Breaking News Islamic Terrorism Middle East

आतंकी से ट्रंप की मीटिंग, सीरिया को साधने की तैयारी

जिस शख्स के सिर पर अमेरिका ने रखा था एक करोड़ डॉलर का इनाम, जिस शख्स के डायरेक्ट संबंध अलकायदा से पाए गए थे, जिसने सीरिया की सत्ता को हिलाकर राष्ट्रपति की कुर्सी हासिल की उस अबू मोहम्मद अल गोलानी उर्फ अल शरा से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है मुलाकात. 

ट्रंप की यह मुलाकात सऊदी अरब में हुई, जहां डोनाल्ड ट्रंप ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ मिलकर बातचीत की. ट्रंप और सीरियाई राष्ट्रपति अल शरा के बीच हुई मीटिंग ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. सऊदी अरब में अल-शरा से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात कूटनीतिक और राजनीतिक तौर पर बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है.

ट्रंप ने सीरिया पर लगे प्रतिबंध को हटाया

डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया. बैठक के बाद ट्रंप ने कहा, कि उन्होंने अल-शरा से मुलाकात, सऊदी और तुर्की नेताओं के कहने पर की है. अल शरा से मीटिंग के बाद ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया है. साथ ही कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी. 

कट्टरपंथी संगठन एचटीएस का सरगना अल शरा, सीरिया का तख्तापलट 

ट्रंप और अल-शरा सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख है. ये संगठन अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में शामिल है. सिर्फ अमेरिका ही नहीं कई देशों और अंतरराष्ट्रीय समूहों द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. अहमद अल-शरा को अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता रहा है. लेकिन सीरिया में बशर अल असद की सत्ता पलटने और सीरिया पर जीत के बाद अपना नाम बदलक अल शरा रख लिया.

मिडिल ईस्ट में शांति के लिए सीरिया पर अमेरिका ने आईएसआईएस को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए बम गिराए और मिसाइल अटैक किए, लेकिन ट्रंप का आतंकी से मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है.  

सऊदी अरब के दबाव में ट्रंप, व्यापारिक हितों को साध रहे

अमेरिका खुद हमेशा से आतंकवाद विरोधी दिखाता रहा है. चाहे सीरिया में आईएसआईएस का खात्मा करना हो या फिर अफगानिस्तान-पाकिस्तान से अलकायदा को उखाड़ फेंकना हो. हूती हों, हमास हों या फिर हिजबुल्लाह अमेरिकी प्रशासन ने हमेशा से आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की है. लेकिन जनवरी में जब से ट्रंप ने अमेरिका की बागडोर संभाली है, तब से ट्रंप व्यापारिक हितों को साधते दिख रहे हैं. चाहे वो टैरिफ हो या अप्रवासियों को बाहर करने का दबाव बनाना हो.

ट्रंप कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य अमेरिका को दोबारा समृद्ध बनाना है. लेकिन जिस तरह से अमेरिका ने पाकिस्तान में खुले तौर पर लश्कर और जैश के बारे में कुछ नहीं बोला है, इससे साफ है कि ट्रंप व्यापार को आतंकवाद से ऊपर रख रहे हैं. ट्रंप की ये मुलाकात अमेरिका की आतंकवाद विरोधी नीति के विपरीत है. कहा जा रहा है कि मुलाकात  सऊदी अरब के दबाव में हुई और व्यापारिक हितों से प्रेरित है. 

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *