स्वदेशी मिसाइल प्रणाली ‘आकाश’ से आसमान में एक साथ चार निशाने लगाकर भारत ने इतिहास रच दिया है. डीआरडीओ का दावा है कि एक फायरिंग यूनिट से 25 किलोमीटर की रेंज में एक साथ चार एरियल टारगेट को तबाह करने वाला भारत पहला देश बन गया है. भारतीय वायुसेना की ‘अस्त्र-शक्ति’ एक्सरसाइज के दौरान इस क्षमता को प्रदर्शित किया गया.
‘आकाश’ भारत की स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो जमीन से आसमान में मार करती है. इसकी रेंज करीब 25 किलोमीटर है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार इस मिसाइल प्रणाली को भारतीय वायुसेना में वर्ष 2012 में शामिल किया गया था. मिसाइल का उत्पादन सरकारी उपक्रम बीईएल और बीडीएल, एलएंडटी और टाटा जैसी प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर करती हैं. वर्ष 2015 में भारतीय वायुसेना में कुल 10 स्क्वाड्रन थीं जिन्हें तेजपुर, जोरहाट, हासीमारा और पुणे जैसे महत्वपूर्ण एयरबेस पर तैनात किया गया था.
वर्ष 2015 में भारतीय सेना यानी थलसेना में भी आकाश मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया था ताकि सैनिकों और टैंकों के काफिलों को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान की जा सके. आकाश को शुरुआत में एक सर्फेस टू एयर मिसाइल के तौर पर ईजाद किया गया था. लेकिन बाद में इसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाने लगा. डीआरडीओ के मुताबिक, आकाश वेपन सिस्टम करीब 2000 स्क्वायर किलोमीटर की रेंज में पूरी तरह सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
आकाश मिसाइल सिस्टम की एक बैटरी में चार लॉन्चर होते हैं. एक लॉन्चर में तीन मिसाइल होती हैं. एक बैटरी एक साथ 64 टारगेट को डिटेक्ट कर सकती है और एक बार में 12 एरियल टारगेट को तबाह भी कर सकती है.
लेकिन डीआरडीओ ने जो हालिया परीक्षण किया है वो इस मायने में बेहद अहम हो जाता है कि अगर भारत के किसी महत्वपूर्ण एयरबेस या फिर संस्थान पर एक साथ चौतरफा हमला हो तो कम दूरी पर उन हमलों को एक साथ कैसे आसमान में ही तबाह कर देना है. ये एरियल अटैक किसी रॉकेट, मिसाइल, ड्रोन या फिर फाइटर जेट का भी हो सकता है. डीआरडीओ ने खुद इस नए कीर्तिमान को लेकर जानकारी साझा की और साथ ही एक्चुअल कॉम्बेट ऑपरेशन का ग्राफिकल-रिप्रेजेंटेशन भी जारी किया. डीआरडीओ के मुताबिक, जिस आकाश वेपन सिस्टम से ये परीक्षण किया गया, वो भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े का वर्ष 2019 से हिस्सा है.
इजरायल-हमास युद्ध से सीख लेते हुए डीआरडीओ ने ये परीक्षण किया है. क्योंकि इसी साल 7 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास ने इजरायल के दक्षिणी इलाकों में एक साथ कई हजार रॉकेट दाग दिए थे जिसके कारण इजरायल का बेहद शक्तिशाली माने जाने वाला आयरन-डोम एयर डिफेंस सिस्टम भी नाकाम हो गया था. यही वजह है कि आकाश का एक तीर से चार शिकार करने वाला टेस्ट बेहद अहम हो जाता है. डीआरडीओ का दावा है कि ये भारत की सैन्य-क्षमताओं का प्रदर्शन है.
भारत के पास आकाश के फिलहाल तीन वर्जन हैं. पहला है आकाश-1एस, दूसरा है आकाश-प्राइम, जिसकी रेडियो फ्रीक्वेंसी एस1 से उत्तम है. तीसरा वर्जन है आकाश-एनजी यानि नेक्सट जेनरेशन. आकाश-एनजी की रेंज 1ए से ज्यादा है और इसकी मारक-क्षमता ज्यादा सटीक है.
वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने आकाश वेपन सिस्टम को मित्र-देशों को एक्सपोर्ट करने की मंजूरी भी प्रदान कर दी थी. फिलीपींस, बेलारुस, वियतनाम, आर्मेनिया और सूडान जैसे देशों ने आकाश को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.
वायुसेना सूर्यालंका एयरबेस में चल रही ‘अस्त्र-शक्ति’ युद्धाभ्यास के दौरान स्वदेशी समर मिसाइल प्रणाली का भी प्रदर्शन किया गया. दरअसल, समर रुस से ली गई एक पुरानी एयर टू एयर मिसाइल थी जिसे भारतीय वायुसेना के बेस रिपेयर डिपो ने एयर डिफेंस सिस्टम में तब्दील कर सरफेस टू एयर मिसाइल में तब्दील कर दिया गया है. समर की फुल फॉर्म है सर्फेस टू एयर मिसाइल फॉर एश्योर्ड रिटैलिएशन. वर्ष 2021 में गुजरात के केवडिया में हुए कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में वायुसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये इनोवेशन दिखाया था.
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