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Estonia को सबक सिखाने की तैयारी में पुतिन ?

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध 2 साल में किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सका है. लेकिन इस बीच रूस के रिश्ते अपने पड़ोसी देशों से भी खराब होते जा रहे हैं. अब एस्टोनिया के साथ रूस की तनातनी शुरु हो गई है. ये विवाद दोनों देशों के बीच बहने वाली नरवा नदी पर नेविगेशन-मार्कर हटाने को लेकर शुरु हुआ है. 

रुस की ये कार्रवाई ऐसे समय में सामने आई है जब हाल ही में एस्टोनिया की प्रधानमंत्री काजा कलास ने कहा था कि वे चाहती हैं कि यूक्रेन युद्ध में रुस हार जाए और छोटे-छोटे देशों में टूट जाए. एस्टोनिया की पीएम यूक्रेन का समर्थन करती है और चाहती हैं कि युद्ध के दौरान नाटो सैनिक रुस के खिलाफ मोर्चा संभाले.

यूक्रेन युद्ध के दौरान, रुस और एस्टोनिया ने विरोध दर्ज कराने के लिए अपने-अपने राजदूतों को स्वदेश वापस बुला लिया था. पुतिन के पांचवी बार सत्ता संभालने के बाद एस्टोनिया सीमा पर बहने वाली नरवा नदी से रूस ने नेविगेशन बोय ((चमकने वाले फ्लोटिंग मार्कर) हटा लिए हैं. नेविगेशन बोय नदी पर इसलिए रखे जाते हैं ताकि दूसरे देश के जहाज जल सीमा के क्षेत्र में प्रवेश ना कर सकें. एस्टोनिया ने बोय हटाने की घटना को गंभीर बताते हुए रूस से संपर्क किया है.

यूक्रेन के बाद रूस की एस्टोनिया पर नजर!
रूस के पड़ोसी देश एस्टोनिया का कहना है कि “रूस ने सीमा के पास नेविगेशन बोय हटा दिए हैं. एस्टोनियाई सीमा रक्षकों के मुताबिक, रूसी सैनिकों ने हाल ही में नरवा नदी के एस्टोनियाई हिस्से में रखे गए 50 नेविगेशन बोय में से 24 को हटा दिया है. एस्टोनियाई सीमा रक्षक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “रूस 2022 में यूक्रेन पर मास्को के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद से बोय की स्थिति पर सवाल उठा रहा है. बोय को सीमा नदी पर रणनीतिक रूप से इसलिए रखा जाता है ताकि जहाज विदेशी हमारी जल-सीमा में प्रवेश न कर सकें.”

बोय हटाना सीमा सुरक्षा के लिए गलत: एस्टोनियाई पीएम
एस्टोनियाई प्रधानमंत्री काजा कैलास ने नेवीगेशन बोय के हटाए जाने को गंभीरता से लिया है. एस्टोनियाई पीएम ने “सीमा घटना” बताते हुए कहा है कि ” रूस की मंशा स्पष्ट नहीं है. हम सटीक परिस्थितियों की जानकारी ले रहे हैं. पर रूस सीमा पर ऐसी घटना भय और टेंशन बढ़ाने के लिए करता है. ऐसी घटना से हमारे लिए असुरक्षा की भावना पैदा होती है. हम इसका एक व्यापक पैटर्न देखते हैं.” (https://x.com/kajakallas/status/1793874548666101976)

क्या है रूसी विदेश मंत्रालय का बयान
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने रूस की बाल्टिक सागर सीमाओं को लेकर प्रतिक्रिया दी है. मारिया जखारोवा ने गुरुवार को कहा कि “रूस की बाल्टिक सागर सीमाएं अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार होनी चाहिए और सीमा को स्पष्ट करने के लिए रक्षा मंत्रालय का काम तकनीकी प्रकृति का था.”

रूसी रक्षा मंत्रालय ने प्रकाशित आर्टिकल हटाया?
इस घटना के दो दिन पहले ही रूस के रक्षा मंत्रालय ने पूर्वी बाल्टिक सागर में रूस की समुद्री सीमा को संशोधित करने के लिए एक प्रस्ताव को संक्षिप्त रूप से प्रकाशित किया था, जिसके बाद एस्टोनिया सहित नाटो सदस्यों के बीच टेंशन बढ़ गई थी. रूस के बाल्टिक सागर के पड़ोसियों ने नाराजगी जताई थी और सभी ने इसे “भ्रम फैलाने और क्षेत्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने का प्रयास” बताया. जिसके बाद  रूसी रक्षा मंत्रालय ने सीमा संशोधन वाले प्रस्ताव को आधिकारिक पोर्टल से हटा दिया था. बाद में रूस ने सोवियत संघ के वक्त के नक्शे को लेकर हुई भ्रम के चलते ऐसा हुआ था और “मसौदा राजनीति से प्रेरित नहीं था.”

नरवा नदी पर रूस और एस्टोनिया की सीमा जानिए
नरवा नदी रूस और एस्टोनिया के बीच एक झील से निकलती है और बाल्टिक सागर के हिस्से फिनलैंड की खाड़ी में जाकर मिल जाती है. नरवा नदी एस्टोनिया के लिए शिपिंग का मुख्य मार्ग है. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि नदी के तल में प्राकृतिक परिवर्तन के कारण हर साल शिपिंग मार्ग को बनाया जाता है.
दरअसल नरवा नदी एस्टोनिया की सबसे बड़ी नदी है. जमीन के समान ही नदी की लंबाई है. एस्टोनिया और रूस के बीच यह नदी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है. नरवा नदी के किनारे रूसी शहर इवांगोरोड है. नरवा नाम का शहर एस्टोनिया और सेंट पीटर्सबर्ग गवर्नरेट की सीमा थी. नार्वा शहर में साल 1920 में हस्ताक्षरित टार्टू की संधि के अनुसार, एस्टोनियाई-रूसी सीमा नदी के थोड़ा पूर्व में 10 किलोमीटर (6 मील) तक चली गई और इवांगोरोड शहर को एस्टोनिया को सौंपा गया था. 

फ्लोटिंग बोय के जरिए रूस और एस्टोनिया की सीमाएं अलग अलग मार्क की जाती हैं. पर रूस हमेशा से इन फ्लोटिंग मार्कर को लेकर का विरोध करता रहा है. एस्टोनिया की सीमा रक्षक सेवा ने एक बयान में कहा, “इस साल, रूस ने घोषणा की कि वो नियोजित फ्लोटिंग बोय के लगभग आधे स्थानों से सहमत नहीं होंगे” ऐसा करना रूस की एक रणनीतिक चाल भी हो सकती ताकि नाटो समर्थित देश परेशान और रूस के डर के साये में रहें.

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