अमेरिका में टेरर फाइनेंसिंग जैसे गंभीर आरोपों को झेलने वाली ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी कंपनी ‘बिनेंस’ को भारत में एक बार फिर दाखिल होते ही 2.3 मिलियन डॉलर (18.32 करोड़) की पेनाल्टी देना का नोटिस मिल गया है. वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने ये नोटिस बिनेंस को जारी किया है. पिछले साल दिसंबर में मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों को न मानने के चलते कंपनी के ऑपरेशन पर भारत में रोक लगा दी गई थी.
एफआईयू और मनी लॉन्ड्रिंग कानून के पालन करने की गारंटी के बाद ही बिनेंस कंपनी को भारत में लेनदेन की इजाजत दी गई है. गौरतलब है कि हमास और आईएस जैसे आतंकी संगठनों को बिना रोक टोक के मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए फाइनेंसिंग के आरोप में बिनेंस कंपनी के तत्कालीन सीईओ चांगपेंग झाओ को कुछ हफ्ते पहले ही अमेरिका की एक अदालत ने दोषी पाया है. इसी साल अप्रैल के महीने में ही टीएफए ने अपनी ग्लोबल इन्वेस्टीगेशन में बिनेंस कंपनी के चीन के ‘डीप-स्टेट’ से जुड़े होने का खुलासा किया था [Cryptocurrency: द ग्रेट वॉल ऑफ टेरर फाइनेंसिंग (TFA Investigation)].
बिनेंस कंपनी ने 2.3 मिलियन डॉलर की पेनाल्टी के साथ एक बार फिर भारत के मार्केट में आने का रास्ता खोल लिया है. इसी साल जनवरी के महीने में वित्त मंत्रालय ने बिनेंस कंपनी को देश में डिजिटल लेनदेन पर बैन लगा दिया था. क्योंकि बिनेंस कंपनी ने अपनी ट्रांजैक्शन के बारे में जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया था. लेकिन पेनाल्टी के बाद अब बिनेंस कंपनी ने एफआईयू में रजिस्ट्रेशन कर लिया है. इसके मायने ये हैं कि बिनेंस कंपनी अपने सभी लेनदेन का ब्यौरा एफआईयू को सौंपेगी और साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत ही अपने ऑपरेशन्स करेगी.
क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में बिनेंस एक बड़ी ग्लोबल एक्सचेंज कंपनी है. वर्ष 2017 में चीन में बिनेंस कंपनी का गठन किया गया था. लेकिन महज चार साल बाद ही यानी 2021 में चीन ने क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया था. कंपनी ने कुछ समय के लिए अपना हेडक्वार्टर जापान में शिफ्ट किया और फिर माल्टा. इसके बाद अचानक कंपनी का हेडक्वार्टर दुनिया के नक्शे से गायब हो गया. लेकिन चीनी नागरिकों पर नजर रखने के लिए बिनेंस कंपनी ने बीजिंग की एनफोर्समेंट एजेंसियों से हाथ मिला लिया.
चीन की सीसीपी सरकार के क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार में हाथ होने का सबूत तब मिला जब महज एक महीने (जुलाई 2023) में ही कंपनी ने 90 बिलियन डॉलर (करीब 7.50 लाख करोड़) का व्यापार बिटकॉइन में किया. चीन में करीब 9 लाख एक्टिव ट्रेडर्स हैं. विशेषज्ञों की मानें तो एक महीने में इतना बड़ा लेन-देन बिना चीनी सरकार की मिलीभगत के मुमकिन नहीं था. चीन में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के बावजूद बिनेंस कंपनी ने चीनी ट्रेडर्स को वीपीएन और दूसरे माध्यम से भी ग्लोबल एक्सचेंज तक री-रूट करने में मदद की.
बिनेंस कंपनी और इसके संस्थापक-सीईओ के काले साम्राज्य का भंडाफोड़ किया अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट और यूएस ट्रेजरी विभाग ने. कंपनी का संस्थापक-सीईओ है चांगपेंग झाओ जो चीनी मूल का कनाडाई (और यूएई) नागरिक है. पूरी दुनिया चांगपेंग को ‘सीजेड’ के नाम से जानती है. फोर्ब्स की लिस्ट में दुनिया के 50 सबसे अमीर लोगों की श्रेणी में शुमार है सीजेड. यूएस ट्रेजरी का आरोप है कि बिनेंस एक क्रिप्टोकरेंसी का एक्सचेंज चलाती थी जो दुनियाभर के आतंकी संगठनों के लिए टेरर-फाइनेंसिंग का एक बड़ा जरिया था (टेरर फंडिंग में Binance के सीईओ को जेल).
यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक, बिनेंस ने जानबूझकर ये बात छिपाई कि कंपनी टेरर-फाइनेंसिंग में लिप्त है. कंपनी ने हमास, अलकायदा और आईएसआईएस जैसे दुनियाभर के बड़े आतंकी संगठनों से एक लाख संदिग्ध ट्रांजेक्शन किए. अमेरिका का आरोप है कि बिनेंस ने टेरर फाइनेंसिंग के साथ-साथ रैंसमवेयर, मनी लॉन्ड्रिंग और अपराधियों के साथ भी संदिग्ध लेनदेन किए. बिनेंस कंपनी के (अब पूर्व) सीईओ सीजेड पर यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट ने मुकदमा चलाया था.