अलास्का में 15 अगस्त को होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से पहले फंस गया है बड़ा पेंच. अपनी आदत से मजबूर ट्रंप, अलास्का में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को भी न्योता देने की तैयारी में हैं. ऐसे में ट्रंप-पुतिन वार्ता पर गहरे बादल मंडराने लगे हैं.
बताया जा रहा है दोनों देशों में सीजफायर कराने के लिए ट्रंप इतने तत्पर हैं कि पुतिन को बिना बताए जेलेंस्की को अलास्का बुला सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मीटिंग से ऐन पहले पुतिन अलास्का न पहुंचकर दे सकते हैं ट्रंप को बड़ा झटका. ठीक वैसा ही झटका जो कुछ महीने पहले जेलेंस्की को इस्तांबुल में बुलाकर दिया था.
क्या फिर अधर में लटकेगी पुतिन-ट्रंप की मुलाकात?
खुद को शांतिदूत बता रहे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात में एक ट्विस्ट आ गया है. अलास्का में अभी तक सिर्फ ट्रंप और पुतिन की होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में जेलेंस्की की भी एंट्री हो गई है.
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “अमेरिका, यूक्रेनी राष्ट्रपति को भी अलास्का में आमंत्रित करने पर विचार कर रहा है. व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बताया है कि इस पर चर्चा चल रही है कि अलास्का में जेलेंस्की को भी बुलाया जाए.” हालांकि जेलेंस्की की यात्रा अभी तक तय नहीं है, ये भी स्पष्ट तरीके से नहीं बताया गया है कि क्या जेलेंस्की अलास्का में बैठकों के लिए आएंगे या नहीं, लेकिन यह एक संभावना बनी हुई है.
ऐसे में अगर जेलेंस्की अलास्का में आते हैं, तो पुतिन मीटिंग से पहले ट्रंप से मीटिंग रद्द कर सकते हैं.
अलास्का में ट्रंप करवा सकते हैं पुतिन-जेलेंस्की का आमना सामना
बार-बार हर बयान से पलटना, झूठी और फर्जी बयानबाजी करना, अपने वादे से मुकर जाना, दुश्मन को दोस्त तो दोस्त देशों को अपने फायदे के चक्कर में दुश्मन बना देना, किसी एक बात पर न टिक पाना, आजकल कुछ ऐसा ही हाल है ट्रंप का. पूरी दुनिया ट्रंप की कार्यशैली को समझ चुकी है.
नाटो में अमेरिकी राजदूत मैथ्यू व्हिटेकर ने कहा है, कि “मुझे ऐसा लगता है कि ये संभव है कि जेलेंस्की भी पुतिन-ट्रंप की बैठक में शआमिल हो सकते हैं. निर्णय ट्रंप को करना है.”
यानि सुगबुगाहट है कि ऐसा हो सकता है कि ट्रंप, पुतिन को बिना बताए जेलेंस्की से आमना-सामना करवा दें और वो भी तमाम मीडिया के सामने, जहां पुतिन ऐसी असहज स्थिति में हो सकते हैं, जिसमें प्रतिक्रिया न दी जा सके. ट्रंप, पूरी दुनिया को दिखा सकते हैं कि वो एक अकेले ऐसे वैश्विक नेता हैं जो पुतिन-जेलेंस्की को युद्ध शुरु होने के बाद पहली बार एक मंच पर लेकर आए हैं.
ट्रंप ने की थी भारत-पाकिस्तान को एक मंच पर लाने की नाकाम कोशिश, पीएम मोदी ने ठुकराया था न्योता
कुछ ऐसा ही कुछ ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी करने की कोशिश की थी, लेकिन पीएम मोदी, ट्रंप के फेंके गए जाल में फंसने से पहले निकल गए.
बात इसी साल जून के महीने की है जब नोबल पुरस्कार के बदले ट्रंप ने व्हाइट हाउस में असीम मुनीर को लंच पर बुलाया तो उस वक्त पीएम मोदी जी 7 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए कनाडा में मौजूद थे. ट्रंप ने पीएम मोदी ने फोन करके व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया था.
