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यूरोप का अमेरिका से मोहभंग, मोदी-मैक्रों बातचीत में छाया यूक्रेन

By Nalini Tewari

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई वन टू वन बातचीत के बाद दुनिया में विश्वास जगा है, कि भारत ही वो देश है जो रूस-यूक्रेन युद्ध में विराम लगा सकता है. शनिवार को पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच फोन पर बात हुई है. इस बातचीत में दोनों ने भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों पर चर्चा की. 

पिछले 10 दिनों में पीएम मोदी से यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की, फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेंक्जेंडर स्टब, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन से संयुक्त कॉल पर बातचीत की है. वहीं 3 सितंबर को पीएम मोदी ने जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडेपुल से नई दिल्ली में मुलाकात की थी.

पीएम मोदी-मैक्रों के बीच क्या-क्या बात हुई?

पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अहम बातचीत हुई है. पीएम मोदी और मैक्रों ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर हालिया प्रयासों पर भी विचार साझा किए. प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि भारत हमेशा से शांतिपूर्ण समाधान और स्थिरता की बहाली का समर्थन करता है. पीएम ने कहा, युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और जल्द से जल्द शांति बहाल होना जरूरी है.

इसके अलावा दोनों ने आर्थिक, रक्षा, विज्ञान, तकनीक और अंतरिक्ष जैसे कई क्षेत्रों में हो रही प्रगति की समीक्षा की. दोनों नेताओं ने इस सहयोग को और आगे बढ़ाने पर सहमति जताई और होराइजन 2047 रोडमैप, इंडो-पैसिफिक रोडमैप और डिफेंस इंडस्ट्रियल रोडमैप के तहत साझेदारी को और मजबूत करने का संकल्प लिया.

भारत-फ्रांस की रणनीति साझेदारी वैश्विक शांति को बढ़ावा देगी: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई. हमने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा और सकारात्मक मूल्यांकन किया. हमने यूक्रेन में संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने के प्रयासों सहित अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी.’ 

भारत और फ्रांस, यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध: मैक्रों

राष्ट्रपति मैक्रों ने एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और उन्हें पेरिस में राष्ट्रपति जेलेंस्की और सहयोगी देशों के साथ हुई बैठक के नतीजों से अवगत कराया. मैक्रों ने बताया कि भारत और फ्रांस यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए समान प्रतिबद्धता साझा करते हैं. उन्होंने जोर दिया कि दोनों देश अपनी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी के आधार पर आगे भी साथ मिलकर शांति की दिशा में काम करते रहेंगे.”

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष से भी हुई थी मोदी की बात

पीएम मोदी के जापान और चीन के दौरे के बाद वेस्ट देशों में हड़कंप मचा हुआ है. अमेरिका के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत की मित्रता रूस के अलावा चीन से भी बढ़ रही है, जो इन दिनों यूरोप के लिए तनाव का विषय बना हुआ है. शनिवार को मैक्रों और पीएम मोदी के बीच हुई बातचीत से दो दिन पहले गुरुवार को पीएम मोदी और एंटोनियो कोस्टा और ईयू अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच फोन पर संयुक्त वार्ता हुई थी. तीनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र संपन्न करने की प्रतिबद्धता दोहराई और यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.

3 सितंबर को जर्मनी के विदेश मंत्री ने भी पीएम मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की थी. इस दौरान जर्मनी की ओर से भी संकेत दिए गए हैं कि युद्ध पर भारत की भूमिका अहम है और मोदी से मिलने के लिए जर्मन चांसलर दिल्ली आ सकते हैं.

चीन में मोदी-पुतिन के बीच दिखी थी गहरी मित्रता, यूरोप का ट्रंप से मन उचाट

दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिश में जुटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयास फेल होते नजर आ रहे हैं. लेकिन यूरोप के नेता जानते हैं कि पुतिन को पीएम मोदी समझा सकते हैं और वार्ता के लिए तैयार कर सकते हैं. 

चीन में जिस तरह से पीएम मोदी और पुतिन एक दूसरे के साथ 45 मिनट तक कार में रहे, उसके अलावा द्विपक्षीय वार्ता में पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर जोर दिया, उससे यूक्रेन के साथ-साथ यूरोप के देशों को लगता है कि भारत अहम रोल अदा कर सकता है.

वहीं खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये मान चुके हैं, कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकना उनके लिए सबसे कठिन साबित हो रहा है. 

यूरोप का मानना है कि पीएम मोदी, रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता निभाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि ट्रंप बार-बार अपने बयानों के कारण अस्थिर हैं. कभी कहते हैं कि यूक्रेन को हथियार नहीं देंगे, फिर अगले ही पल हथियार दे देते हैं. शांति की बात करते करते ट्रंप यूक्रेन से ये तक कह देते हैं कि क्या यूक्रेनी सेना मॉस्को और जोहान्सबर्ग पर अटैक कर सकती है. 

ट्रंप कभी पुतिन को धमकाते हैं, तो कभी अपना सबसे करीबी मित्र बताते हैं. अलास्का समिट में जिस तरह से बातचीत में पुतिन, ट्रंप पर भारी दिखे, उससे भी यूरोपीय नेताओं को लग रहा है कि अमेरिका के बस की बात नहीं है युद्ध रोकना.

वहीं पीएम मोदी की बात की जाए तो उन्होंने पुतिन से साफ-साफ कह दिया था कि ये युद्ध का युग नहीं है. वहीं यूक्रेन के साथ प्रतिबद्धता जताई. पीएम मोदी वो पहले वैश्विक नेता हैं, जिन्होंने पुतिन-जेलेंस्की दोनों से मुलाकात की थी. 

पीए मोदी और पुतिन बहुत अच्छे दोस्त हैं ये पूरी दुनिया जानती है, लेकिन जिस तरह से अमेरिकी टैरिफ के भारी दबाव के बावजूद भारत ने संकेत दे दिया कि वो रूस के साथ है, और रूस से तेल खरीदता रहेगा. भारत की इस नीति के चलते ट्रंप के सुर भी नरम पड़ गए. और अब गलती का एहसास है.

ऐसे में यूरोप को यकीन है कि भारत की कोशिशों से रूस-यूक्रेन युद्ध थम सकता है. 

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