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मॉस्को पहुंचे ईरानी राष्ट्रपति, ट्रंप की शपथ से पहले पुतिन के साथ पक रही खिचड़ी

ट्रंप की शपथ ग्रहण से पहले ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है. पिछले छह (06) महीने में पुतिन और पेजेश्कियान के बीच तीसरी मुलाकात है. ऐसी खबर आई थी कि सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप सबसे पहले ईरान के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं, जिसके बाद हलचल बढ़ गई है.

कहा जा रहा है कि जल्द पुतिन और ट्रंप के बीच मुलाकात हो सकती है, ऐसे में ईरान को उम्मीद है, कि पुतिन, ट्रंप के सामने ईरान का पक्ष रख सकते हैं. पुतिन से मीटिंग से पहले मसूद पेजेश्कियान ने ट्रंप से उम्मीद जताई है. पेजेश्कियान ने ट्रंप के लिए कहा था कि “मुझे उम्मीद है कि ट्रंप क्षेत्र और दुनिया में शांति स्थापित करेंगे, न कि इसके विपरीत रक्तपात या युद्ध में योगदान देंगे. 

6 महीने में तीसरी बार पुतिन-पेजेश्कियान में मुलाकात

20 जनवरी को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले रूस और ईरान के बीच कई समझौते हुए हैं. ट्रंप ने रूस- यूक्रेन में शांति स्थापित करने और ईरान के प्रति कड़ा रुख अपनाने का संकल्प लिया है.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बयान जारी करके कहा कि ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तरफ से ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि’ में व्यापार और सैन्य सहयोग से लेकर विज्ञान, शिक्षा और संस्कृति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है.

पेसकोव ने ट्रंप के शपथ ग्रहण से इस समझौते का किसी भी तरह के संबंध को खारिज किया है. दिमित्री ने कहा कि हस्ताक्षर की योजना बहुत पहले ही बना ली गई थी.

पिछले साल ब्रिक्स देशों में शामिल हुआ था ईरान

पिछले साल कजान में हुई ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ईरान भी ब्रिक्स में शामिल हुआ था. ईरान की ओर से मसूज पेजेश्कियान शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे. रूस और ईरान के बीच पहले संबंध खराब थे, लेकिन समय के साथ-साथ मॉस्को और तेहरान के बीच संबंध पटरी पर आए.

ये संबंध उस वक्त और मजबूत हुए जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, जिसमें ईरान ने रूस का साथ दिया. फरवरी 2022 में पुतिन के यूक्रेन में सैन्य ऑपरेशन के दौरान यूरोप और पश्चिमी देशों ने ईरान पर कई आरोप लगाए. नाटो देशों ने ईरान पर यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए मास्को को सैकड़ों विस्फोटक ड्रोन उपलब्ध कराने का आरोप लगाया है. हालांकि रूस और ईरान दोनों ने ही इसका खंडन किया है. 

रूस की तरह है ईरान पर लगे हैं कड़े प्रतिबंध

रूस और ईरान में कई समानताएं हैं. रूस की तरह ही ईरान पर भी पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं. ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ कठोर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं. हालांकि पिछली बार ट्रंप के कार्यकाल में साल 2015 में प्रतिबंधों में ढील दी गई थी.

ईरान ने हमेशा से कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और तेहरान “परमाणु हथियार” नहीं चाहता है. हाल ही में ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने ये भी कहा है कि  “मुझे उम्मीद है कि ट्रंप क्षेत्र और दुनिया में शांति स्थापित करेंगे, न कि इसके विपरीत रक्तपात या युद्ध में योगदान देंगे. लेकिन ये बात भी सही है कि हम किसी भी कार्रवाई पर प्रतिक्रिया करेंगे. हम युद्ध से डरते नहीं हैं, लेकिन हम इसकी तलाश भी नहीं करते हैं.”

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