हाल ही में तिब्बती बौद्धगुरु दलाई लामा के पास बैठे दिखे अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने प्रोपेगेंडा फैलाने और फेक नैरेटिव बनाने वाले चीन को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है. पेमा खांडू ने कहा है अरुणाचल प्रदेश की सीमा तिब्बत के साथ लगती है न कि चीन से.
सीएम पेमा खांडू की इस बात से चीन को मिर्ची लगनी तय है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ त्रिपक्षीय गठबंधन को लेकर आगे बढ़े चीन ने भारतीय मुख्यमंत्री से ऐसा उत्तर सपने में भी नहीं सोचा होगा.
हमारी सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं: पेमा खांडू
सीएम पेमा खांडू ने कहा, “भारत का कोई भी राज्य चीन के साथ लैंड बॉर्डर शेयर नहीं करता. हालांकि सीमा तिब्बत के साथ जरूर लगती है, जिस पर 1950 के दशक में चीन ने जबरन कब्जा कर लिया था.”
पेमा खांडू ने कहा, “आधिकारिक तौर पर तिब्बत अभी चीन के अधीन है, लेकिन मूल रूप से हमारी सीमा तिब्बत के साथ लगती थी.”
सीएम ने कहा, “ऐतिहासिक तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह भारत-तिब्बत सीमा थी और उन्होंने 1914 के शिमला सम्मेलन का हवाला दिया जिसमें ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.”
अरुणाचल प्रदेश 03 इंटरनेशनल बॉर्डर शेयर करता है: पेमा खांडू
पेमा खांडू बोले, “अरुणाचल प्रदेश केवल तीन इंटरनेशनल बॉर्डर शेयर करता है. भूटान के साथ लगभग 150 किलोमीटर, म्यांमार के साथ लगभग 550 किलोमीटर और तिब्बत के साथ, देश के सबसे लंबे बॉर्डर्स में से एक है. भारत का कोई भी राज्य सीधे तौर पर चीन के साथ सीमा साझा नहीं करता है.”
पेमा खांडू का ये बयान इसलिए अहम है, क्योंकि चीन ने कई बार गैरकानूनी रूप से अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों के नाम बदलने और नक्शे जारी कर राज्य को अपनी सीमा के अंदर दिखाने की कोशिश करता रहता है.
हम चीन की नाम बदलने की आदत जानते हैं, विदेश मंत्रालय इससे निपटता है: सीएम पेमा खांडू
पेमा खांडू ने कहा, “हम चीन की आदत को जानते हैं, वो हमारे क्षेत्रों के नाम बदलता है. मुझे लगता है कि पिछली बार उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों का नाम बदला था. अगर मैं गलत नहीं हूं, तो मुझे लगता है कि यह उनका कुल पांचवां प्रयास था. इसलिए यह हमारे लिए आश्चर्य की बात नहीं है. और मुझे लगता है कि आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय ने इससे निपटा है और उन्होंने उन्हें जवाब दिया है.”
ब्रह्मपुत्र पर बनाए जा रहे डैम से गड़बड़ी कर सकता है चीन:सीएम खांडू
सीएम पेमा खांडू ने चीन की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो) पर बनाए जा रहे मेगा डैम को खतरनाक बताया है. सीएम ने कहा, “ये प्रोजेक्ट सिर्फ पर्यावरणीय या जल सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि अस्तित्व के लिए भी खतरा है. ये सैन्य खतरे के अलावा किसी भी अन्य समस्या से बड़ा होगा. जो सीमावर्ती जनजातियों के जीवन, भूमि और संसाधनों को तबाह कर सकता है. चीन इस मेगा डैम का इस्तेमाल कभी भी बड़े स्तर पर पानी छोड़ने के लिए कर सकता है, जिससे अरुणाचल की सियांग घाटी में भीषण बाढ़ आ सकती है.”
सीएम खांडू ने कहा, “इस मुसीबत से निपटने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर एक ‘सियांग अपर मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट’ की योजना बनाई है, जो चीन की संभावित जल आक्रामकता से निपटने में एक रक्षा कवच की तरह से काम करेगा.”
दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चीन के हस्तक्षेप पर क्या बोले सीएम
पेमा खांडू हाल ही में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में शामिल हुए थे. बौद्ध गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चीन को लेकर सीएम खांडू ने कहा, “दलाई लामा संस्था पहले दलाई लामा से लेकर वर्तमान 14वें दलाई लामा तक 600 से ज्यादा वर्षों से निरंतर कार्यरत है. गादेन फोडरंग ट्रस्ट अगले दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया को मैनेज करता है, जो वर्तमान दलाई लामा के निधन के बाद ही शुरू होगी. इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है और पूरी प्रक्रिया कड़े नियमों का पालन करती है.”