की आजादी पर प्रहार है. रेंजर ने कहा है कि वो कानूनी मदद लेंगे और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय का रुख करेंगे.
बताया जा रहा है कि सम्मान देने वाली समिति से रामी रेंजर और अनिल भनोट की शिकायत की गई थी. रामी रेंजर के मुताबिक उनके खिलाफ दायर कई शिकायतों में एक शिकायत ‘सिख फॉर जस्टिस’ की भी शामिल है.