आर्मेनिया के बाद अब ब्राजील को भी भारत की आकाश मिसाइल पसंद आ रही है. खुद ब्राजील के मिलिट्री कमांडर ने भारत से आकाश मिसाइल को लेकर इंटर-गवर्मेंटल डील करने की सलाह दी है. हालांकि, चीन की स्काई-ड्रैगन मिसाइल इस रेस में शामिल है.
जानकारी के मुताबिक, इसी साल अप्रैल के महीने में ब्राजील के कमांडर जनरल थॉमस मिगुएल पाएवा ने मध्यम और लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम की कमी को लेकर अपने देश की एक उच्च स्तरीय कमेटी को आगाह किया था. पाएवा ने कमेटी को बताया कि ब्राजील की सेना के पास 3000 मीटर (तीन किलोमीटर) तक मार करने वाली एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तो है लेकिन मीडियम और लॉन्ग रेंज की कमी है.
जनरल पाएवा ने ऐसे में ब्राजील के रक्षा मंत्रालय को भारत के साथ ‘गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट’ यानी दोनों देशों की सरकारों के बीच करार का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव के तहत ब्राजील को भारत से आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने की पेशकश की गई है.
ब्राजील की मिलिट्री पब्लिकेशन जोना-मिलिट्री में आर्मी द्वारा मीडिया और हाई ऑल्टियूड एयर डिफेंस आर्टलरी सिस्टम खरीदने की जानकारी दी गई है. इस बाबत ब्राजील ने एक टेंडर (रिक्वेस्ट फॉर क्यूट) भी जारी किया है.
पिछले साल दिसंबर के महीने में भारत ने स्वदेशी आकाश मिसाइल डिफेंस प्रणाली से आसमान में एक साथ चार निशाने लगाकर इतिहास रच दिया था. भारत के रक्षा उपक्रम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) का दावा था कि एक फायरिंग यूनिट से 25 किलोमीटर की रेंज में एक साथ चार एरियल टारगेट को तबाह करने वाला भारत पहला देश बन गया है. भारतीय वायुसेना की ‘अस्त्र-शक्ति’ एक्सरसाइज के दौरान इस क्षमता को प्रदर्शित भी किया गया था (Akash मिसाइल के एक तीर से चार शिकार !).
हालांकि, आकाश प्रणाली को चीन के डीके-10 मिसाइल सिस्टम से टक्कर मिल सकती है. क्योंकि ब्राजील का एक सैन्य प्रतिनिधिमंडल डीके-10 (या स्काई ड्रैगन) की समीक्षा के लिए जल्द चीन की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहा है.
आकाश’ भारत की स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो जमीन से आसमान में मार करती है. इसकी रेंज करीब 25 किलोमीटर है. डीआरडीओ द्वारा तैयार इस मिसाइल प्रणाली को भारतीय वायुसेना में वर्ष 2012 में शामिल किया गया था. मिसाइल का उत्पादन सरकारी उपक्रम बीईएल और बीडीएल, एलएंडटी और टाटा जैसी प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर करती हैं. वर्ष 2015 में भारतीय वायुसेना में कुल 10 स्क्वाड्रन थीं जिन्हें तेजपुर, जोरहाट, हासीमारा और पुणे जैसे महत्वपूर्ण एयरबेस पर तैनात किया गया था.
वर्ष 2015 में भारतीय सेना यानी थलसेना में भी आकाश मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया था ताकि सैनिकों और टैंकों के काफिलों को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान की जा सके. आकाश को शुरुआत में एक सर्फेस टू एयर मिसाइल के तौर पर ईजाद किया गया था. लेकिन बाद में इसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाने लगा. डीआरडीओ के मुताबिक, आकाश वेपन सिस्टम करीब 2000 स्क्वायर किलोमीटर की रेंज में पूरी तरह सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
आकाश मिसाइल सिस्टम की एक बैटरी में चार लॉन्चर होते हैं. एक लॉन्चर में तीन मिसाइल होती हैं. एक बैटरी एक साथ 64 टारगेट को डिटेक्ट कर सकती है और एक बार में 12 एरियल टारगेट को तबाह भी कर सकती है.
लेकिन डीआरडीओ ने जो दिसंबर में परीक्षण किया था वो इस मायने में बेहद अहम हो जाता है कि अगर किसी महत्वपूर्ण एयरबेस या फिर संस्थान पर एक साथ चौतरफा हमला हो तो कम दूरी पर उन हमलों को एक साथ कैसे आसमान में ही तबाह कर देना है. ये एरियल अटैक किसी रॉकेट, मिसाइल, ड्रोन या फिर फाइटर जेट का भी हो सकता है.