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कोरियाई ‘डोनाल्ड ट्रंप’ से मिले क्या आप

पूरी दुनिया का ध्यान जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उद्योगपति एलन मस्क के बीच खींचतान की ओर है, वहीं साउथ कोरिया में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम घटा है. दक्षिण कोरिया में विपक्षी नेता ली जे-म्योंग को देश की जनता ने अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया है.

ली जे म्योंग की चर्चा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि म्योंग को लोग और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स ‘कोरियाई डोनाल्ड ट्रंप’ बता रहे हैं. मतलब साफ है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह और ट्रंप से जुड़ी सुर्खियों के अलावा अब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के निर्णय भी सुर्खियां बटोरेंगे.

सत्ता में वो शख्स जिसके चलते लगा था मार्शल लॉ

पिछले साल दिसंबर में अचानक साउथ कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाया था. मार्शल लॉ के पीछे तर्क था कि विपक्ष के कुछ बड़े नेता उत्तर कोरिया के इशारे पर काम कर रहे हैं. जिन विपक्षी पार्टियों के उत्तर कोरिया से हाथ मिलाए जाने का आरोप योल ने लगाए थे, उसी विपक्षी पार्टी ने इस महीने सत्ता में वापसी की है. 

छह महीने के हाई पॉलिटिकल ड्रामे के बाद दक्षिण कोरिया में आम चुनाव कराए गए. 3 जून को विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के ली को 49 प्रतिशत वोट मिले. योल के प्रॉक्सी उम्मीदवार किम मून सो को 41 प्रतिशत वोट मिले.

साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति का आपराधिक रिकॉर्ड

ली के राष्ट्रपति पद का रास्ता भी सुप्रीम कोर्ट की दहलीज से होकर गुजरा है. इलेक्शन से पहले अगर सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने धांधली के मामले में री-ट्रायल का आदेश न दिया होता तो, ली के लिए चुनाव में लड़ना मुश्किल हो सकता था. ऐसे में कोरिया के नागरिक पूछ रहे हैं कि अगर री-ट्रायल में ली के खिलाफ आरोप सही पाए गए तो फिर क्या होगा. 

ये अकेला आपराधिक मामला ली के खिलाफ नहीं है. तत्कालीन राष्ट्रपति मून जे इन (2017-22) के दौरान ली पर उत्तर कोरिया में करेंसी स्मगलिंग से लेकर भ्रष्टाचार, पद का दुरुपयोग, न्यायिक अवहेलना और चुनाव में धांधली जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. खास बात ये है कि मून जे इन भी ली की पार्टी (डेमोक्रेटिक पार्टी) से ही ताल्लुक रखते थे. ऐसे में ली ने सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था. क्योंकि ली को मून का राजनीतिक-प्रतिद्धंदी माना जाता था.

ली पर कोर्ट में आरोप सिद्ध हो सकते थे, अगर इन मामलों से जुड़े पांच अहम गवाहों की संदिग्ध मौत नहीं होती. इन गवाहों ने या तो आत्महत्या कर ली थी या ट्रायल के दौरान स्वाभाविक मौत हो गई थी. कोरियाई पुलिस को हालांकि, इन सभी मौतों में कोई साजिश नजर नहीं आई और सभी केस फाइल बंद कर दी गई.  

ट्रंप की तरह साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति भी बड़बोले

ट्रंप की तरह ली को भी कोरियाई राजनीति का बड़बोला कहा जाता है. सत्ता में आते ही ली जे-म्योंग ने उत्तर कोरिया के साथ रिश्तों को सुधारने की घोषणा की है. ली जे-म्यांग ने कहा कि वह पड़ोसी देशों के साथ व्यावहारिक कूटनीति का पालन करेंगे और सियोल-वॉशिंगटन-टोक्यो सहयोग को बढ़ावा देंगे. वह उत्तर कोरिया के साथ संवाद चैनल खोलेंगे. बातचीत और सहयोग के माध्यम से कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति स्थापित करेंगे. 

कोरिया के ट्रंप (यानी ली) को अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों से भी दो-चार होना पड़ेगा. कोरियाई युद्ध (1950-53) के बाद से ही साउथ कोरिया की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका के हाथों में है. नॉर्थ कोरिया के पारंपरिक युद्ध और न्यूक्लियर वॉर, दोनों के खिलाफ अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को सुरक्षा का करार किया हुआ है. बावजूद इसके, ट्रंप ने ट्रेड-वॉर की लिस्ट में दक्षिण कोरिया को शामिल कर लिया है. साथ ही दक्षिण कोरिया में तैनात करीब 30 हजार अमेरिकी सैनिकों के लिए दी जाने वाली राशि को भी बढ़ाए जाने का मन ट्रंप ने बना रखा है.

साफ है कि दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली को चुनौती सिर्फ डीएमजेड (डि-मिलिट्राइज जोन) पर सनकी तानाशाह किम जोंग उन की बैलिस्टिक मिसाइल से ही नहीं बल्कि ओरिजनल ट्रंप से भी है. लेकिन कुछ समय के लिए ली चैन की सांस ले सकते हैं. क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल एलन मस्क के साथ नूरा-कुश्ती में व्यस्त हैं.

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