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रणभूमि में नहीं सुलझ सकता रूस-यूक्रेन विवाद: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से दो टूक कहा है कि जंग के मैदान में किसी समस्या का समाधान नहीं निकल सकता है. जवाब में जेलेंस्की ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन से ज्यादा मोदी शांति चाहते हैं.

कीव के एक दिवसीय दौरे पर गए पीएम मोदी ने जेलेंस्की से मुलाकात में कहा कि देश की अखंडता और सार्वभौमिकता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. जेलेंस्की ने पीएम मोदी के बयान का समर्थन किया है और कहा कि यूक्रेन भी इसी नीति का पालन करता है.

पीएम मोदी का कीव में बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन ने पिछले दो हफ्तों से रूस के कुर्स्क प्रांत में हमला कर करीब एक हजार वर्ग किलोमीटर के इलाके पर कब्जा कर लिया है. रूसी सेना यूक्रेन को कुर्स्क से खदेड़ने में जुटी है जिसको लेकर दोनों देशों में भीषण युद्ध चल रहा है.

हालांकि, पीएम मोदी का बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि पिछले ढाई साल से रूस ने यूक्रेन के करीब एक तिहाई हिस्से डोनबास पर कब्जा कर अपने फेडरेशन में शामिल कर लिया है.

रूस और यूक्रेन दोनों ही एक दूसरे के इलाकों पर कब्जा कर अपना-अपना तर्क दे रहे हैं. जेलेंस्की ने जहां, रूस से शांति-वार्ता के लिए पहले डोनबास को खाली करने की शर्त रखी है तो पुतिन ने हाल ही में कहा था कि कुर्स्क पर हमला कर यूक्रेन ने शांति के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं.

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई रूस और यूक्रेन शांति की टेबल पर एक साथ आ सकते हैं. पीएम मोदी के दौरे से पूरी दुनिया के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र को भी शांति की किरण दिखाई पड़ रही है. यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि मोदी की कीव यात्रा से शांति की पहल दिखाई पड़ रही है. क्योंकि पिछले ढ़ाई साल से यानी फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था तभी से दोनों देशों ने शांति स्थापित करने के लिए कोई गंभीर या ठोस कदम नहीं उठाया है. (https://x.com/narendramodi/status/1826923712622293366)

पीएम मोदी उन दो-तीन चुनिंदा राष्ट्राध्यक्षों में से एक है जो युद्ध शुरु होने के बाद से मॉस्को और कीव दोनों की यात्रा कर चुके हैं. क्योंकि अमेरिका और नाटो (यूरोपीय) देश जहां कीव की यात्रा कर जेलेंस्की के युद्ध के समर्थन देते हैं या फिर हथियार और वित्तीय सहायता देतें हैं, बहुत कम ही देश ऐसे हैं जो पुतिन का समर्थन कर रहे हैं. चीन उन चुनिंदा देशों में से है जो रूस के साथ खड़ा दिखाई पड़ रहा है.

शुक्रवार को जब पीएम मोदी कीव में थे उसी वक्त चीन के प्रीमियर (प्रधानमंत्री) ली कियांग मिलिट्री प्रतिनिधिमंडल के साथ मॉस्को के दौरे पर थे.

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