माना जा रहा है कि ये फोन कॉल एक ट्रैप था, ताकि पीएम मोदी को अमेरिका बुलाया जाए और फिर फेल्ड मार्शल असीम मुनीर से आमना-सामना करवाया जाए. लेकिन पीएम मोदी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देकर अमेरिका आने से मना कर दिया था.
अपनी शर्तों पर ट्रंप से मिलने के लिए तैयार हुए हैं पुतिन
रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति ट्रंप का अहम चुनावी मुद्दा था. 24 घंटे में युद्ध समाप्ति का दावा करने वाले ट्रंप सत्ता में तकरीबन 8 महीने के बाद भी नाकाम साबित हुए हैं. बार-बार रूस को धमकी देने का बावजूद भी जब पुतिन अपनी शर्तों से टस से मस नहीं हुए तो ट्रंप ने उनकी शर्तों के मुताबिक काम करना शुरु कर दिया है.
इस मीटिंग से पहले ट्रंप ने यूक्रेन को झटका देते हुए कहा है कि कुछ जमीनों की अदला-बदली दोनों देशों के हितों में हैं. यानि रूस की शर्तें मानने के लिए ट्रंप तैयार हो गए हैं और यूक्रेन की जिन क्षेत्रों की मांग रूस कर रहा है, वो रूस को सौंपा जा सकता है.
बिना जेलेंस्की के वार्ता को नाटो और ईयू ने बताया व्यर्थ
अलास्का में जेलेंस्की के अब तक न बुलाए जाने को लेकर यूक्रेन ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. यूक्रेन ने जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस सहित 13 समकक्षों के साथ बातचीत की है.
फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, ब्रिटेन और फिनलैंड के नेताओं और यूरोपीय संघ आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने एक संयुक्त बयान में कहा, “यूक्रेन में शांति का रास्ता यूक्रेन के बिना तय नहीं किया जा सकता है.”
जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जेलेंस्की नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. नॉर्डिक और बाल्टिक देशों – डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, आयरलैंड, लातविया, लिथुआनिया, नॉर्वे और स्वीडन – के नेताओं ने भी कहा कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए.
एक संयुक्त बयान में नाटो और ईयू देशों ने कहा, कि “युद्ध समाप्त करने पर बातचीत केवल सीजफायर के दौरान ही हो सकती है.”
क्या है रूस की शर्तें, सीजफायर नहीं स्थायी शांति पर होगी बात
रूस की तरफ से कहा गया है कि किसी भी शांति समझौते के तहत यूक्रेन अपने सेना उनके क्षेत्रों से बाहर निकाले और तटस्थ स्टेट बनने के लिए तैयार हो. अमेरिका और ईयू (यूरोपीय संघ) का सैन्य समर्थन यूक्रेन को छोड़ना होगा. रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति को लेकर जो शर्तें सामने आई हैं उनके मुताबिक रूस को यूक्रेन का 1500 वर्ग किलोमीटर छोड़ना होगा और बदले में 7000 वर्ग किलोमीटर हासिल करेगा. हालांकि इन शर्तों को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है.
हम तोहफे में अपनी जमीन नहीं देंगे: जेलेंस्की
ट्रंप के उस बयान को लेकर जेलेंस्की ने प्रतिक्रिया दी है, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि कुछ क्षेत्रों की अदलाबदली दोनों देशों के हित में है. जेलेंस्की ने कहा है, “यूक्रेनवासी कब्जाधारियों को तोहफे में अपनी जमीन नहीं देंगे. यूक्रेन के क्षेत्र के मुद्दे का जवाब हमारे संविधान में है. कोई भी इससे पीछे नहीं हटेगा.”
बहरहाल पूरी दुनिया की नजर पुतिन-ट्रंप की अलास्का में होने वाली मीटिंग पर टिकी हुई है, क्योंकि इस बैठक में अगर जेलेंस्की शामिल किए गए तो हाईवोल्टेज ड्रामा देखा जा सकता है.