July 5, 2024
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Collateral Damage के दबाव में मत आओ: Ex आर्मी ऑफिसर (TFA Exclusive)

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के बीच में सैनिकों के खिलाफ हुई कार्रवाई से सेना का मनोबल टूट जाएगा. ये कहना है भारतीय सेना के पूर्व डिप्टी जज एडवोकेट जनरल (जैग) कर्नल अमित कुमार का. सेना से रिटायर कर्नल अमित, पुंछ से ट्रांसफर किए गए सैन्य अफसरों के लीगल एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे हैं और उनका मानना है कि जांच पूरी होने तक फील्ड कमांडर्स के खिलाफ कोई कड़े कदम नहीं उठाने चाहिए थे. 

टीएफए से खास बातचीत में कर्नल अमित ने साफ तौर से कहा कि “सेना की अपनी कार्यप्रणाली है. ऐसे में सेना के ऑपरेशन में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.” अगर आंतरिक सुरक्षा में सेना को तैनात किया जाएगा तो ‘कॉलेट्रेल-डैमेज’ के लिए तैयार रहना होगा. यानी सेना के ऑपरेशन के दौरान बिना किसी पूर्वाग्रह के आकस्मिक तौर से मानवीय या फिर किसी दूसरी तरह की क्षति हो सकती है. 

कर्नल अमित के मुताबिक, “अगर कोई एरिया अशांत है और पुलिस-प्रशासन से स्थिति नहीं संभलती है तभी सेना को सरकार के नोटिफिकेशन के जरिए डिस्टर्ब-एरिया में तैनात किया जाता है. ऐसे में अगर स्थिति को संभालने के लिए कोई कड़ा कदम उठाया जाता है तो उसमें सैनिकों के खिलाफ सीआरपीसी (सिविल लॉ) के तहत कारवाई नहीं होनी चाहिए. सेना की अपनी कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत सैनिकों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाए जा सकते हैं.” 

कर्नल अमित कुमार के मुताबिक, पुंछ में जिन तीन स्थानीय युवकों की संदिग्ध मौत हुई है उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक सरकार को इंतजार करना चाहिए था. साथ ही उन्होंने कहा कि इन तीनों युवकों का चरित्र संदेहास्पद था जो जांच में सामने आ जाएगा. कर्नल अमित के मुताबिक, पुंछ ऑपरेशन में एक गलती ये हुई थी कि संदिग्ध युवकों (जिनकी बाद में मौत हो गई) उनसे पूछताछ उस यूनिट के कैंप में नहीं होनी चाहिए थी जिसके सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. 

21 दिसंबर को पुंछ-राजौरी के डीकेजी इलाके में आतंकियों ने घात लगाकर सेना की दो गाड़ियों पर हमला कर दिया था जिसमें चार सैनिक वीरगति प्राप्त हुए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने हमले के बाद सैनिकों के शवों को क्षत-विक्षत भी कर दिया था. इस हमले के बाद सेना ने कुछ स्थानीय संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया था. सेना को शक था कि इन युवकों ने आतंकियों को सेना की मूवमेंट से लेकर ऑपरेशन साइट से भागने तक में मदद की थी. बाद में तीन युवकों की सेना के कैंप में मौत हो गई थी.

लेकिन कर्नल अमित ने इन दावों को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि “सेना के कैंप में इन तीनों की मौत नहीं हुई थी. इसे कस्टडी-डेथ का मामला नहीं मानना चाहिए.” 

तीन युवकों की संदिग्ध मौत के बाद सेना ने पुंछ के ब्रिगेड कमांडर सहित तीन सैन्य अफसरों का ट्रांसफर कर दिया था. खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पुंछ-राजौरी का दौरा किया था. इस दौरान रक्षा मंत्री ने सैनिकों को आतंकियों के सफाए के साथ-साथ “देशवासियों का दिल जीतने” का आह्वान किया था. 

कर्नल अमित के मुताबिक, सोशल मीडिया पर जो सेना की कस्टडी में दो-तीन युवकों के साथ थर्ड-डिग्री टॉर्चर का वीडियो सामने आया है वो “इस जगह (पुंछ) का नहीं है और उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है.” उन्होंने दावा किया कि इस तरह की घटना के दौरान पाकिस्तान जैसे पड़ोसी (दुश्मन) देश ‘साइक्लोजिकल-ऑपरेशन’ के जरिए इस तरह के वीडियो को वायरल करते हैं. उन्होंने पुंछ-राजौरी क्षेत्र में स्थानीय लोगों में स्लीपर-सेल के एक्टिव होने का भी आरोप लगाया. 

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में जहां आतंकी घटनाओं में काफी गिरावट आई है और स्थिति सामान्य होती जा रही है वहीं पीर-पंजाल रेंज के दक्षिण यानी पुंछ-राजौरी क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले एक-डेढ़ साल में आतंकियों द्वारा आधा दर्जन से भी ज्यादा बार सेना के काफिले पर हमला किया गया. पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएफएफ) नाम का एक आतंकी संगठन इन घटनाओं की जिम्मेदारी लेता है जिसे पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले जैश ए मोहम्मद का ही दूसरा नाम माना जा रहा है. सेना की उत्तरी कमान के कमांडर इन चीफ ने हाल ही में कहा था कि पुंछ-राजौरी के जंगलों में 25-30 आतंकी छिपे हुए हैं जो ‘वैल-ट्रेन्ड’ हैं. 

कश्मीर में सैनिकों के खिलाफ एफआईआर और मणिपुर में सेना के एनकाउंटर में हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट तक में सैन्य अफसरों के लिए केस लड़ने वाले कर्नल अमित के मुताबिक, “मिलिट्री कमांडर्स को राजनीतिक या फिर मीडिया के दबाव में नहीं आना चाहिए. उनका कहना है कि अगर हमारे सैनिकों के पार्थिव-शरीरों के साथ बदसलूकी की जाती है तो साथी सैनिकों का खून खोलना वाजिब है.” लेकिन उन्होंने कहा कि “हमें सेना पर पूरी तरह विश्वास रखना चाहिए. हमारे सैनिक बिना किसी मजहब और क्षेत्र में भेदभाव किए बगैर देश की सेवा और सुरक्षा करते हैं.” 

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