वैश्विक मंच पर पाकिस्तान और उसके मित्र तुर्किए जैसे देश भले ही कश्मीर का रोना रोते रहे, लेकिन अमेरिका ने साफ-साफ कह दिया है कि वो कश्मीर मामले में दखल नहीं देगा. टैरिफ मामले में भारत की विदेशनीति और कूटनीति के आगे पस्त पड़े अमेरिका ने बयान जारी करके कहा है कि वो कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का है.
कश्मीर मामले में हम नहीं दखल देंगे- अमेरिकी विदेश विभाग
अमेरिकी विदेश विभाग ने कश्मीर मुद्दे पर अपने ताजा बयान में कहा है, ट्रंप को इस मामले को सुलझाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. भारत और पाकिस्तान के मसलों पर अमेरिका ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का ध्यान रखता है और अपने हितों के हिसाब से फैसले लेता है. कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का मामला है.
कश्मीर हमारा आंतरिक मामला, किसी को बोलने का अधिकार नहीं
भारत हमेशा से कहता आया है कि कश्मीर पर किसी देश को बात करनी नहीं चाहिए. यहां तक की भारत की ओर से ये कहा जा चुका है कि कश्मीर तो कोई मुद्दा भी नहीं है. जम्मू-कश्मीर भारत का भारत का अभिन्न अंग है. बात करनी हो तो पीओके पर हो, जो अवैध तरीके से पाकिस्तान के कब्जे में है.
माना जा रहा है कि रूसी तेल को लेकर भारत से भिड़ा अमेरिका इस वजह से ही कश्मीर पर भी पंगा नहीं लेना चाहता है. क्योंकि कश्मीर पर भारत की एकदम साफ नीति है.
वैश्विक मंच पर कश्मीर के नाम पर रोता रहता है पाकिस्तान
पाकिस्तान की हमेशा से कोशिश रही है कि अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र या ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन जैसे मंचों से भारत पर दबाव डालने की कोशिश करे, लेकिन ट्रंप प्रशासन का यह रुख भारत के पक्ष में है, क्योंकि भारत हमेशा से इस मुद्दे को द्विपक्षीय मामला मानता आया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, फेल्ड मार्शल (फील्ड मार्शल) असीम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए न्यूयॉर्क से वाशिंगटन पहुंचे. लेकिन ट्रंप के सामने कश्मीर के लिए गिड़गिड़ाते उससे पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ कह दिया है कि ये मुद्दा अमेरिका का नहीं है.
यूएनजीए में पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर तुर्किए को किया आगे
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने इसी सप्ताह यूएनजीए के 80वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया. वो इसलिए क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्किए की भी भारतीय सेना ने जमकर कुटाई की थी. इसी बात से बिलबिलाए एर्दोगन ने यूएन के मंच से कहा, “दक्षिण एशिया में हम शांति और स्थिरता को बचाए रखने को अत्यंत अहम मानते हैं. हम पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले अप्रैल में तनाव के बाद हुए सीजफायर से खुश हैं, जो तनाव संघर्ष में बदल गया था. हमें उम्मीद है कि कश्मीर में हमारे भाइयों और बहनों की बेहतरी के लिए कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए.”
यूएनजीए के इतने अहम सम्मेलन में बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी हरकत नजर करते नजर आए मुस्लिम देशों के खलीफा बने फिर रहे एर्दोगन. ये वही एर्दोगन हैं, जो पहलगाम नरसंहार के बाद शहबाज शरीफ के साथ मुसकुराते नजर आए थे.
एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोगन ने अपने संबोधन में कश्मीर के समाधान पर अपील की है. जबकि भारत पहले ही बता चुका है कि कश्मीर कोई मुद्दा है ही नहीं. बात हो तो पीओके (पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर) पर हो.