एससीओ शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होने और आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने का आह्वान किया है. एस जयशंकर ने क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया और पहलगाम नरसंहार का मुद्दा उठाते हुए कहा, कि ये आतंकी हमला इसलिए किया गया क्योंकि इसका मकसद जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और धार्मिक तनाव फैलाना था.
एससीओ को मूल उद्देश्य से नहीं भटकना चाहिए, आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाना ही होगा: एस जयशंकर
चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया. जयशंकर ने कहा, “सदस्य देशों को संगठन के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए.”
जयशंकर ने कहा, “शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से मुकाबले के उद्देश्य से की गई थी. ये तीनों समस्याएं अक्सर एक साथ देखने को मिलती हैं. एससीओ को अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाना ही होगा.”
आतंकवाद पर फंडिग करने वालों और बढ़ावा देने वालों पर एक्शन लेते रहेंगे: जयशंकर
पहलगाम नरसंहार में 26 लोगों की मौत की बात करते हुए भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के एक्शन पर भी जयशंकर ने बात की. जयशंकर ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी. सुरक्षा परिषद ने यह भी कहा था कि इस निंदनीय आतंकी हमले के अपराधियों, साजिशकर्ताओं, फंडिंग करने वालों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. भारत ने ठीक ऐसा ही किया है और आगे भी करता रहेगा. अब दुनिया एससीओ की ओर देख रही है. हमें भी इस चुनौती को मानते हुए सख्त रुख दिखाना चाहिए. सिर्फ निंदा नहीं, ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.”
विदेश मंत्री ने कहा, “आतंकवाद पर दोहरा रवैया हमें त्यागना होगा. पहलगाम जैसी घटनाएं बताती हैं कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए नासूर की तरह है.”
भारत से बात करने के लिए तड़प रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार भी एससीओ की बैठक के लिए चीन में हैं. इशाक डार बातचीत के लिए तड़पते दिखे, लेकिन भारत का रूख साफ है. भारत पहले ही कह चुका है कि पाकिस्तान से सिर्फ आतंकवाद और पीओके के मुद्दे पर बातचीत की जाएगी. इशाक डार ने एससीओ के मेंबर्स से कहा, “विवादों और मतभेदों का समाधान संघर्ष और दबाव के बजाए बातचीत और कूटनीति से होता है.”
राजनाथ सिंह ने एससीओ के संयुक्त ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर से मना किया था
पिछले महीने चीन के किंगदाओ में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी. जिसमें राजनाथ सिंह ने भाग लिया था. राजनाथ सिंह ने अंतिम संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि, उस बयान में पाकिस्तान को बचाने के लिए 22 अप्रैल को हुए पहलगाम नरसंहार का जिक्र नहीं था, जबकि हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी. लेकिन संयुक्त बयान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुई एक ट्रेन हाईजैकिंग का जिक्र था. राजनाथ सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए हस्ताक्षर से मना कर दिया था, जिसके बाद संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था.
राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि “भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि सक्रिय रूप से कार्रवाई करता है. राजनाथ ने कहा था भारत अब उन देशों को भी नहीं बख्शेगा, जो आतंकवादियों को पैसा देते हैं या उनकी मदद करते हैं, चाहे वो देश भारत के रणनीतिक पार्टनर्स ही क्यों न हों.”
एससीओ की बैठक में कौन-कौन देश शामिल हैं?
एससीओ 10 देशों का एक यूरेशियाई सुरक्षा और राजनीतिक समूह है, जिसमें चीन, रूस, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं. चीन इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है.