बढ़ती हिंसा, धार्मिक कट्टरवाद और ऑनलाइन दुष्प्रचार से त्रस्त ऑस्ट्रेलिया अपने देश के सभी नागरिकों के लिए ‘डिजिटल-आईडी’ जारी करने की तैयारी में है. ये इसलिए ताकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की उम्र का सही सही पता लगाया जा सके. इस साल के अंत तक प्रधानमंत्री एंथनी अलबेनीज एक कानून लाना चाहते हैं कि ताकि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें और ‘डिस-इनफॉरमेशन’ को रोका जा सके, जो देश में बढ़ती सामुदायिक-हिंसा के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है.
अलबेनीज सरकार का मानना है कि ऑनलाइन हिंसा, झूठी खबरों, पॉर्नोग्राफी इत्यादि से बच्चों को बचाने के लिए डिजिटल आईडी बेहद जरुरी है. इस डिजिटल आईडी पर सभी नागरिकों (बच्चों सहित) की उम्र साफ-साफ लिखी होगी. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार के लिए ये इतना आसान नहीं होने जा रहा है.
डिजिटल आईडी के विरोध में ऑस्ट्रेलिया में जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन भी शुरु हो गए हैं. ऑस्ट्रेलिया की जनता इस कानून को बोलने की आजादी पर प्रतिबंध की तरह देख रही हैं. लोगों का मानना है कि ये प्राइवेसी का उल्लंघन है. इसके अलावा डाटा लीक होने का खतरा भी हो सकता है. ऐसे में सरकार बेहद फूंक फूंक कर कदम रख रही है ताकि कानून लाने से पहले व्यापक चर्चा की जा सके.
पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया में दो ऐसी बड़ी घटनाएं सामने आई जिसके चलते सरकार को डिजिटल आईडी कानून लाने की जरुरत आई. पहली थी 13 अप्रैल की जब बॉन्डी जंक्शन में एक शॉपिंग मॉल में चाकू से हमला करने की घटना सामने आई थी. एक अधेड़ उम्र के शख्स ने मॉल के अंदर लोगों पर अंधाधुंध हमला शुरु कर दिया. इस घटना में हमलावर सहित सात लोगों की मौत हो गई थी. घटना के दौरान सोशल मीडिया पर हमलावर की पहचान और धर्म तक को लेकर सच्ची झूठी खबरें सामने आने लगी थी. यहां तक की मेनस्ट्रीम मीडिया, पत्रकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तक ने अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हमलावर के बारे में गलत जानकारी साझा की थी. ऐसे में सरकार फेसबुक, इंस्टा, ट्विटर (एक्स) और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल को लेकर बेहद सतर्क है.
दूसरी घटना दो दिन बाद सामने आई जब 15 अप्रैल को सिडनी के वैकली-चर्च में नाबालिग लड़के ने पादरी सहित कई लोगों को चाकू मारकर घायल कर दिया था. हालांकि, पुलिस ने नाबालिग युवक को हिरासत में ले लिया लेकिन हमला के कारण का खुलासा नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि ये लड़का पादरी द्वारा उसके धर्म पर दिए गए बयानों से आहत था, जिसके बारे में उसे ऑनलाइन जानकारी मिली थी.
इन घटनाओं ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार को सोशल मीडिया के इस्तेमाल को बेहद सोच-समझकर करने पर मजबूर कर दिया है. पिछले साल भी सरकार एक ऐसे ही कानून को लाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन लोगों के विरोध के चलते कानून को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. लेकिन एक बार फिर इस साल के अंत में इस कानून को लाने के लिए सरकार गंभीरता से विचार कर रही है.
डिजिटल आईडी के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई सरकार ‘टेक-टैक्स’ पर भी विचार कर रही है. इस टैक्स को सोशल मीडिया कंपनियों (एक्स, फेसबुक इत्यादि) के साथ-साथ मुख्यधारा की मीडिया पर भी लगाया जाएगा. इस टैक्स के जरिए सरकार ‘लोगों के हित वाली पत्रकारिता’ के लिए इस्तेमाल करना चाहती जिससे मिस-इंफॉर्मेशन और डिस-इन्फोर्मेशन पर लगाम लगाई जा सके.