अमेरिका में डीप-स्टेट की कमर तोड़ने पर उतारू राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और खरबपति एलन मस्क से खौफ खाए ग्लोबलिस्ट जॉर्ज सोरोस यूरोप भागने की फिराक में है. इस बात का खुलासा हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने किया है.
ट्रंप और एलन मस्क की जोड़ी ने यूएसएड (यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) की दुनियाभर में की जा रही फंडिंग पर रोक लगा दी है. इस फंडिंग में भारत में वोटर टर्न-आउट बढ़ाने के नाम पर मोदी सरकार और देश-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल था.
यूएसएड ने सोरोस के जरिए की फंडिंग
माना जा रहा है कि यूएसएड के जरिए सोरोस एनजीओ को फंडिंग करता था ताकि मनमाफिक सरकारों को चुना जा सके. जिस भी देश की सरकार, ग्लोबलिस्ट नीतियों पर चलने से इंकार करती थी, उसके खिलाफ धरने और उग्र विरोध-प्रदर्शन के जरिए गिराने की साजिश रची जाती थी.
यूक्रेन से लेकर मिस्र, लीबिया और बांग्लादेश तक में अमेरिकी डीप-स्टेट और यूएसएड ने इस साजिश को बखूबी अंजाम दिया. लेकिन भारत में मोदी सरकार के खिलाफ नाकाम साबित हुई.
डोज पड़ा है यूएसएड और डीप-स्टेट के पीछे
माना जाता है कि यूएसएड की फंडिंग सोरोस के कहने पर ही दुनियाभर के एनजीओ को दी जाती थी. क्योंकि ट्रंप प्रशासन के डीओजीई विभाग ने यूएसएड की बेतुकी फंडिंग रोक दी है. ऐसे में आने वाले समय में जॉर्ज सोरोस पर शिकंजा कसने की पूरी आशंका है. यही वजह है कि सोरोस अमेरिका छोड़कर यूरोप भागने की फिराक में है.
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन का खुलासा
हंगरी के प्रधानमंत्री की मानें तो सोरोस बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स भागने की फिराक में है. ब्रसेल्स, यूरोपीय संघ की राजधानी है. हंगरी के प्रधानमंत्री का बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि, जॉर्ज सोरोस मूल रूप से हंगरी का नागरिक है. लेकिन कम उम्र में ही सोरोस अमेरिका जाकर बस गया था.
विक्टर ऑर्बन ने हालांकि, चेतावनी दी है कि जॉर्ज सोरोस को यूरोप में छिपने की जगह नहीं दी जाएगी. ऑर्बन के मुताबिक, यूएसएड फाइल्स ने ग्लोबलिस्ट नेटवर्क के काले साम्राज्य की परतें खोल दी हैं.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस अमेरिका के अरबपति कारोबारी हैं. पर उन्हें डीप स्टेट का अहम किरदार माना जाता है. जॉर्ज सोरोस पर न सिर्फ भारत बल्कि दूसरे देशों में विवाद खड़े करने के आरोप लगते रहे हैं. आरोप है कि जॉर्ड सोरोस ने कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए जमकर फंडिंग की है. यही वजह है कि यूरोप और अरब के कई देशों में जॉर्ज सोरोस की संस्थाओं पर जुर्माने के साथ-साथ पाबंदी भी लगा दी गई है. आरोप है कि सोरोस कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसों के बल पर राजनीतिक दखलअंदाजी करते हैं.
सोरोस को लेकर भारत में मचा सियासी बवाल
भारत सरकार को अस्थिर करने के लिए विपक्ष के साथ मिलकर साजिश करने का आरोप है. इसे लेकर कई बार संसद में भी जमकर हंगामा हो चुका है. आरोप यह भी है कि जॉर्ज सोरोस भारत की सरकार को अस्थिर करने के लिए विपक्ष को फंडिंग भी करता रहा है. जिसको लेकर बीजेपी कांग्रेस पर आरोप लगाती रही है.
बीजेपी ने तो ये भी कहा है कि “कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का संबंध जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन की ओर फंडेड एक संगठन से है. उस फाउंडेशन ने कश्मीर के एक स्वतंत्र राष्ट्र के विचार का समर्थन किया था. बीजेपी ने कहा था, ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) और हंगरी मूल के अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने तथा मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए विपक्ष के साथ सांठगांठ की है.”
हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे और मौजूदा कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संबंधों का आरोप लगाया था. आरोपों में गौरव गोगोई के यूएसएड और जॉर्ज सोरोस संबंधों का खुलासा भी किया था. (https://youtu.be/JdPpO_iLvLE?si=PkltuuEoQAWmlPow)