राम की नगरी अयोध्या में भारतीय सेना की फायरिंग रेंज जल्द ही बंद कर दी जाएगी. ये फैसला अयोध्या के महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट के कारण लिया गया है. क्योंकि एयरपोर्ट, फायरिंग रेंज की जद में आ रहा है.
दरअसल, अयोध्या कैंट में भारतीय सेना की डोगरा रेजीमेंट का सेंटर है. ऐसे में डोगरा रेजीमेंट में शामिल होने वाले सैनिकों (अग्निवीरों) की शुरुआती मिलिट्री ट्रेनिंग अयोध्या में की जाती है. इसके लिए अयोध्या में डोगरा रेजिमेंटल सेंटर का फायरिंग रेंज है. करीब 50 सालों से इसी जगह पर डोगरा रेजीमेंट का अपना फायरिंग रेंज था.
भारतीय सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि “फायरिंग रेंज में मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर की फायरिंग भी की जाती है. ऐसे में अयोध्या एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले विमानों का फायरिंग की रेंज में आने का खतरा है. इसलिए सेना की फायरिंग रेंज को किसी दूसरी जगह हस्तांतरित करने का फैसला लिया गया है.”
इंफैन्ट्री रेजीमेंट में भर्ती होने वाले सभी सैनिकों की शुरुआत मिलिट्री ट्रेनिंग रेजिमेंटल सेंटर में होती है. इस दौरान उन्हें राइफल से लेकर मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
भारतीय सेना की डोगरा रेजीमेंट का गठन ब्रिटिश काल में वर्ष 1877 में किया गया था. एक लंबे समय तक डोगरा रेजीमेंट का सेंटर मेरठ में था. लेकिन 1976 में इसे अयोध्या शिफ्ट कर दिया गया था.
सेना की डोगरा रेजीमेंट में हिमाचल प्रदेश, जम्मू और पंजाब (के कुछ जिलों) के सैनिक ही शामिल हो सकते हैं. रेजीमेंट का आदर्श-वाक्य है ‘कर्तव्य अनात्म’ यानी मृत्यु से पहले कर्तव्य और युद्धघोष है ‘ज्वाला माता की जय’.
इसी साल 23 जनवरी को राम मंदिर के स्थापना के साथ ही अयोध्या में देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए नया एयरपोर्ट बनाया गया था. इसे महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट का नाम दिया गया है.