देश के सीनियर टेस्ट पायलट एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह को सरकार ने अगला वायुसेनाध्यक्ष नियुक्त किया है. इसी महीने की 30 सितंबर को मौजूदा एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी के रिटायरमेंट पर अमरप्रीत सिंह देश की वायुसेना की कमान संभालेंगे.
हाल ही में तरंग-शक्ति एक्सरसाइज के दौरान स्वदेशी फाइटर जेट लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस को अकेले उड़ाकर एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. फिलहाल, एयर मार्शल सिंह सह-वायुसेनाध्यक्ष (वाइस चीफ) के पद पर तैनात हैं.
वर्ष 1984 में एयर मार्शल सिंह, भारतीय वायुसेना में एक फाइटर पायलट के तौर पर शामिल हुए थे. पिछले 40 सालों में सिंह ने कई कमांड और स्टाफ पोस्ट पर अपनी सेवाएं दी हैं. वे वायुसेना की साउथ-वेस्ट कमांड (गांधीनगर हेडक्वार्टर) में सीनियर एयर स्टाफ ऑफिसर और प्रयागराज स्थित सेंट्रल कमांड में एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं.
नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) से पढ़ाई कर चुके एयर मार्शल सिंह को करीब पांच हजार (5000) घंटे फ्लाइंग का अनुभव हैं. वायुसेना में उन्हें एक टेस्ट पायलट और फ्लाइट-इंस्ट्रक्टर के तौर पर जाना जाता है, जो लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हेलीकॉप्टर को भी उड़ाने की क्षमता रखते हैं.
टेस्ट पायलट के तौर पर एयर मार्शल सिंह ने रूस में मिग-29 फाइटर जेट के अपग्रेड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम की कमान का नेतृत्व किया था. इसके अलावा एलसीए तेजस के परीक्षण के दौरान भी उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर (फ्लाइट टेस्ट) के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी.
नए वायुसेनाध्यक्ष अपने बेबाकी के लिए भी जाने जाते है. हाल ही में उन्होंने डीआरडीओ और सरकारी आर्म्स कंपनियों के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों के सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में साफ कह दिया था कि “राष्ट्र की सुरक्षा आत्मनिर्भरता की कीमत पर नहीं हो सकती है.” ऐसे में उन्होंने कहा था कि “हम आत्मनिर्भरता पर तभी सवार हो सकते हैं जब डीआरडीओ से लेकर डीपीएसयू और निजी उद्योग तक हर कोई हाथ पकड़कर हमें उस रास्ते पर ले जाए और हमें उस रास्ते से न भटकें.” सिंह ने कहा कि “अगर हमें देश की रक्षा करनी है तो यह हर किसी का काम है. यह सिर्फ वर्दीधारी का काम नहीं है.”
वायुसेना प्रमुख के तौर पर एयर मार्शल सिंह के समक्ष फाइटर जेट की घटती स्क्वाड्रन और एलसीए तेजस के मार्क-1ए और मार्क-2 वर्जन को शामिल करना है. साथ ही सरकार की तरफ से थिएटर कमांड बनाने में तेजी लाने को लेकर भी वायुसेना को तैयार करना सिंह के लिए बड़ी चुनौती है.