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पाकिस्तानी सरेंडर की तस्वीर हटाई, मचा बवाल; अब लग गई रामायण-महाभारत की पेंटिंग

1971 युद्ध में मिली विजय की 53वीं वर्षगांठ से पहले साउथ ब्लॉक (रक्षा मंत्रालय) में लगी एक तस्वीर को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. थलसेना प्रमुख सेक्रेटेरिएट की लाउंज में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों के सरेंडर दस्तावेज की तस्वीर की जगह महाभारत, चाणक्य और जटायु को दर्शाती पेंटिंग लगा दी गई है. इसको लेकर पूर्व-फौजियों के एक समूह ने सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए हैं.

थलसेना प्रमुख, अमूमन इस लॉउंज में ही दफ्तर में आने वाले गेस्ट से मुलाकात करते हैं. गेस्ट के साथ फोटो भी इसी लाउंज में लगी 1971 युद्ध के सरेंडर की तस्वीर के बैकग्राउंड में ही क्लिक की जाती रही है. साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्री और सीडीएस के साथ ही थलसेना प्रमुख का ऑफिस भी हैं. 

जनरल (स्वर्गीय) बिपिन रावत के थलसेना प्रमुख के कार्यकाल से लेकर जनरल एम एम नरवणे और जनरल मनोज पांडे के कार्यकाल के दौरान लॉउंज में तत्कालीन पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी के भारतीय मिलिट्री कमांडर के समक्ष सरेंडर दस्तावेज पर हस्ताक्षर लगी तस्वीर लगी थी.

मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के शुरूआती महीनों में भी ये तस्वीर लगी थी. लेकिन हाल ही में जनरल द्विवेदी ने कुछ लेखकों से मुलाकात की तस्वीरें भारतीय सेना के आधिकारिक अकाउंट पर साझा की तब जाकर पता चला की 1971 की तस्वीर की जगह नई पेंटिंग लग गई है.

नई पेंटिंग में पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों के साथ झील (पैंगोंग लेक) में पैट्रोलिंग बोट्स और खुले मैदान में टैंक, तोप, एटीवी (ऑल टेरेन व्हीकल) और आर्मर्ड व्हीकल्स दिखाई गए हैं. साथ ही आसमान में ड्रोन और अटैक हेलीकॉप्टर भी दिखाए गए हैं.

पेंटिंग के एक हिस्से में महाभारत कालीन कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण के साथ अर्जुन का रथ और मौर्य साम्राज्य के महान दार्शनिक चाणक्य को दर्शाया गया है. साथ ही आसमान में रामायण के जटायु को भी दिखाया गया है. पेंटिंग के इस हिस्से को लेकर ही वेटनर सवाल खड़े कर रहे हैं.

हर साल 16 दिसंबर को 1971 युद्ध में पाकिस्तान की मिली करारी हार के उपलक्ष्य में विजय दिवस मनाया जाता है. युद्ध के दौरान पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे और नए बांग्लादेश का जन्म हुआ था. इस दौरान पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने ले.जनरल नियाजी की अगुवाई में भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था.

वाइस एडमिरल मनमोहन बहादुर (रिटायर) ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा कि “दूसरे देशों के सैन्य प्रमुख और गणमान्य व्यक्ति आर्मी चीफ ,से मुलाकात करते हैं और भारत (और भारतीय सेना) के इतिहास के सबसे बड़े इवेंट (सरेंडर) के प्रतीक को देखते हैं. ऐसे में 1971 के सरेंडर की तस्वीर हटाने का क्या उद्देश्य है.”

भारतीय सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग (रिटायर) ने लिखा कि “पिछले 1000 वर्षों में भारत की पहली बड़ी सैन्य जीत और 1971 में एक संयुक्त राष्ट्र के रूप में पहली बार भारत की पहली बड़ी सैन्य जीत का प्रतीक फोटो / पेंटिंग को (भारतीय सेना की) एक हाय्रेकी (पदानुक्रम) द्वारा हटा दिया गया है जो मानता है कि पौराणिक कथाएं, धर्म और सामंती अतीत, भविष्य की जीत को प्रेरित करेगा.”

1971 की तस्वीर को हटाने और नई पेंटिंग को लगाने पर भारतीय सेना की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. हालांकि, माना जा रहा है कि नई पेंटिंग के जरिए भारतीय सेना इस बात को दर्शाना चाहती है कि मौजूदा समय में पाकिस्तान के बजाए चीन ज्यादा बनी चुनौती है. साथ ही भारतीय दर्शनशास्त्र और प्राचीन सामरिक-रणनीतियों के जरिए आधुनिक हथियारों के बल पर दुश्मन को परास्त किया जा सकता है.