अंतर्राष्ट्रीय संबंध जरूरी, लेकिन मजबूरी नहीं. ये बड़ा बयान दिया है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने. संघ के शताब्दी समारोह और विजयादशमी के कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर बात करते हुए मोहन भागवत ने बाहरी निर्भरता से बचने का आह्वान किया है. संघ प्रमुख का बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर भारत पर दबाव बनाया जा रहा है.
ट्रंप के टैरिफ, पहलगाम में आतंकी हमला, भारत के पड़ोस में बांग्लादेश से लेकर नेपाल में हो रहे विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र किया
मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए बाहरी निर्भरता, संबंध जरूरी लेकिन सद्भाव के आधार पर: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने अमेरिका के टैरिफ दबाव की बात स्वीकार करते हुए भारत के आर्थिक प्रगति की सराहना की है. कहा, “मौजूदा वैश्विक आर्थिक प्रणाली की खामियों पर चिंता जताते हुए भागवत ने कहा, यह प्रणाली अमीरी-गरीबी के अंतर को बढ़ाती है, आर्थिक शक्ति को कुछ हाथों में केंद्रित करती है और शोषण तथा पर्यावरण हानि को बढ़ावा दे सकती है.”
भागवत ने कहा, “देश आर्थिक विकास कर रहा है, लेकिन प्रचलित अर्थ प्रणाली के कुछ दोष भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में हमें मौजूदा अर्थ प्रणाली पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए. निर्भरता मजबूरी में न बदलनी चाहिए. इसलिए निर्भरता को मानते हुए इसको मजबूरी न बनाते हुए जीना है तो स्वदेशी और स्वावलंबी जीवन जीना पड़ेगा. साथ ही राजनयिक, आर्थिक संबंध भी दुनिया के साथ रखने पड़ेंगे, लेकिन उन पर पूरी तरह से निर्भरता नहीं रहेगी.”
आरएसएस प्रमुख ने आत्मनिर्भरता, स्वावलंबन और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करना आवश्यक है, लेकिन यह हमारी अपनी इच्छा और सद्भाव पर आधारित होना चाहिए, न कि मजबूरी पर.
पहलगाम नरसंहार ने हमारे सच्चे मित्रों को उजागर किया:मोहन भागवत
मोहन भागवत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले पर बात करते हुए उन देशों की तारीफ की, जो भारत के साथ खड़े थे. संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा, “सीमा पार से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीयों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी. इस आतंकी हमले से देश शोक और आक्रोश में था. पूरी तैयारी के साथ हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने करारा जवाब दिया. सरकार का समर्पण, सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज में एकता ने देश में एक आदर्श वातावरण प्रस्तुत किया. इस घटना और हमारे ऑपरेशन के बाद विभिन्न देशों द्वारा निभाई गई भूमिका ने हमारे सच्चे मित्रों को उजागर किया. देश के भीतर भी ऐसे असंवैधानिक तत्व हैं जो देश को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं.”
भारत में अशांति फैलाने वाली ताकतें अंदर और बाहर दोनों जगह मौजूद हैं: मोहन भागवत
संघ प्रमुख ने हाल ही में नेपाल में हुए जेन ज़ी विद्रोह पर चिंता जताते हुए कहा, “भारत के पड़ोसी देश में ऐसी उथल पुथल होना हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि हमारे पड़ोसी से हमारा आत्मीयता का संबंध है.”
मोहन भागवत ने कहा, “प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है. हिंसा से उथल-पुथल आती है, लेकिन पूरी तरह से परिवर्तन नहीं हुआ. हाल के समय में विभिन्न देशों में कथित क्रांतियां हुईं, लेकिन कहीं कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हो सका. हमारे पड़ोसी देशों में हिंसक उथल-पुथल होना हमारे लिए चिंता का विषय है. भारत में ऐसी अशांति फैलाने की चाह रखने वाली ताकतें देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं.”
आज सांप जैसे दोस्त हो गए, भारत की तरक्की से डर रहे: भागवत
हाल ही में मोहन भागवत ने एक सांप की कहानी सुनाते हुए अमेरिका और पाकिस्तान की दोस्ती पर कटाक्ष किया था. मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था, कि “आज बहुत से लोगों में भाव होता है कि ये बड़ा हो जाएगा तो क्या होगा. भारत अगर बड़ा हो गया तो क्या होगा तो इस पर टैरिफ लगाओ पर जिससे सच में डर है उसको पुचकार रहा है कि अगर उस देश का साथ रहेगा तो भारत पर दबाव बनाया जा सकता है पर आप तो सात समुंदर पार बैठे हैं आपको भारत से क्या डर?”