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हमास नहीं पहचान से डर, IDF जुटा सैनिकों को बचाने में

गाजा में हमास के खिलाफ ऑपरेशन करने वाले सैनिकों की पहचान उजागर होने के बाद इजरायल अपने सैनिकों की जान बचाने के लिए अलग-अलग देशों में भेज रहा है. ऐसे ही कुछ सैनिकों को श्रीलंका, साइप्रस और थाईलैंड भेजा गया है.

दावा किया जा रहा है कि हमास के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल एक दो नहीं बल्कि 30 से ज्यादा सैनिकों को आईडीएफ (इजरायली डिफेंस फोर्सेज) ने शरण के अलग-अलग देशों में भेज दिया गया है. बेल्जियम की एक संस्था ने ऐसे ही इजरायली सैनिकों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है और युद्ध अपराध में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन देशों से मांग की है कि वो सैनिकों को गिरफ्तार करें. 

सैनिकों की पहचान उजागर होने से चिंतित आईडीएफ

अमूमन ये देखा गया है कि चाहे कोई भी ऑपरेशन हो, इजरायली सैनिकों का चेहरा ढका होता है. इजरायली सेना हमेशा से इस बात पर यकीन करती है कि वो अपने सैनिकों की पहचान गुप्त रखे ताकि ऑपरेशन के बाद वो सामान्य जीवन बिता सकें.

ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें फिलिस्तीन के ऑपरेशन पर गए सैनिकों की पहचान और नाम बताए जा रहे हैं. श्रीलंका का दौरा करने वाले एक इजरायली सैनिक को देश से भागने की चेतावनी दी गई, क्योंकि उसे एक फिलिस्तीनी समर्थक, इजरायल विरोधी संगठन ने पहचान लिया था. संगठन ने आरोप लगाया था कि वह सैनिक गाजा में एक फिलिस्तीनी नागरिक की मौत के लिए जिम्मेदार है. (https://x.com/ytirawi/status/1765747246190952491?s=46)

श्रीलंका में इजरायली सैनिक को दी गई चेतावनी 

दरअसल बेल्जियम स्थित संगठन ने इजरायली सैनिक की तस्वीर पोस्ट की थी और उस सैनिक के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट और इंटरपोल से अपील की गई है कि वो गाजा में नागरिक की हत्या के आरोपी इजरायली सैनिक को गिरफ्तार करे. संगठन के अनुसार, इजरायली सैनिक ने 9 अगस्त को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उसने दावा किया कि वह एक मृत फिलिस्तीनी नागरिक था.

वीडियो में इजरायली सैनिक को हंसते हुए दिखाया गया जबकि बाकी सैनिक उसे ‘टर्मिनेटर’ के नाम से बुला रहे थे. सैनिक की पहचान जगजाहिर होने के बाद सैनिक को इजरायली अधिकारियों का कॉल आया और उसे फौरन श्रीलंका छोड़ने के लिए कहा गया. क्योंकि वो सैनिक श्रीलंका में मौजूद था. (https://x.com/8zal/status/1869387540345876771?s=46)

साइप्रस, नीदरलैंड, स्लोवेनिया से भी बुलाए गए सैनिक

यह पहला मामला नहीं है जब आईडीएफ सैनिकों को गिरफ्तारी के डर से किसी देश को छोड़ने के लिए कहा गया हो. पिछले महीने साइप्रस में हुई एक ऐसी घटना भी शामिल है. इस महीने की शुरुआत में आईडीएफ ने कथित तौर पर दर्जनों सैनिकों को विदेश यात्रा न करने की चेतावनी दी थी, क्योंकि गाजा में लड़ने वाले लगभग 30 सैनिकों के खिलाफ युद्ध अपराध की शिकायतें दर्ज की गई थीं. जिनमें से 8 सैनिकों को विदेश यात्रा से वापस बुला लिया गया था,

आईडीएफ यानी इजरायली डिफेंस फोर्सेज को डर है कि जिस देश में वे जा रहे हैं, वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा या उनसे पूछताछ की जाएगी, जिन सैनिकों को बुलाया गया वो साइप्रस, स्लोवेनिया और नीदरलैंड की यात्रा कर रहे थे.

सैनिकों के पहचान सामने आने के बाद इजरायली सेना को इस बात की आशंका है कि गाजा में हमास के खिलाफ ऑपरेशन करने वाले इजरायली सैनिकों की टारगेट किलिंग या फिर युद्ध अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है. ऐसे में इजरायली सैनिकों को आईडीएफ अलग-अलग सीक्रेट जगहों पर रख रहा है. जिनकी पहचान उजागर हो गई है. 

विदेश मंत्रालय से जोखिम जानने के बाद ही यात्रा करें सैनिक- आईडीएफ

आईडीएफ ने कहा है कि “इजरायल अपने सेवा सदस्यों को देश और विदेश में सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करता है और सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करता है. आईडीएफ ने अपने गाजा के ऑपरेशन में शामिल सैनिकों से कहा है कि विदेश यात्रा करने से पहले वो जोखिम मूल्यांकन करें.”

आईडीएफ के मुताबिक, “गाजा में लड़ने वाले सैनिकों को सलाह दी जा रही है कि वो जिस भी देश में जाना चाहते हैं, वहां खतरे के स्तर के बारे में पहले विदेश मंत्रालय से जांच लें. नहीं तो स्थानीय कानूनी एक्शन का सामना करना पड़ सकता है.” ठीक वैसे ही जैसे पीएम बेंजामिन नेतन्याहू  और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ कथित युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे.

साथ ही सैनिकों को ये भी कहा गया है कि “सोशल मीडिया अकाउंट पर ऑपरेशन से जुड़े फोटो और वीडियो शेयर ना करें, क्योंकि इजरायली विरोधी नजर रख रहे हैं.”
 

 

 

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