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लद्दाख में Apache हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पायलट सुरक्षित

भारतीय वायुसेना का एक अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर चीन से सटी एलएसी के करीब लद्दाख में दुर्घटना का शिकार हो गया है. गनीमत ये रही कि दोनों पायलट दुर्घटना में सुरक्षित बच गए. लेकिन अपाचे हेलीकॉप्टर को दुर्घटना में नुकसान पहुंचा है. वायुसेना ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. 

वायुसेना के मुताबिक, बुधवार को एक ऑपरेशन्ल ट्रेनिंग उड़ान के दौरान अपाचे हेलीकॉप्टर को लद्दाख के एरिया में प्रीकॉशनरी लैंडिंग करनी पड़ी. हालांकि, वायुसेना ने ये साफ नहीं किया है कि आखिर इस तरह की एतियातन लैंडिंग का कारण क्या था लेकिन ये जरुर बताया कि इस दौरान बेहद ऊंचाई वाले ऊबड़-खाबड़ इलाके के चलते अपाचे को जरूर नुकसान आया है. दोनों पायलट लैंडिंग के दौरान सुरक्षित रहे और निकट के एयरबेस पर शिफ्ट कर दिया गया है. 

पिछले एक साल में अपाचे से जुड़ी ये दूसरी दुर्घटना है. पिछले साल मई के महीने में भी अपाचे हेलीकॉप्टर ने मध्य प्रदेश के भिंड इलाके में टेक्निकल खामियों के चलते प्रीकॉशनरी लैंडिंग की थी. दरअसल, ये एक तरह की इमरजेंसी लैंडिंग होती है जो फ्लाइट के दौरान एयरक्राफ्ट में आई किसी तकनीकी कारणों के चलती की जाती है. अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित अपाचे दुनिया के बेहतरीन अटैक हेलीकॉप्टर में शुमार हैं. वर्ष 2019 में अमेरिका के साथ किए गए करार के तहत 

भारतीय वायुसेना में 22 अपाचे (एएच-64) हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया था. इसके बाद भारतीय सेना (थलसेना) ने भी वर्ष 2020 में छह (06) अपाचे हेलीकॉप्टर लेने का करार बोइंग कंपनी से किया है. 

इस बीच भारतीय वायुसेना ने गगन-शक्ति एक्सरसाइज के तहत कश्मीर घाटी में इमरजेंसी लैंडिंग फैसिलिटी (ईएलएफ) पर अपने ऑपरेशन्स की ड्रिल की. इसके लिए सैनिकों को चिनूक, एमआई-17 वी5 और एएलएच मार्क-3 हेलीकॉप्टर के जरिए श्रीनगर-अनंतनाग हाईवे पर एयरलिफ्ट और उतारने की ट्रेनिंग की. वायुसेना के मुताबिक, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आने वाले दिनों में इसी तरह की ड्रिल अन्य जगह भी की जाएगी. इन ईएलएफ पर फिक्स्ड विंग (लड़ाकू विमान और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट) और रोटरी विंग (हेलीकॉप्टर) दोनों के ही ऑपरेशन्स को परखा जाएगा. वायुसेना के मुताबिक, इस तरह के ऑपरेशन्स  प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में काफी सहायक साबित होते हैं. साथ ही इस तरह के हाईवे से सैनिकों की हवाई उड़ान भरने से सशस्त्र सेनाओं की ऑपरेशन्ल क्षमताएं भी काफी बढ़ जाएंगी. 

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