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नए सुखोई से होगा ‘वज्र’पात, लाइट-टैंक भी है तैयार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस लौटने के महज दो दिन के भीतर ही रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से वायुसेना के लिए 12 सुखोई फाइटर जेट (सु-30 एमकेआई) खरीदने का करार किया है. रूस की मदद से बनने वाले इन फाइटर जेट के करार की कुल कीमत 13,500 करोड़ है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गुरुवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अधिकारियों के साथ इस करार पर हस्ताक्षर किए गए.

पिछले 25 सालों से रूस की मदद से एचएएल ने भारतीय वायुसेना के लिए लाइसेंस के तहत देश में ही सुखोई फाइटर जेट का निर्माण किया है. वायुसेना के पास 272 सुखोई विमान हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में 12 सुखोई फाइटर जेट अलग-अलग कारणों से क्रैश भी हुए हैं.

क्रैश हुए सुखोई लड़ाकू विमानों की भरपाई के लिए ही रक्षा मंत्रालय ने इन 12 एयरक्राफ्ट का करार एचएएल से किया है.

जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने भारतीय सेना के लिए 100 अतिरिक्त के-9 वज्र तोप खरीदने की मंजूरी दे दी है.

प्राइवेट कंपनी एलएंडटी इन के-9 व्रज तोपों को दक्षिण कोरिया की मदद से गुजरात स्थित हजीरा प्लांट में तैयार करती है. थलसेना के पास पहले से ही 100 के-9 वज्र तोप हैं जिन्हें एलएंडटी ने सप्लाई किया है.

भारत ने इन के-9 तोपों को थार रेगिस्तान में पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात करने के लिए खरीदा था. लेकिन 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन से हुई गलवान घाटी की झड़प के बाद आनन-फानन में ठंडे-रेगिस्तान में तैनात करना पड़ा था. उस दौरान इन तोपों में खास तौर से विंटर-किट लगाई गई थी ताकि पूर्वी लद्दाख की सर्दियों में ऑपरेट कर पाएं.

माना जा रहा है कि नई के-9 तोपों में ये विंटर-किट कंपनी से फिट होकर आएंगी.

इस बीच डीआरडीओ ने पूर्वी लद्दाख में 4200 मीटर की ऊंचाई पर पहली बार नए लाइट टैंक की फायरिंग का सफल परीक्षण किया है. एलएंडटी की मदद से डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने इन लाइट टैंक को खास तौर से पूर्वी लद्दाख में तैनात करने के लिए तैयार किया है. हालांकि, सितंबर के महीने में 25 टन के इन टैंक का राजस्थान के रेगिस्तान में भी टेस्ट किया गया था.  

डीआरडीओ के मुताबिक, हाई ऑल्टिट्यूड में परीक्षण के दौरान वायुसेना ने लाइट टैंक की एयर-लिफ्ट क्षमता का भी परीक्षण किया.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, डीआरडीओ इन लाइट टैंक के कुछ परीक्षण और करेगा. इसके बाद थलसेना खुद इन टैंक का टेस्ट करेगी. सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ही इन इंडियन लाइट टैंक (आईएलटी) को थलसेना में शामिल किया जाएगा.