Breaking News Conflict Russia-Ukraine

तुर्किए नहीं जाएंगे पुतिन,रूस-यूक्रेन की डायरेक्ट बातचीत

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने को लेकर अमेरिका बुरी तरह से फेल रहा, लेकिन अब दोनों देश खुद बातचीत करने के लिए तैयार हुए हैं. रूस-यूक्रेन के बीच तुर्की में नए सिरे से शांति वार्ता शुरू हो रही हैं. वार्ता से पहले क्रेमलिन ने इस वार्ता के लिए अंकारा जाने वाले रूसी डेलीगेशन के नामों को जारी किया है, जिसमें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम नहीं है. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि पुतिन और जेलेंस्की के बीच आमने-सामने की वार्ता होगी, लेकिन क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि पुतिन अंकारा नहीं आ रहे. 

रूसी डेलिगेशन में कौन-कौन शामिल हैं?

मास्को ने बताया कि उनके प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति के सलाहकार और प्रचार वास्तुकार व्लादिमीर मेडिंस्की करेंगे. रूसी प्रतिनिधिमंडल में उप विदेश मंत्री मिखाइल गालुजिन, रूसी सैन्य खुफिया निदेशक इगोर कोस्त्युकोव और उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन भी शामिल होंगे. रूसी डलिगेशन को लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि कीव यूक्रेन-रूस शांति वार्ता में अपने अगले कदम का फैसला तब करेगा जब मास्को अपने प्रतिनिधिमंडल के बारे में जानकारी देगा. 

पुतिन से मिलने के लिए बेताब थे जेलेंस्की

अपने हालिया बयान में जेलेंस्की ने कहा था कि वह शांति वार्ता के लिए तुर्की जा रहे हैं और उन्होंने पुतिन को वहां मिलने के लिए आमंत्रित किया है. लेकिन पुतिन की ओर से साफ कह दिया गया है कि वो तुर्की नहीं जा रहे हैं. रूस ने अपने बयान में कहा है कि 15 मई की वार्ता, फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ रूस के पूर्ण पैमाने पर युद्ध की शुरुआत के समय तुर्की में आयोजित 2022 शांति वार्ता की बहाली होगी. जिससे अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव की वजह से यूक्रेन पीछे हट गया था.

कीव और मॉस्को में 3 साल बाद पहली डायरेक्ट बातचीत 

पिछले सप्ताह पुतिन ने यूक्रेन के साथ ‘बिना किसी पूर्व शर्त’ के सीधी बातचीत का प्रस्ताव रखा था. युद्ध की शुरुआत से पहले यानि साल 2022 में रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत हुई थी. उसी बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा. लीक हुए 2022 शांति मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक दोनों पक्ष क्रीमिया को संधि से बाहर करने पर सहमत हुए, जिससे वह रूसी कब्जे में रहेगा और यूक्रेन उस पर रूसी संप्रभुता को मान्यता नहीं देगा.इस संधि के तहत यूक्रेन कथित तौर पर नाटो या किसी अन्य सैन्य गठबंधन में शामिल नहीं होगा, लेकिन यूरोपीय यूनियन में प्रवेश की अनुमति देगा. इसके अलावा रूस ने सभी प्रतिबंधों को हटाने, कीव के भाषा और राष्ट्रीय पहचान से संबंधित कानूनों को निरस्त करने और यूक्रेन की सशस्त्र सेनाओं को सीमित करने की भी मांग की थी.

रूस-यूक्रेन फ्रंट पर बुरी तरह विफल रहे डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका में चुनाव के पहले से ही ट्रंप ये दावा करते आए हैं कि अगर वो सत्ता में होते तो युद्ध नहीं होता. अगर वो सत्ता में होते तो 24 घंटे में युद्ध समाप्त हो जाता. सत्ता में आने में बाद ट्रंप की युद्ध को लेकर स्थिति और रणनीति कन्फ्यूजन वाली रही. कभी पुतिन की तारीफ करते तो अगले ही पल पुतिन को धमकी भी दे देते. ऐसे ही जेलेंस्की की बेइज्जती करते, और थोड़े ही दिनों में जेलेंस्की के पक्ष में बातें करने लगते. ट्रंप, खुद को पुतिन का बहुत अच्छा मित्र बताते हैं, लेकिन पुतिन, ट्रंप के आगे नहीं झुके. पुतिन को ना तो ट्रंप का लालच देना काम आया और ना ही ट्रंप की ओर से धमकी मिलना. पुतिन अपनी शर्तों के साथ अडिग रहे, जिसके बाद बार-बार अमेरिका के साथ बातचीत होने के बावजूद कोई समझौता नहीं किया और ट्रंप प्रशासन को मजबूरन रूस-यूक्रेन के बीच से हटना पड़ा. अब रूस-यूक्रेन एक दूसरे से डायरेक्ट बातचीत करने वाले हैं, उम्मीद लगाई जा रही है कि युद्ध समाप्ति को लेकर कोई बात आगे बढ़े.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *