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आर्टिलरी और AK-203 के साथ अमेरिका के साथ युद्धाभ्यास जल्द

भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंध जैसे ही पटरी पर आने शुरू हुए हैं, दोनों देशों की सेनाओं ने साझा युद्धाभ्यास की तैयारी शुरु कर दी है. अगले हफ्ते राजस्थान के थार रेगिस्तान में भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास होने जा रहा है. खास बात ये है कि पहली बार अमेरिका अपने आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम को मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा लेने के लिए लेकर आ रहा है.

राजस्थान की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच होने वाले सालाना ‘युद्धाभ्यास’ का 20 वां संस्करण 9 सितंबर से शुरु हो रहा है (9-24 सितंबर). इसके लिए दोनों देशों के 600-600 सैनिक इस मिलिट्री-एक्सरसाइज में हिस्सा ले रहे हैं, जिसे ‘युद्ध-अभ्यास’ के नाम से ही जाना जाता है.

ये युद्धाभ्यास एक साल अमेरिका में होता है और एक साल भारत में. पिछले साल ये मिलिट्री एक्सरसाइज अमेरिका के अलास्का में आयोजित की गई थी. ऐसे में इस साल भारत में इसका आयोजन हो रहा है.

अभी तक अमेरिकी सेना जब भी भारत में युद्धाभ्यास के लिए आती थी तो अपने ‘स्ट्राइकर’ व्हीकल (आर्मर्ड पर्सनल कैरियर) के साथ ही आती थी. अमूमन, यूएस आर्मी की स्ट्राइकर ब्रिगेड ही भारतीय सेना के साथ साझा युद्धाभ्यास करती आई है. लेकिन इस बार यूएस आर्मी अपने मोबाइल आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम के साथ भारत पहुंच रही है. क्योंकि वर्ष 2021 में भारत ने टैंक और तोप का इस्तेमाल भी अमेरिकी युद्धाभ्यास में किया था.

रूस-यूक्रेन युद्ध में बड़ी संख्या में आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही भारत के साथ साझा युद्धाभ्यास में रूस की सेना हमेशा से मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम और हेवी वैपन्स का इस्तेमाल करती है. ऐसे में इस साल अमेरिका के हथियारों में रॉकेट सिस्टम भी जुड़ गया है.

खास बात ये है कि भारतीय सेना भी इस एक्सरसाइज में रूस की मदद से देश में ही तैयार की गई एके-203 राइफल का इस्तेमाल पहली बार करने जा रही है. इन असॉल्ट राइफल को भारत और रूस ने मिलकर कोरवा (अमेठी) स्थित प्लांट में तैयार किया है. हाल ही में भारतीय सेना को 35 हजार एके-203 की पहली खेप कोरवा प्लांट से हासिल हुई है.

पहले यूक्रेन युद्ध में रूस की खुलकर आलोचना न करने और फिर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के मामले के चलते भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास आ गई थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कीव (यूक्रेन) दौरे और फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिका यात्रा से संबंध फिर से पटरी पर आते दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में पूरी दुनिया की निगाहें, दोनों देशों के बीच होने वाली साझा मिलिट्री एक्सरसाइज पर लगी होगी.