भारतीय वायुसेना का रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले लड़ाकू विमान मिग 21 के रिटायरमेंट से पहले वायु सेनाध्यक्ष ने उड़ान भरकर दी है सलामी.
62 साल से वायुसेना में सेवा देने के बाद अगले महीने मिग 21 को पूरी तरह से रिटायर कर दिया जाएगा. लेकिन उससे पहले आखिरी बार एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने आखिरी बार मिग-21 फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाया. आपको बता दें कि 40 साल पहले एयरचीफ मार्शल मे मिग 21 से ही ट्रेनिंग ली थी.
एयरफोर्स चीफ ने भरी मिग 21 में सोलो उड़ान
नाल एयरफोर्स स्टेशन पर एयरफोर्स चीफ ने मिग-21 उड़ाया है. एयर चीफ ए पी सिंह ने मिग-21 की सोलो सॉर्टी ली. एक महीने बाद 60 के दशक का दुनिया का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट मिग-21 हमेशा हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना से रिटायर हो जाएगा.
बताया जा रहा है कि उड़ान से पहले एयरफोर्स चीफ ने मिग 21 की ट्रेनिंग ली, उसके बाद विमान को उड़ाया. एयर चीफ मार्शल सिंह ने सोलो उड़ान भरी. एयरचीफ मार्शल मे मिग-21 को फॉर्मेशन में भी उड़ाया. ये दो मिग-21 की फॉर्मेशन थी. एक मिग-21 स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया फ्लाई कर रही थीं और दूसरा मिग-21 एयरफोर्स चीफ उड़ा रहे थे. स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया ने इस फॉर्मेशन को लीड किया. एयरफोर्स चीफ ने इस तरह मिग-21 फाइटर जेट को विदाई दी.
तेजस एमके 2, राफेल, सु-30 लेगें मिग 21 की जगह: एयरफोर्स चीफ
फ्लाइंग के बाद एयरफोर्स चीफ ने कहा, “पहली बार 1985 में तेजपुर में मैंने मिग-21 टाइप 77 को उड़ाया था. मुझे लगता है कि यह एक ऐसा विमान होगा जिसे उड़ाने वाले लोग जरूर याद करेंगे. अब हमें आगे बढ़ना होगा क्योंकि यह तकनीक पुरानी हो चुकी है. अब इस तकनीक को बनाए रखना बहुत मुश्किल है. इसलिए हमने इस विमान को बंद करने का फैसला किया है और नए प्लेटफॉर्म जैसे तेजस एमके 2, राफेल, सु-30 प्लेटफॉर्म इसकी जगह लेंगे जो कि पहले से ही उड़ान भर रहे हैं.”
26 सितंबर को आखिरी बार आधिकारिक तौर पर उड़ान भरेंगे मिग-21
उड़ता हुआ ताबूत के नाम से बदनाम हुए मिग 21 लड़ाकू विमानों विदाई होने जा रही है. पिछले 62 सालों से सबसे ज्यादा उड़ाए जाने के बावजूद मिग 21 हमेशा से विवादों में रहा है. लेकिन अब मिग-21 फाइटर जेट आखिरकार पूरी तरह रिटायर होने जा रहा है. 26 सितंबर को चंडीगढ़ में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और मिग-21 के मौजूदा और रिटायर फाइटर पायलट की मौजूदगी में एक सैन्य समारोह में विदाई दी जाएगी. इस वक्त वायुसेना के पास मिग-21 की दो (02) स्क्वाड्रन हैं लेकिन उनका इस्तेमाल फ्लाइंग के लिए नहीं किया जाता है.
मिग-21 ने वर्ष 2023 में प्रयागराज में वायुसेना दिवस (8 अक्तूबर) को अपनी आखिरी उड़ान भरी थी. लगातार हो रहे क्रैश के चलते, तभी से मिग-21 को ‘ग्राउंड’ कर दिया गया था. उसी दौरान ही तत्कालीन वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने मिग-21 की रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी.
इस वक्त वायुसेना में मिग-21 की जो दो (02) स्क्वाड्रन हैं, वे राजस्थान के नाल एयरबेस पर तैनात रहती हैं. नाल एयरबेस पर ही वायुसेनाध्यक्ष ने मिग 21 में उड़ान भरी है.
विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग 21 से पाकिस्तान के एफ 16 को मार गिराया था
साल 1963 में रूस में निर्मित मिग 21 को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. ये भारत के पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट थे. इसके बाद रूस से लाइसेंस पर मिग-21 का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा देश में ही किया जाने लगा.
पिछले 62 सालों में वायुसेना ने करीब 850 मिग-21 फाइटर जेट को ऑपरेट किया है. 1965 के पाकिस्तान युद्ध से लेकर ऑपरेशन बालाकोट (2019) तक मिग-21 ने देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा की थी, जब विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान में घुसकर अमेरिका में बने एफ-16 को मार गिराया था.
400 मिग विमान क्रैश, उड़ता हुआ ताबूत कहा जाने लगा था
पिछले 60 सालों में वायुसेना के करीब 400 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिसके बाद लगातार इन विमानों को वायुसेना से हटाए जाने की मांग की जा रही थी. मिग-21 के क्रैश की घटनाओं को देखते हुए उन्हें फ्लाइंग-कॉफिन का नाम दिया जाने लगा था. इन दुर्घटनाओं में भारत के 170 पायलट की जान गई है.
वर्ष 2023 में हुए हादसे के बाद मिग-21 के पूरे बेड़े की उड़ान पर वायुसेना ने रोक लगा दी थी. 8 मई 2023 को राजस्थान में उड़ान के दौरान एक मिग-21 विमान क्रैश हो गया था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. ये कोई पहला मौका नहीं था जब मिग 21 हादसे का शिकार हुआ था.
मिग 21 क्रैश पर बनाई गई आमिर की ‘रंग दे बसंती’ फिल्म
बड़ी संख्या में देश के जांबाज फाइटर पायलट की जान क्रैश में होने के थीम पर बॉलीवुड की ‘रंग दे बसंती’ जैसी फिल्म बनाई गई, लेकिन वायुसेना के पास इन मिग-21 फाइटर जेट को रिप्लेस करने के लिए कोई नया लड़ाकू विमान नहीं था. इसलिए वायुसेना की मजबूरी थी कि देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा इन्ही फाइटर जेट से की जाए. बार-बार हो रहे हादसों के बाद वायुसेना ने इन मिग-21 को अपग्रेड किया करके ‘बाइसन’, मिग-21 बाइसन नाम दिया, लेकिन क्रैश नहीं रुका.
क्यों हादसे का शिकार होता रहा मिग-21, ये है वजह
मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट फाइटर जेट है. भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1960 में मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था. सोवियत रूस के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो ने इसे 1959 में बनाना शुरु किया था. यह विमान 18 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. ये एअर टू एअर मिसाइलों और बम को अपने साथ ले जाने में सक्षम है. इसकी स्पीड अधिकतम 2,230 किलोमीटर प्रति घंटे यानी 1,204 नॉट्स (माक 2.05) तक की हो सकती है.
इसकी खामियों की बात की जाए तो इस विमान की पायलट विंडो की डिजायन ऐसी है कि इससे पायलट को रनवे देखने में परेशानी होती है. इसके अलावा विमान को लेकर शिकायत की जाती रही है कि लैंडिंग के वक्त तेजी से लैंड करता है, जिससे क्रैश होने का खतरा बहुत अधिक होता है.