भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी श्रीलंका के चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं. 22 सितंबर से शुरु हुई इस यात्रा के दौरान भारत-श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की कोशिश होगी. श्रीलंका, हिंद महासागर में भारत का सबसे अहम पार्टनर है. नेवी चीफ के इस दौरे का मुख्य उद्देश्य नौसेना सहयोग को बढ़ाना, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोगात्मक पहलों को बढ़ावा देना है.
कोलंबो में नौसेनाध्यक्ष दिनेश के त्रिपाठी, इन मुद्दों पर चर्चा
सोमवार को चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी कोलंबो पहुंचे हैं. इस दौरान कोलंबो में गैल डायलॉग 2025 में भाग लेंगे.
इस यात्रा के दौरान नौसेना प्रमुख श्रीलंका के प्रधानमंत्री डॉ हरिनी अमरसूर्या से मुलाकात करेंगे और रक्षा सहयोग के व्यापक मामलों पर तीनों सेना प्रमुखों और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे, जिसमें समुद्री सुरक्षा, क्षमता संवर्धन, प्रशिक्षण और सहयोग को मजबूत करने के अवसरों की पहचान पर जोर दिया जाएगा.
‘बदलते हालात में हिंद महासागर की समुद्री दृष्टि पर नौसेनाध्यक्ष का संबोधन
एडमिरल त्रिपाठी कोलंबो में 12वीं गैल डायलॉग 2025 – में हिस्सा लेंगे, जिसका विषय है, बदलते हालात में हिंद महासागर की समुद्री दृष्टि. आपको बता दें कि ये मंच समुद्री सुरक्षा का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है. इसमें वार्षिक रक्षा संवाद, स्टाफ टॉक्स और अन्य ऑपरेशनल गतिविधियां शामिल हैं.
भारतीय नौसेना रक्षा वार्ता, स्टाफ वार्ता और अन्य परिचालनात्मक वार्ताओं के माध्यम से श्रीलंकाई नौसेना के साथ नियमित रूप से बातचीत करती है. इसमें श्रीलंका-भारत नौसेना अभ्यास, जलमार्ग अभ्यास, प्रशिक्षण और हाइड्रोग्राफी आदान-प्रदान शामिल है.
भारत-श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक मित्रता की प्रतीक है नौसेनाध्यक्ष की यात्रा
यह यात्रा भारत-श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक मित्रता के पुलों को मजबूत करने का प्रतीक है, खासकर समुद्री डोमेन में बढ़ते सहयोग के संदर्भ में. हाल ही में दोनों देशों के बीच रक्षा समझौतों ने इस साझेदारी को नई गति प्रदान की है. यह यात्रा भारत-श्रीलंका साझेदारी को भारत सरकार की नेबरहुड फर्स्ट नीति और महासागर पहलों के तहत आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
महासागर’ विजन के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर जोर देता है. यात्रा, आपसी सम्मान, समुद्री विश्वास और साझा हितों पर आधारित संबंधों पर आधारित है.