यूएनजीए में भागीदारी के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर उन देशों को घेरा है, जो आतंकवाद के खिलाफ सहनशील रुख अपनाते हैं. जी 20 विदेश मंत्रियों की बैठक में बिना नाम लिए अमेरिका को भी घेरा है, कहा है कि कुछ देश वैश्विक संघर्ष दोहरा मानदंड अपनाते हैं. शांति विकास को संभव बनाती है, लेकिन विकास को बाधित करना शांति की राह नहीं खोल सकता.
आतंकवाद को नहीं मिलनी चाहिए छूट और न ही दिखाई जानी चाहिए सहनशीलता:जयशंकर
विदेश मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति साफ करते हुए कहा कि “इस पर न कोई सहनशीलता दिखाई जानी चाहिए और न ही किसी तरह की छूट दी जानी चाहिए. क्योंकि आतंकवाद को वैश्विक शांति और विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है. जो देश इसके खिलाफ कार्रवाई करते हैं, वो दरअसल पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की सेवा करते हैं. विकास के लिए सबसे बड़ा व्यवधान आतंकवाद है.”
कुछ देशों के डबल स्टैंडर्ड होने से शांति की राह कठिन हो जाती है:जयशंकर
वैश्विक संघर्षों को लेकर जयशंकर ने कहा, “शांति विकास को सक्षम बनाती है, लेकिन विकास को कमजोर कर हम शांति स्थापित नहीं कर सकते. कूटनीति और बातचीत ही संघर्ष का समाधान हैं, ताकत का प्रदर्शन या हथियारों की होड़ नहीं होनी चाहिए.”
एस जयशंकर ने कहा, “यूक्रेन और गाजा युद्ध ने वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) पर गंभीर असर डाला है. ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक सुरक्षा पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है. आपूर्ति शृंखलाएं और लॉजिस्टिक्स बाधित हुए हैं, जिससे न केवल उपलब्धता बल्कि लागत भी कई देशों के लिए बड़ा दबाव बन गई है.”
नाजुक आर्थिक माहौल को और अनिश्चित बनाने से किसी का भला नहीं: जयशंकर
एस जयशंकर ने वैश्विक संघर्षों के बीच अमेरिकी नीति पर बिना नाम लिए प्रहार किया, कहा, “समान परिस्थिति में अलग-अलग मानदंड अपनाने से शांति की राह और कठिन हो जाती है. पहले से ही नाजुक आर्थिक माहौल में ऊर्जा जैसी जरूरी चीजों को और अनिश्चित बनाना किसी का भला नहीं करता बल्कि केवल मतभेदों को और गहरा करता है.”
यूएन नेशन्स सहित कई संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता: जयशंकर
जयशंकर ने कहा, “कई बार कुछ देशों के पास दोनों पक्षों से बातचीत करने की क्षमता होती है. ऐसे देशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शांति बहाल करने की प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए.”
“आज की अंतरराष्ट्रीय स्थिति राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टि से अस्थिर है. जी-20 सदस्य होने के नाते हमारी विशेष जिम्मेदारी है कि हम स्थिरता को मजबूत करें और इसे सकारात्मक दिशा दें. यह काम संवाद और कूटनीति, आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख, तथा ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने से ही संभव है. मौजूदा हालात इस बात का प्रमाण हैं कि यूनाइटेड नेशंस सहित इन संस्थाओं में सुधार की तत्काल जरूरत है.”
ग्लोबल वर्कफोर्स है वास्तविकता:एस जयशंकर
अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर बढ़ाई गई फीस को लेकर उपजे विवाद पर बिना नाम लिए जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, “यह एक सच्चाई है. आप इससे भाग नहीं सकते. वैश्विक कार्यबल राजनीतिक बहस का विषय हो सकता है लेकिन, इससे कोई बच नहीं सकता. अगर आप मांग और जनसांख्यिकी को देखें, तो कई देशों में मांगें पूरी नहीं हो पाती हैं, सिर्फ राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण.” विदेश मंत्री ने एक ऐसे वैश्विक कार्यबल के निर्माण का आह्वान किया “जो अधिक स्वीकार्य, समकालीन और कुशल हो.”