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यूक्रेन जंग में भारतीय का बलिदान, ड्रोन अटैक में गई जान

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान एक भारतीय की मौत के बाद यूपी के आजमगढ़ में शोक की लहर है. रूस की तरफ से जंग में उतरे कन्हैया यादव की एक ड्रोन अटैक में मौत हो गई है. उनके शव को वापस वाराणसी लाया गया है.

ट्रैवल एजेंट के माध्यम से जॉब का झांसा देकर कन्हैया को रूस ले जाया गया था और फिर ट्रेनिंग देकर युद्ध के लिए धकेल दिया गया. भारतीयों को युद्ध में धकेले जाने का मुद्दा कई बार रूस से उठाया जा चुका है. यहां तक कि पीएम मोदी जब रूस गए थे, तब भी व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भारतीयों की वापसी के बारे में कदम उठाने की मांग की थी. 

रूसी सेना में था कुक

बताया जा रहा है कि एक एजेंट के माध्यम से कन्हैया यादव रसोइए (कुक) का वीजा हासिल कर 16 जनवरी, 2024 को रूस गया था. वहां कन्हैया को रसोइए का कुछ दिन प्रशिक्षण दिया गया और बाद में उसे सैन्य प्रशिक्षण देकर रूसी सेना के साथ युद्ध के लिए भेज दिया गया.

कन्हैया की तैनाती फ्रंटलाइन पर भारतीय युवाओं की टोली में हुई थी. यह टोली यूक्रेन से जंग लड़ रही थी. मई महीने में ड्रोन अटैक के दौरान कन्हैया यादव गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद लंबे समय से कन्हैया का इलाज किया जा रहा था. परिवार के मुताबिक, कन्हैया ने 9 मई को युद्ध में घायल होने की सूचना अपने परिजनों को दी थी, वह 25 मई तक परिजनों के संपर्क में था, लेकिन इसके बाद संपर्क टूट गया. 

6 दिसंबर को भारतीय दूतावास ने परिवार से संपर्क किया

मास्को में भारतीय दूतावास ने 6 दिसंबर को फोन कर कन्हैया के परिवारवालों को सूचित किया कि 17 जून को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. अब तमाम कोशिशों के बाद 23 दिसंबर को कन्हैया यादव का शव पैतृक गांव लाया गया है. 

भारतीय युवाओं को जबरन युद्ध में धकेला गया

रूस यूक्रेन युद्ध में कन्हैया यादव अकेले भारतीय सैनिक नहीं थे. बताया जा रहा है कि इस युद्ध में कई भारतीय युवाओं को धकेला गया है, जिनमें आजमगढ़ के युवा हैं. करीब एक महीने पहले आजमगढ़ के एक अन्य सैनिक राकेश यादव रूस से वापस लौटे थे. राकेश यादव ने बताया कि कैसे नौकरी दिलाने के नाम पर एजेंट ने पहले दिल्ली और फिर बाद में रूस भेज दिया. रूस में भारतीयों को जबरन युद्ध में धकेला गया है. 

हालांकि ये बात सामने आने के बाद भारत सरकार ने कूटनीति माध्यम से भारतीयों की वापसी की कोशिश की गई. यहां तक कि पीएम मोदी ने भी खुद रूसी राष्ट्रपति से भारतीयों की वापसी का मुद्दा उठाया. जिसके बाद पुतिन ने सभी भारतीयों को रूसी सेना से वापसी का भरोसा दिया है.

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