भारत और रूस के सैन्य संबंधों में एक नया आयाम जुड़ गया है. यूक्रेन जंग में उलझे होने के बावजूद, रूस ने भारत को स्टील्थ गाईडेड मिसाइल फ्रिगेट (युद्धपोत) आईएनएस तुशिल बनाकर सौंप दिया है. सोमवार को रूस के कलिनिनग्राड में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में तुशिल को भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल कर लिया गया.
कलिनिनग्राड के यंतर शिपयार्ड में मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल (एफ 70) का निर्माण हुआ है. वर्ष 2016 में भारत और रूस ने तुशिल और एक अन्य फ्रिगेट तामल के निर्माण के लिए करार किया था. करार के तहत दो अन्य तलवार क्लास फ्रिगेट का निर्माण रूस की मदद से मेक इन इंडिया के तहत गोवा शिपयार्ड में होना है.
तुशिल की कमीशनिंग सेरेमनी में रक्षा मंत्री के अलावा नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन सहित कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज़वन्नीख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर एलेक्सेयेविच मोइसेयेव, रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूसी नौसेना के बाल्टिक बेड़े के कमांडर वाइस एडमिरल व्लादिमीर वोरोब्योव मौजूद रहे.
सेरेमनी को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने इस कमीशनिंग को भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का गौरवपूर्ण प्रमाण और भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जो साझा मूल्यों, आपसी विश्वास और, विशेष एवं रणनीतिक विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी से बंधे हैं. (https://x.com/rajnathsingh/status/1866084233393193214)
रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण पर रूस के समर्थन को भारत और रूस के बीच गहरी दोस्ती का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, “आईएनएस तुशिल सहित कई जहाजों में मेड इन इंडिया सामग्री लगातार बढ़ रही है. यह जहाज रूसी और भारतीय उद्योगों की सहयोगी क्षमता का बड़ा सबूत है. यह संयुक्त कौशल के माध्यम से तकनीकी उत्कृष्टता की ओर भारत की यात्रा का उदाहरण है.”
भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच गहरे संबंधों पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में दोनों देशों के बीच समग्र रूप से बढ़ते संबंधों के तहत तकनीकी और परिचालन सहयोग लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है.
राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. राजनाथ सिंह के मुताबिक, “हमारी नौसेना ने विभिन्न हॉटस्पॉट में समुद्री डकैती, हथियार और ड्रग तस्करों और गैर-सरकारी तत्वों के मंसूबों को नाकाम कर दिया है. ओमान की खाड़ी से लेकर अदन की खाड़ी तक, स्वेज से लेकर मलक्का तक और ऑस्ट्रेलिया से लेकर मेडागास्कर तक, भारतीय नौसेना आईओआर में शुद्ध सुरक्षा प्रदाता की आवश्यक भूमिका निभा रही है.
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि भारत, अपने मित्र देशों के साथ, यह सुनिश्चित करने में विश्वास करता है कि क्षेत्र में समुद्री व्यापार सुरक्षित और संरक्षित रहे, जिससे समुद्र के पार निर्बाध (बिना किसी रूकावट के) व्यापार को बढ़ावा मिले.”
राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि नई ऊर्जा और उत्साह के साथ भारत और रूस आने वाले समय में अपने सहयोग की पूरी क्षमता का एहसास करेंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देश न केवल सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को मजबूत करेंगे, बल्कि नए और अनछुए क्षेत्रों में काम करने को भी प्राथमिकता देंगे.
रक्षा मंत्री ने कहा कि “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण और आतंकवाद निरोध जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर भारत और रूस सहयोग के एक नए युग में प्रवेश करेंगे.”