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ब्रह्मोस की झलक देखेंगे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति, कर्तव्य-पथ पर होगी प्रदर्शित

इस साल गणतंत्र दिवस परेड में भारत के प्राइम स्ट्राइक वेपन ब्रह्मोस को भी शामिल किया गया है. हालांकि, ब्रह्मोस मिसाइल को पहले भी कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित किया गया है, इस बार इंडोनेशिया के चलते मौजूदगी अहम हो गई है.

इस बार 26 जनवरी के समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति चीफ गेस्ट के तौर पर कर्तव्य पथ पर मौजूद रहेंगे. इंडोनेशिया ने हाल ही में भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.

दरअसल, भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का कायल अब इंडोनेशिया भी हो गया है. फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया, दूसरा (आसियान) देश है जो भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रहा है.

जानकारी के मुताबिक, इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल के सौदे के लिए भारत अपने ही किसी राष्ट्रीय बैंक से लोन भी देने के लिए तैयार हो गया है. माना जा रहा है कि इंडोनेशिया के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का ये सौदा करीब 450 मिलियन डॉलर (करीब 3877 करोड़) का होने जा रहा है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1880886054749925431)

भारत का प्राइम स्ट्राइक वेपन
दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को भारत ने रूस की मदद से देश में ही तैयार किया है. ब्रह्मोस भारत का प्राइम स्ट्राइक वैपेन है जिसे भारत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नामों को मिलाकर नाम दिया गया है.

माना जाता है कि दुनिया की कोई रडार और हथियार, मिसाइल सिस्टम उसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है यानी एक बार ब्रह्मोस को दाग दिया तो ब्रह्मास्त्र की तरह इसे कोई नहीं रोक सकता है और अपने लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है और टारगेट को तबाह करके ही दम लेती है.

फिलीपींस ने खरीदी हैं ब्रह्मोस की तीन बैटरियां

पिछले साल अप्रैल के महीने में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन की तीन बैटरिया निर्यात की थी. इस सौदे की कीमत करीब 2700 करोड़ की थी. फिलीपींस ने अपने समुद्री-तट पर इन ब्रह्मोस मिसाइल को तैनात किया है.

फिलीपींस की तरह इंडोनेशिया की भी है चीन से तनातनी

फिलीपींस की तरह ही इंडोनेशिया का भी साउथ चाइना सी को लेकर चीन से तनातनी चल रही है. ऐसे में भारत से ब्रह्मोस मिसाइल का करार मायने रखता है. हालांकि, भारत और इंडोनेशिया ने आधिकारिक तौर से इस सौदे को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है.

हाल के दिनों में भारत और इंडोनेशिया के संबंध काफी मजबूत हुए हैं. पिछले साल नवंबर के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में सुबियांतो से मुलाकात की थी. उस मीटिंग का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें सुबियांतो ने जयशंकर की तारीफ की थी. (जयशंकर की चर्चा, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति Way)

ब्रह्मोस-एनजी भी है तैयार
ब्रह्मोस को बनाने वाली कंपनी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दावा है कि ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि ऑपरेशनल रेंज ज्यादा ही मानी जाती है.  इसकी स्पीड 2.8 मैके है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा की स्पीड. भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस, के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है.

सेना के तीनों अंग इस्तेमाल करते हैं प्राइम स्ट्राइक वेपन
ब्रह्मोस मिसाइल भारत के उन चुनिंदा हथियारों (मिसाइलों) में से एक है जिसे थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इस्तेमाल करती हैं. वायुसेना के फ्रंटलाइन एयरक्राफ्ट, सुखोई में भी ब्रह्मोस मिसाइल को इंटीग्रेट कर दिया गया है.

थलसेना की आर्टलरी यानि तोपखाना भी ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करता है. नौसेना के युद्धपोतों को भी ब्रह्मोस से लैस कर दिया गया है. जिससे नौसेना के शिप और अधिक घातक बन गए हैं और समंदर से जमीन तक पर टारगेट करने में सक्षम बन गए हैं.

गणतंत्र दिवस परेड में चीफ-गेस्ट

26 जनवरी को इंडोनेशियाई राष्ट्रपति चीफ गेस्ट के तौर पर भारत आ रहे हैं. हालांकि, उनके दौरे में पाकिस्तान को लेकर अड़चन आ गई थी. गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के बाद सुबियांतो, दिल्ली से पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं था. अब खबर है कि सुबियांतो ने पाकिस्तान जाने का प्लान रद्द कर दिया है. (ताकते रहे शहबाज, BRICS में इस मुस्लिम देश का हुआ स्वागत)

इंडोनेशियाई सेना की टुकड़ी भी होगी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के साथ ही इंडोनेशियाई सेना की एक टुकड़ी और मिलिट्री बैंड भी कर्तव्य पथ पर कदम-ताल करता दिखाई पड़ेगा. ये टुकड़ी और बैंड राजधानी दिल्ली पहुंच गया है और हर सुबह भारतीय सेना की टुकड़ियों के साथ मार्च-पास्ट ड्रिल में हिस्सा ले रहा है. (गणतंत्र दिवस: इंडोनेशियाई टुकड़ी कर्तव्य पथ पर करेगी कदम ताल)