By Akansha Singhal
देश की सीमाओं पर लगे सभी मिलिट्री-जनरेटर को एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से ऑपरेट करने वाले खास ‘विद्युत रक्षक’ यंत्र को सेना में शामिल कर लिया गया है. युद्ध के दौरान बेहद कारगर साबित होने वाले इस खास सिस्टम को भारतीय सेना के ही एक मेजर रैंक के अधिकारी ने ईजाद किया है. मार्च के महीने में टीएफए ने इस यंत्र के बारे में सबसे पहले जानकारी दी थी. उस वक्त खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्युत रक्षक की तारीफ की थी.
सह-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को भारतीय सेना के नवीनतम नवाचार “विद्युत रक्षक” का शुभारंभ किया. यह प्रणाली एक ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) सक्षम एकीकृत जनरेटर निगरानी, सुरक्षा और नियंत्रण प्रणाली है, जिसे आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) की मदद से मेजर राजप्रसाद आर एस द्वारा विकसित किया गया है. यह नवाचार भारतीय सेना के सभी मौजूदा जनरेटरों पर लागू है, चाहे उनका प्रकार, मेक, रेटिंग और विंटेज कुछ भी हो. रुस-यूक्रेन युद्ध से सीख लेते हुए ‘इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन’ के जरिए मेजर राजप्रसाद ने इस खास सिस्टम को तैयार किया है.
भारतीय सेना और फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआईटीटी) ने एयरो इंडिया 2023 में “नवाचारों के उत्पादन” के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. उसी के तहत एफआईटीटी ने विद्युत रक्षक का उत्पादन किया है. शुभारंभ कार्यक्रम में विद्युत रक्षक की पहली उत्पादन इकाइयों का भी रोल-आउट हुआ. इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) में स्थित जनरेटर के मापदंडों को दूर से देखा और तकनीक अवशोषण के क्षेत्र में एडीबी की कोशिशों की सराहना की.
थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अपने संदेश में एडीबी की प्रशंसा करते हुए कहा कि “भारतीय सेना ‘तकनीक अवशोषण का वर्ष’ मना रही है. विद्युत रक्षक की यह मील का पत्थर सफलता मिसाल कायम करती है और परिवर्तनकारी बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारतीय सेना की प्रतिबद्धता और प्रयासों को दर्शाती है.” भारतीय सेना ने मेजर राजप्रसाद के एक अन्य नवाचार “पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस” के लिए भी पेटेंट हासिल किया है, जिसे पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है.
इसी साल मार्च के महीने में राजस्थान के पोखरण में संपन्न हुई पहली स्वदेशी ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज ‘भारत-शक्ति’ (12 मार्च) के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विद्युत-रक्षक’ प्रणाली के बारे में जानकारी हासिल की थी. मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान फायर-पावर प्रदर्शन से इतर स्वदेशी हथियार और दूसरे सैन्य उपकरणों की एक स्टेटिक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था. इसी दौरान पीएम मोदी को जानकारी दी गई कि इस यंत्र को तैयार करने के बाद एक प्राईवेट कंपनी को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) के जरिए उत्पादन के लिए दे दिया गया है ताकि सेना में इसका इस्तेमाल किया जा सके.
टीएफए से खास बातचीत में मेजर रामप्रसाद ने बताया था कि रुस-यूक्रेन युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में बिजली-घरों को निशाना बनाया गया है. विद्युत-संयंत्रों को निशाना बनाए जाने के चलते रणभूमि में बहुतायत जनरेटर का इस्तेमाल किया गया. क्योंकि रडार से लेकर सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रेडियो-सेट की बैटरियां को चार्ज करने से लेकर मिलिट्री-हॉस्पिटल तक में बिजली पहुंचाई जानी बेहद जरूरी थी. ऐसे में आईओटी यानी ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ के जरिए भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर ‘विद्युत-रक्षक’ को तैयार किया गया (AI से 24×7 चार्ज रहेगी भारतीय सेना !).
मेजर राजप्रसाद के मुताबिक, भारत की लंबी सीमाएं बेहद दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में हैं जहां इलेक्ट्रिक लाइन तक नहीं पहुंचाई जा सकती है और वहां बड़ी संख्या में जेनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन उन जनरेटर को चलाने और रखरखाव के लिए सैनिकों को तैनात करना पड़ता है. ऐसे में विद्युत-रक्षक के जरिए एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से कई सौ किलोमीटर दूर चल रहे कई जनरेटरों को एक ही ओपरेटर चला सकता है. विद्युत-रक्षक जनरेटर का ना केवल चला सकता है बल्कि उनमें आई खामियों के बारे में भी बता सकता है.
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