हवाई सुरक्षा में भारतीय सेना ने एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया है. इजरायल-हमास युद्ध से सीख लेते हुए भारतीय सेना ने एक साथ दो हजार हवाई हमलों को आसमान में ही नेस्तनाबूद करने की क्षमता हासिल कर ली है. ये सब मुमकिन हो पाया है सेना के बेहद खास ‘आकाशतीर’ एयर डिफेंस कंट्रोल सिस्टम के जरिए.
भारतीय सेना की एयर डिफेंस कोर (आर्मी एयर डिफेंस) के डीजी, लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर डिकुना के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2023 को आतंकी संगठन हमास के इजरायल पर हुए हवाई हमलों के बाद भारत ने भी अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने की ठान ली है.
जनरल डिकुना के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में बीईएल से मिले आकाशतीर सिस्टम के जरिए ये मुमकिन हो पाया है.
हमास ने इजरायल पर किए थे 5000 रॉकेट से अटैक
आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर एक साथ पांच हजार रॉकेट और ड्रोन से हमला किया था. इतनी बड़ी संख्या में हुए हवाई हमलों को इजरायल का आयरन-डोम एयर डिफेंस सिस्टम भी काउंटर नहीं कर पाया था. तभी से भारत ने अपनी एयर डिफेंस को सुदृढ़ करने की तैयारी कर ली थी. उसी का नतीजा है आकाशतीर सिस्टम.
भारतीय सेना ने आकाशतीर सिस्टम को पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया है.
पीओके में हमास की मौजूदगी
सेना के लिए आकाशतीर जैसे सिस्टम इसलिए भी बेहद जरूरी है क्योंकि, पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद ने हमास से हाथ मिला लिया है. हाल ही में लश्कर और जैश ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में जम्मू कश्मीर में फिर से अशांति फैलाने के लिए एक जलसे का आयोजन किया था. इस जलसे में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने हमास के नेताओं को भी आमंत्रित किया था. साथ ही हमास की तर्ज पर पीओके में बाइक रैली भी निकाली थी. इस दौरान हमास के झंडे भी लहराए गए थे. (पीओके में जैश-लश्कर का शक्ति-प्रदर्शन, हमास के लहराए झंडे)
सेना को मिले 100 आकाशतीर एयर डिफेंस कंट्रोल एंड रिपोर्टिंग सिस्टम
अक्टूबर 2024 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने भारतीय सेना को 100 ‘आकाशतीर’ एयर डिफेंस सिस्टम सौंपे थे. ये आकाशतीर, सेना के लिए एयर डिफेंस कंट्रोल एंड रिपोर्टिंग सिस्टम के तौर पर काम करते हैं.
मार्च 2023 में रक्षा मंत्रालय ने सरकारी उपक्रम बीईएल से सेना के लिए 100 आकाशीतीर का अनुबंध किया था. इस अनुबंध की कीमत करीब 2000 करोड़ (1982 करोड़) थी.
आकाशतीर का इस्तेमाल एयर डिफेंस यानी दुश्मन की मिसाइल और रॉकेट के हमलों को निष्क्रिय करने के लिए किया जा रहा है. आकाशतीर के जरिए सेना की एयर डिफेंस से जुड़ी सभी रडार और कम्युनिकेशन सिस्टम को इंटीग्रेट कर दिया गया है. ऐसे में आकाशतीर सेना के एयर डिफेंस कंट्रोल एंड रिपोर्टिंग सिस्टम के तौर पर काम कर रहा है.
बीईएल ने आकाशतीर की डिलीवरी के वक्त कहा था कि सेना की आर्मी एयर डिफेंस (एडी) के मार्गदर्शन में 100 स्वदेशी आकाशतीर नियंत्रण केंद्रों की त्वरित तैनाती, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने और समय पर रणनीतिक रक्षा उपकरण वितरित करने की क्षमता को उजागर करती है.
हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी वायुसेना के साथ आर्मी एयर डिफेंस (एडी) के हवाले
शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में जनरल डिकुना ने सेना की एयर डिफेंस कोर को मजबूत करने के प्लान को साझा किया था. इस दौरान डिकुना ने कहा था कि दुनिया में कोई भी सिस्टम फुल-प्रूफ नहीं है, बावजूद इसके भारत जैसे बड़े देश की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी वायुसेना के साथ-साथ एयर डिफेंस कोर के कंधों पर है.
जनरल डिकुना के मुताबिक, एयर डिफेंस कोर की जिम्मेदारी टेक्टिकल बैटल एरिया (टीबीए) की है. ऐसे में वायुसेना के समन्वय और सहयोग के जरिए हवाई सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने का प्रयास बेहद तेजी से चल रहा है. इसके तहत पुरानी एल-70 और जेडयू-23 जैसी पुरानी एयर डिफेंस गन की जगह नई 220 एयर डिफेंस गन एंड मिसाइल-सेल्फ प्रोपेल्ड (एडीजीएमएसपी) को खरीदने की तैयारी है. इस साल जुलाई तक स्वदेशी गन के बारे में फैसला हो सकता है. (एयर डिफेंस गन का फैशन लौटा, सेना को चाहिए फ्रेगमेंटेशन एम्युनिशन)
एयर डिफेंस कोर के महानिदेशक के मुताबिक, हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्यूआरसैम और एलआरसैम मिसाइल सहित वीशोराड को भी संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात की जाने की तैयारी है.
सेना के मुताबिक, नैनो ड्रोन को छोड़कर बाकी सभी तरह के यूएवी को काउंटर करने के लिए भी पूरी तैयारी की जा चुकी है. इसके लिए बेहद कम आरसीएस (रडार क्रॉस सेक्शन) वाली रडार का अधिग्रहण किया जा रहा है. (नैनो-ड्रोन सेना के लिए चुनौती, एनर्जी वेपन पर जोर)