ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों मात खाने के बावजूद, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने खुद को युद्धकाल में देश (पाकिस्तान) का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार हिलाल ए जुर्रत से नवाजा है. हिलाल ए जुर्रत, भारत के महावीर चक्र के समकक्ष है.
ऑपरेशन सिंदूर के फौरन बाद मुनीर को पाकिस्तानी सरकार ने सबसे बड़ी मिलिट्री रैंक, फील्ड मार्शल से नवाजा था. ये हालात तब थे, जब भारत ने पाकिस्तान के नौ (09) आतंकी कैंप और 11 एयरबेस पूरी तरह बर्बाद कर दिए थे. मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तानी सेना पूरी तरह फेल हो गई थी.
पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) के मौके पर मुनीर को ये मेडल प्रदान किया गया. पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने खुद अपने हाथों से मुनीर को ये मेडल पहनाया. इसको लेकर मुनीर को ट्रोल भी किया जा रहा है. क्योंकि फील्ड मार्शल किसी भी देश के मिलिट्री कमांडर को मिलने वाली सबसे बड़ी रैंक होती है. ऐसे में मुनीर को पूरी दुनिया को अपनी बहादुरी का दिखावा करने के क्या जरूरत है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर में शामिल फाइटर पायलट, सैन्य कमांडर और सैनिकों को वीरता मेडल से नवाजा है.
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश की सशस्त्र सेनाओं की सुप्रीम कमांडर (राष्ट्रपति) द्रौपदी मुर्मू ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और एयरबेस को तबाह करने के लिए 15 सैनिकों को युद्ध-काल के तीसरे सबसे बड़े बहादुरी पुरस्कार, वीर चक्र देने की घोषणा की थी. इनमें नौ (09) वायुसेना के फाइटर पायलट हैं और चार थलसेना के अधिकारी हैं. जबकि बीएसएफ के दो जाबांज सीमा-प्रहरियों को मरणोपरांत वीर चक्र देने की घोषणा की गई है.
रक्षा मंत्रालय ने हालांकि, वीर चक्र देने के लिए प्रशस्ति पत्र का खुलासा नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि वायुसेना के उन फाइटर पायलट को वीर चक्र से नवाजा गया है, जिन्होंने पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के बहावलपुर और मुरीदके स्थित लश्कर ए तैयबा के आतंकी हेडक्वार्टर को तबाह किया था. इसके अलावा उन फाइटर पायलट को भी वीर चक्र देने का ऐलान किया गया है जिन्होंने पाकिस्तान के एयरबेस पर बमबारी कर नेस्तनाबूद किया था. वायुसेना की एस-400 मिसाइल प्रणाली से पाकिस्तान के फाइटर जेट और टोही विमान गिराने वाले जांबाज वायु-योद्धाओं को वीर चक्र से नवाजा गया है.
थलसेना के उन दो अधिकारियों को वीर चक्र देने की घोषणा की गई है, जिन्होंने अपनी तोप के जरिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में आतंकियों के ठिकानों को बर्बाद किया था.
बीएसएफ के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज और कॉन्स्टेबल दीपक चिंगाखम, एक साथ जम्मू क्षेत्र की खरखोला बीओपी (चौकी) पर तैनात थे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एसआई इम्तियाज और उनके साथी कॉन्स्टेबल दीपक ने पाकिस्तानी की चौकियों पर जबरदस्त बमबारी कर बर्बाद किया था. इसी दौरान पाकिस्तान ने खरखोला चौकी पर मोर्टार से हमला कर दिया. अपने साथियों की जान बचाने के लिए एसआई इम्तियाज और दीपक चौकी से बाहर आए और दूसरे सीमा-प्रहरियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगे. उसी वक्त पाकिस्तान की तरफ से एक ड्रोन ने दोनों पर बम गिरा दिया. दोनों इस हमले में बुरी तरह जख्मी हुए और बाद में मिलिट्री हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया.
गलवान घाटी की झड़प (2020) के बाद पहली बार है कि सरकार (राष्ट्रपति) ने देश के वीर सैनिकों को युद्धकाल से जुड़ा वीरता पुरस्कार दिया है. गलवान घाटी की हिंसा में देश के लिए बलिदान देने वाले कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.
राष्ट्रपति ने थलसेना (भारतीय सेना), वायुसेना और नौसेना के सात टॉप कमांडर्स को सर्वोत्तम युद्ध सेवा मेडल (एसवाईएसएम) से नवाजा गया है. इन सभी को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महत्वपूर्ण रणनीति बनाने के लिए सम्मान दिया गया है.
1. लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, कमांडिंग इन चीफ, उत्तरी कमान (उधमपुर). पूरे जम्मू कश्मीर, सियाचिन और लेह-लद्दाख की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है सेना की उत्तरी कमान.
2. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स). अब पदोन्नति के बाद थलसेना के डिप्टी चीफ (उप-प्रमुख) बन गए हैं.
3. वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह, कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी कमान (नौसेना). इसी महीने रिटायर हुए हैं.
4. एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी, वाइस चीफ (वायुसेना)
5. एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा, कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी कमान (वायुसेना)
6. एयर मार्शल एके भारती, डीजी, एयर ऑप्स (वायुसेना)
मुनीर अपने सेना का अकेला टॉप मिलिट्री कमांडर नहीं है जिसे भारत के खिलाफ ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस (22 अप्रैल-10 मई) के लिए वीरता मेडल दिया गया है. पाकिस्तान के वायुसेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, चेयरमैन ऑफ ज्वाइंट स्टाफ कमेटी और आईएसआई डीजी सहित कई सैन्य कमांडर्स को बहादुरी पुरस्कार से नवाजा गया है. जबकि हकीकत ये है कि ऑपरेशन बुनयान मरसूस के दौरान पाकिस्तान का कोई भी ड्रोन या फिर मिसाइल अटैक, भारत के खिलाफ सफल नहीं हो पाया था. भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के सभी एरियल अटैक को आसमान में तबाह कर दिया था.
हद तो ये हो गई कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप-प्रधानमंत्री (विदेश मंत्री) इशाक डार और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ तक ने ऑपरेशन बुनयान मरसूस के लिए निशान-ए-इम्तियाज ले लिया है.