बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट पर छोड़ी है. अपने निर्णायक फैसले में दलाई लामा ने ये घोषणा की कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट को तय करना है दलाई लामा का पुनर्जन्म को जारी रखना है या नहीं. दलाई लामा की ओर से जारी बयान में कहा गया, कि सिर्फ गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास बौद्ध परंपराओं के आधार पर अगले दलाई लामा को मान्यता देने का अधिकार है.
दलाई लामा की इस घोषणा से चीन बिदक गया है. दलाई लामा की घोषणा के बाद चीन ने कहा है कि बिना सरकार की मंजूरी के दलाई लामा का उत्तराधिकारी नहीं नियुक्त किया जा सकता.
1969 के निर्णय को दलाई लामा ने दोहराया, गादेन फोडरंग ट्रस्ट को सौंपी जिम्मेदारी
दलाई लामा ने अपनी एक्स पोस्ट में याद दिलाया कि, साल 1969 में ही उन्होंने यह कह दिया था कि दलाई लामा संस्था की निरंतरता का निर्णय तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा लिया जाना चाहिए.
साल 2011 में हुई एक औपचारिक घोषणा का हवाला देते हुए दलाई लामा ने एक बार फिर कहा, “अगले दलाई लामा की पहचान करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से गादेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी, जो इस कार्य को तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धार्मिक संरक्षकों से परामर्श कर पूरा करेगा.”
दलाई लामा लिखते हैं, “24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक में, मैंने तिब्बत में और उसके बाहर रहने वाले साथी तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत और तिब्बतियों से जुड़े लोगों के सामने एक बयान दिया था कि क्या दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए. मैंने कहा, 1969 में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि संबंधित लोगों को यह तय करना चाहिए कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखना चाहिए या नहीं.”
मैंने यह भी कहा, “जब मैं लगभग नब्बे साल का हो जाऊंगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य संबंधित लोगों से परामर्श करूंगा, ताकि यह पुनर्मूल्यांकन किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं.”
उत्तराधिकारी के चयन में किसी और को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं: दलाई लामा
मुझे दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले तिब्बतियों और तिब्बती बौद्धों से विभिन्न चैनलों के माध्यम से संदेश मिले हैं, जिसमें अनुरोध किया गया है कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाना चाहिए. इसके बाद मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी. गादेन फोडरंग ट्रस्ट, तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और दलाई लामाओं की वंशावली से अभिन्न रूप से जुड़े और शपथ लेने वाले विश्वसनीय धर्म रक्षकों से परामर्श करेगा. परंपरा के अनुसार खोज और पहचान की प्रक्रिया को पूरा करेगा. चयन का एकमात्र अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट को है, किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
हमारा ही फैसला माना जाएगा: चीन
दलाई लामा की घोषणा के बाद चीन भड़क गया है. चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और उनके बयान को खारिज कर दिया है. चीन की ओर से कहा गया है कि “दलाई लामा के किसी भी उत्तराधिकारी के लिए चीनी सरकार की मंजूरी जरूरी होगी.”
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “दलाई लामा के उत्तराधिकारी को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, स्वर्ण कलश प्रक्रिया और चीनी सरकार के अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए.”
भारत ने किया दलाई लामा का समर्थन
भारत सरकार ने चीन को दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन को करारा जवाब दिया है. भारत की ओर से साफ कर दिया गया है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी तय करने का अधिकारी सिर्फ दलाई लामा और उनकी परंपरा को ही है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, कि “दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन सिर्फ स्थापित परंपराओं और खुद दलाई लामा की इच्छा से ही होगा, किसी और का इसमें कोई अधिकारी नहीं है.”
चीन के बाहर का हो उत्तराधिकारी, अमेरिका ने भी दिया था समर्थन
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का जश्न 30 जून को धर्मशाला के पास मैकलॉडगंज के मुख्य मंदिर सुगलागखांग में शुरू हुआ. बताया जा रहा है कि दलाई लामा ने अपने अनुयायियों से बीजिंग से चुने गए किसी भी व्यक्ति को अस्वीकार करने का आग्रह किया है. साथ ही कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा हुआ होना चाहिए.
पिछले साल दलाई लामा से मिलने भारत पहुंची अमेरिका की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने भी उत्तराधिकारी के लिए चीनी हस्तक्षेप की कड़ी आलोचना की थी. नैंसी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर हमला बोलते हुए कहा था कि चीन को तिब्बत धर्मगुरु के उत्तराधिकारी को चुनने नहीं दिया जाएगा. दलाई लामा, ज्ञान, परंपरा, करुणा, आत्मा की पवित्रता और प्रेम के अपने संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी, लेकिन आप, चीन के राष्ट्रपति (शी जिनपिंग), आप चले जायेंगे और कोई भी आपको किसी भी चीज का श्रेय नहीं देगा.”
ऐसे होता है दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन
तिब्बती परंपरा में माना जाता है कि एक वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु की आत्मा उसकी मृत्यु के बाद एक बच्चे के शरीर में पुनर्जन्म लेती है. दलाई लामा की वेबसाइट के अनुसार 6 जुलाई, 1935 को वर्तमान किंघई प्रांत के एक किसान परिवार में लामो धोंडुप के रूप में जन्मे 14वें दलाई लामा की पहचान ऐसे ही एक पुनर्जन्म के रूप में तब हुई थी, जब उनकी उम्र महज दो साल थी.
ल्हासा में चीन के शासन के खिलाफ भड़के विद्रोह के असफल होने के बाद 1959 में दलाई लामा भारत आ गए थे. वह तभी से यहां हजारों तिब्बतियों के साथ निर्वासित तौर पर रह रहे हैं. जिस दलाई लामा को पूरी दुनिया पूजती है, उन दलाई लामा को चीन विद्रोही और अलगाववादी मानता है.