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लिपुलेख पर नेपाल का दावा अनुचित, विदेश मंत्रालय ने समझाया

नेपाल से सैन्य और पारंपरिक रिश्ते सुधारने की कड़ी में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने काठमांडू का दो दिवसीय यात्रा की है. विक्रम मिसरी ने नेपाली पीएम के पी ओली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भारत आने का न्योता दिया वहीं, नेपाली सेना को छह हल्के सैन्य वाहन समेत कई सैन्य उपकरण भेंट किए. 

कूटनीतिक तौर पर विक्रम मिसरी का दौरा बेहद अहम है, क्योंकि विवादित नक्शा और चीन से करीबी के चलते भारत-नेपाल के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों से बेपटरी हुए हैं.

भारत-नेपाल में सैन्य संबंध मजबूत करने की कोशिश

अपने काठमांडू के दो दिवसीय दौरे पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोकराज सिगडेल के साथ भारत-नेपाल रक्षा सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की. इस दौरान सैन्य संबंधों को मजबूत करते हुए भारत ने नेपाली सेना को छह हल्के सैन्य वाहन समेत कई सैन्य उपकरण भेंट किए. वाहनों के अलावा दो सैन्य कुत्ते, 6 घोड़े और चिकित्सा पूर्ति की खेप सौंपीं. नेपाली सेना के मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के तहत विक्रम मिसरी सैन्य वाहनों की खेप नेपाली सेना को सौंपी. 

पड़ोसी प्रथम नीति के तहत सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में इस कदम को अहम माना जा रहा है.

भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती पर रोक

अग्निपथ स्कीम के चलते दोनों देशों के सैन्य संबंधों में दरार आ गई, जिसे अब सुधारा जा रहा है. नेपाल ने अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय सेना में अग्निवीर के तौर पर अपने गोरखा युवाओं की भर्ती पर रोक लगा दी. इसके चलते पिछले 3 वर्षों से भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में अग्निवीर के तौर पर नेपाली युवाओं की भर्ती लगभग बंद हो गई है.

नेपाल में इस वक्त भारतीय सेना के 80 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिक हैं. इनमें से अधिकतर पूर्व सैनिक, भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट से ही ताल्लुक रखते हैं.

हाल ही में ये खबर आई थी कि अब ब्रिटेन की सेना में गोरखाओं की भर्ती हो रही है. ब्रिटेन ने गोरखाओं की एक अलग यूनिट तैयार की है. 

सितंबर में नेपाली पीएम की भारत यात्रा, मिसरी ने सौंपा निमंत्रण

नेपाली विदेश सचिव अमृत बहादुर राय के निमंत्रण पर नेपाल की यात्रा पर पहुंचे मिसरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रधानमंत्री ओली को उनकी 16 और 17 सितंबर को प्रस्तावित भारत यात्रा के लिए निमंत्रण पत्र सौंपा. 

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश सचिव ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री ओली, नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा, विपक्षी नेता पुष्प कमल दहल “प्रचंड” और विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा से मुलाकात कीय इन मुलाकातों में दोनों देशों के बीच व्यापार, बुनियादी ढांचे और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरान इस विषय पर भी चर्चा हुई कि कैसे दोनों देश आगे चलकर अपने संबंधों को प्रगाढ़ कर सकते हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, कि मिसरी ने गहरे सभ्यतागत संबंधों और मजबूत भारत-नेपाल साझेदारी की पुष्टि की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई.

कैसा है भारत और नेपाल का रिश्ता, चीन के करीबी माने जाते हैं ओली

भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं. दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है. लेकिन नेपाल के पीएम के पी ओली ने ऐसे कई भारत विरोधी कदम उठाए कि दोनों के बीच संबंध थोड़े तनावपूर्ण हो गए. 

ओली के चीन का करीबी माना जाता है. पिछले साल सत्ता संभालने के बाद के पी ओली ने परंपरा तोड़ते हुए चीन का दौरा किया था. जबकि पड़ोसी होने के नाते हमेशा से नेपाली पीएम अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत को चुनता था. कहा ये भी गया कि भारत की ओर से ही न्योता नहीं दिया गया था, क्योंकि ओली ने अपने पिछले कार्यकाल में कई भारत विरोधी कदम उठाए थे.

ओली के भारत विरोधी कदम, जिसके बेपटरी हुए थे रिश्ते

  • नेपाल ने नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के लिपुलेख को नेपाल का बताया गया.
  • काठमांडू ने अपनी नई करेंसी नोट पर नेपाल का जो नया नक्शा दिखाया उसमें विवादित कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाली सीमा में दिखाया, जबकि उत्तराखंड से सटे इन इलाकों पर नेपाल का भारत से लंबा विवाद रहा है. ये इलाका भारत, नेपाल और चीन सीमा के ट्राइ-जंक्शन पर है.
  • भारत में नकली अयोध्या, असली अयोध्या नेपाल में होने का प्रोपेगेंडा फैलाया.
  • नेपाल में राजशाही के आंदोलन पर ओली ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि आंदोलन के पीछे भारत की भूमिका है.

ऑपरेशन सिंदूर में भारत के साथ खड़ा रहा नेपाल

पहलगाम नरसंहार में जिन 26 लोगों को आतंकियों ने बेरहमी से मारा था, उनमें एक नेपाली युवक भी था. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नेपाल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ दिया था. पीएम के पी शर्मा ओली ने कहा था कि  “नेपाल भारत के साथ मजबूती से खड़ा है और आतंकवाद के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है.’’ 

नेपाल सरकार की ओर से कहा गया था कि “नेपाल की धरती का इस्तेमाल लश्कर और जैश के आतंकियों को नहीं करने देंगे.” चूंकी भारत और नेपाल की सीमाएं सटी हैं, तो ऐसे में कई बार आतंकी नेपाल के जरिए भारत में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं. कंधार हाईजैक के दौरान भी आतंकियों ने नेपाल की धरती का इस्तेमाल किया था.

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