दुनियाभर में चीन की जासूसी के मकड़जाल के बीच इजरायल ने अपने मिलिट्री बेस में चीन की गाड़ियों की एंट्री पर बैन लगा दिया है. ऐसा इजरायली सैन्य ठिकानों की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है.
जानकारी के मुताबिक, इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) को चीनी गाड़ियों के जरिए साइबर-सिक्योरिटी और खुफिया जानकारी लीक होने का अंदेशा है. ऐसे में आईडीएफ ने अपने सभी लेफ्टिनेंट कर्नल के अधिकारियों को चीन में निर्मित इलेक्ट्रिक कारों को सैन्य ठिकानों में लाने पर रोक लगा दी है.
आईडीएफ के लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अधिकारी, चीन में निर्मित बीवाईडी अट्टो-3 इलेक्ट्रिक कार ड्राइव करते हैं. इसके साथ ही आईडीएफ ने चीन से गाड़ियों की डिलीवरी भी बंद कर दी है.
दरअसल, एक लंबे समय से इजरायल की सेना चीन में निर्मित कारों का इस्तेमाल करती आई है. इजरायल के तेल अवीव स्थित रक्षा मंत्रालय में भी चीन की इलेक्ट्रिक गाड़ियां इस्तेमाल की जाती है. साथ ही आईडीएफ के जिन सैन्य अधिकारियों का बड़ा परिवार है, उन्हें भी चीन की चेरी टिगो क्रॉसओवर दी गई हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 600 ऐसे चेरी टिगो आईडीएफ के अधिकारी इस्तेमाल करते हैं. साथ ही चीन की ही एमजी-जेडएस भी आईडीएफ और इजरायली रक्षा मंत्रालय में इस्तेमाल की जाती हैं.
दरअसल, हालिया इजरायल-ईरान जंग के दौरान चीन का रुख ईरान के पक्ष में था. चीन ने ईरान को एयर डिफेंस (मिसाइल) सिस्टम तक मुहैया कराया है. यही वजह है कि इजरायल ने चेतावनी दी है की ईरान को चीनी फाइटर जेट किसी कीमत पर सप्लाई नहीं होने देंगे.
दुनियाभर में चीन के स्पाई नेटवर्क को लेकर बड़ी संख्या में अलग-अलग देश सजग हो गए हैं. भारत ने भी अपने हथियारों और सैन्य उपकरणों सहित ड्रोन में किसी भी तरह के चीनी स्पेयर पार्ट्स के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी है. ऐसे में इजरायल भी अपनी रक्षा अधिग्रहण नीति में तब्दील लाते हुए चीनी उपकरणों सहित कार और दूसरी गाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
यूएस स्टील्थ फाइटर जेट एफ-35 में भी चीनी सैन्य उपकरण लगे होने के बाद अमेरिकी राजनीति में भूचाल आ गया था. उसके बाद से अमेरिका जांच एजेंसी एफबीआई ने चीनी जासूसों के रैकेट के भांडाफोड़ शुरु कर दिया है.