ड्रोन और कटिंग एज टेक्नोलॉजी में स्वदेशी तकनीक से चीन को मात देने के लिए भारतीय सेना स्वदेशी कंपनियों को सीधे फ्रंटलाइन पर ले जाकर उनके कौशल प्रदर्शन को आजमाने जा रही है. मौका होगा इसी महीने लेह-लद्दाख में आयोजिन होने वाला हिम-टेक 2024 और ड्रोन-ए-थॉन. इस आयोजन के लिए फिक्की भी सेना की मदद कर रही है.
भारतीय सेना के मुताबिक, ‘ड्रोन-ए-थॉन’ (17-18 सितंबर) और ‘हिम-टेक’ (20-21 सितंबर) के जरिए स्वदेशी कंपनियों की मिलिट्री-टेक्नोलॉजी को लेह-लद्दाख के हाई-ऑल्टिट्यूड एरिया में ही परखा जाएगा. क्योंकि, इन तकनीकों का इस्तेमाल सियाचिन जैसे दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र से लेकर कारगिल और चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ही किया जाएगा. (https://x.com/finalassault23/status/1831362409409499138?s=46)
भारत और चीन के बीच एलएसी 14 हजार से 20 हजार फीट की ऊंचाई से होकर गुजरती है.
भारतीय सेना के आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) के प्रमुख मेजर जनरल ए एस मान ने बुधवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगर स्वदेशी कंपनियां इन दोनों आयोजन में सफल रहीं तो लेह-लद्दाख मिलिट्री इंडस्ट्री के लिए अगला हब बन सकता है. मेजर जनरल मान के मुताबिक, अगर स्वदेशी कंपनियां लेह-लद्दाख की जलवायु में सफल रही तो ये उनके लिए ग्लोबल मार्केट भी खोल सकती है और भारत, ड्रोन निर्माण में एक उत्कृष्ट केंद्र बन सकता है.
हिम-ड्रोन-ए-थॉन-2 के दौरान सर्विलांस ड्रोन से लेकर, लॉएटरिंग म्युनिशन, लॉजिस्टिक ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और पेलोड ले जाने वाले ड्रोन भी शामिल होंगे. सेना के मुताबिक, अब तक ड्रोन बनाने वाली 25 कंपनियों ने हिम-ड्रोन में हिस्सा लेने की स्वीकृति दे दी है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1831363085141217554?s=46)