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Jungle survival क्यों है सैनिकों के लिए जरूरी


भारत और थाईलैंड के बीच चल रही मिलिट्री एक्सरसाइज ‘मैत्री’ समाप्त हो चुकी है. लेकिन एक्सरसाइज के दौरान एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है. ये तस्वीर है भारतीय सेना के एक एएमसी ऑफिसर की जो एक सांप का खून पीता दिखाई पड़ रहा है.

भारतीय सेना की मिलिट्री ट्रेनिंग का एक अहम हिस्सा है ‘जंगल-सर्वाइवल’, जिसमें खाने-पीने के लिए जीव-जंतुओं पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में थाईलैंड में आयोजित एक्सरसाइज के दौरान जंगल-ड्रिल में भारतीय सेना के एक डॉक्टर ने सांप का खून पीकर दिखाया.

सोमवार (15 जुलाई) को समाप्त हुई मैत्री एक्सरसाइज में भारतीय सेना की लद्दाख स्काउट्स ने हिस्सा लिया था. एक्सरसाइज में एक आर्मी मेडिकल कोर (एएमसी) के डॉक्टर को भी ट्रेनिंग दल का हिस्सा बनाया गया था.

एक्सरसाइज से आई तस्वीर में एक जंगल में भारत और थाईलैंड के सैनिक दिखाई पड़ रहे हैं. एक थाई सैनिक ने सिर कटे सांप को अपने हाथों में पकड़ा हुआ है. सांप के सिर से खून बह रहा है. थाई सैनिक के ठीक सामने भारतीय सेना के एएमसी ऑफिसर बैठे हुए हैं और उनके मुंह पर खून लगा हुआ है. तस्वीर देखकर साफ है कि उन्होंने उस (कोबरा) सांप का खून पिया है.

तस्वीर में मिलिट्री-डॉक्टर को खून पीता देख दोनों देशों के सैनिक अचंभित भी हैं और हंस भी रहे हैं. दरअसल, भारतीय सेना की तैनाती उत्तर-पूर्व के जंगलों में एक लंबे समय से रही है. ऐसे में कई कई दिनों तक ऑपरेशन के लिए म्यांमार बॉर्डर पर सैनिकों को रहना पड़ता है. यही वजह है कि भारतीय सेना के मिजोरम स्थित वारंगते जंगल वारफेयर स्कूल में जंगल-सर्वाइवल का खास प्रशिक्षण दिया जाता है.

सोमवार को समाप्त हुई मैत्री एक्सरसाइज भारत और थाईलैंड की सेनाओं के बीच 13वां संस्करण था. पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच संबंध काफी मजबूत हुई हैं.

पिछले हफ्ते यानी 11 और 12 जुलाई को बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों ने सुरक्षा, कनेक्टिविटी, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में बैठक की थी.

यह बिम्सटेक देशों का दूसरा सम्मेलन था. पहला सम्मेलन जुलाई 2023 में थाईलैंड में हुआ था. बिम्सटेक, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सात देशों का एक समूह है जिसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं.

‘बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टर टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ (बीआईएमएसटीईसी यानी बिम्सटेक) को वर्ष 1997 में गठित किया गया था ताकि सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश और आपसी मेलजोल बढ़ाए जाए. साथ ही सुरक्षा के क्षेत्र में भी बिम्सटेक देश सहयोग कर सकें.

इसी साल सितंबर के महीने में थाइलैंड में होने जा रहे बिम्सेटक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत कर सकते हैं.

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