इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन, उत्तर कोरिया और रूस की बढ़ती नजदीकियों के चलते जापान ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करना शुरु कर दिया है. उत्तर कोरिया और रुस से जापान का ऐतिहासिक विवाद है तो चीन से सेनकाकू आईलैंड और हालिया फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को लेकर तनातनी चल रही है. साथ ही चीन के खतरे को भांपते हुए जापान और फिलीपींस जल्द ही एक सैन्य करार करने जा रहे हैं.
इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन जंग से इस वक्त पूरी दुनिया जूझ रही है तो ताइवान के खिलाफ चीन की आक्रामकता, भारत का चीन-पाकिस्तान से तनाव और नॉर्थ-साउथ कोरिया की तनातनी भी किसी से छिपी नहीं रही है. इस बीच रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया की करीबियां बढ़ी तो जापान के कान खड़े हो गए हैं.
जापान की ‘मुस्तैदी’
रूस, चीन और उत्तरी कोरिया की ओर से बढ़ रहे खतरे के खिलाफ जापान ने अपनी सैन्य तैयारियां शुरू कर दी हैं. जापान की फौज ने 11 दिवसीय युद्धाभ्यास शुरु किया है. जापान ने दक्षिण-पश्चिम द्वीप टोकुनोशिमा पर वॉर एक्सरसाइज शुरु की है, जो कि पूर्वी चीन की सीमा से बेहद करीब है. जापान ने अपनी स्पेशल मिलिट्री यूनिट को 11 दिन की एक्सरसाइज के लिए टोकुनोशिमा पर भेजा है. टोकुनोशिमा वही आयरलैंड है जहां चीनी नेवी कई बार घुसपैठ करने की कोशिश करती रही है. इसी आयरलैंड पर नॉर्थ कोरिया की कुछ मिसाइलें भी टेस्ट के दौरान गिरी थीं, जिसका जापान ने कड़ा विरोध किया था.
जापानी युद्धाभ्यास के क्या मायने ?
हाल के दिनों में जापानी समुद्री सीमा का कई बार उल्लंघन किया गया है, चाहे वो तानाशाह किम जोंग की मिसाइलें हों या शी जिनपिंग की नेवी की घुसपैठ, जापान को आतंरिक और बाहरी सुरक्षा पर समीक्षा करनी पड़ी है. साउथ चाइना सी में चीन की दादागीरी जगजाहिर है, चीन की विस्तारवादी नीति के चलते चीनी नेवी साउथ चाइना सी में भी धीरे-धीरे दायरा बढ़ा रही है, कुछ ही महीनों में जापान की फिशिंग टॉलर्स को चीन की सेना ने कई बार रोकने की कोशिश की है. हालांकि, बाद में चीन और जापान में सुलह हो गई थी. इस युद्धाभ्यास के जरिए जापान अपनी सैन्य ताकत परखना चाहती है, जापान की नेवी और एयरफोर्स इस ड्रिल में हिस्सा ले रहे हैं. जापान की सेना के चीफ ऑफ स्टाफ योशिहिदे योशिदा के मुताबिक- अगर जापान पर कोई आपातकालीन स्थिति हो या बाहर से कोई अटैक हो तो जापान कैसे जवाब देगा, सैनिक किस तरह से हालात का सामना करेंगे, इस ड्रिल के जरिए सीखा और समझा जा सकेगा. ये एक्सरसाइज इसलिए भी खास है, क्योंकि जापान ने हाल ही में कुछ मिलिट्री बोट्स तैयार की हैं, जो एडवांस्ड और सिक्स्थ जेनरेशन वाली बोट्स हैं, सेल्फ डिफेंस फोर्स यूनिट के हवाले किया गया है और इस एक्सरसाइज में इन बोट्स का पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है. नेवी एक्सरसाइज के दौरान खास तरह के होवरक्राफ्ट भी परखे जाएंगे और ये आसमान से इस एक्सरसाइज पर नजर रखने के साथ डेटा भी जुटाएंगे.
जापान ने रक्षा पर बजट बढ़ाया
जापान ने अपना डिफेंस बजट दोगुना कर दिया है. जापान में 5 साल का एक डिफेंस प्रोग्राम बनाया है, तमाम विभागों, सेना के तीनों अंगों और अमेरिका को भी डिफेंस प्रोग्राम की जानकारी दी गई है. जापान अगले 5 वर्षों में 290 अरब डॉलर डिफेंस पर खर्च करने वाला है. जापान ने सेना को मजबूत करने के लिए अमेरिका और फ्रांस को फाइटर जेट्स, वॉर शिप और सबमरीन के ऑर्डर दिए हैं.
जापान-फिलीपींस ने मिलाया हाथ !
दक्षिण चीन सागर में कुछ द्वीपों को लेकर चीन के साथ लंबे समय से फिलीपींस और जापान का विवाद चल रहा है. जिसके बाद फिलीपींस और जापान एक-दूसरे के साथ मिलकर एक कदम उठाने वाले हैं. दोनों देशों में करार होता है तो दोनों ही देशों के सैनिक एक दूसरे के देश में तैनात किए जा सकेंगे. माना जा रहा है कि जापान और फिलीपींस सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस समझौते पर जल्द मुहर लगा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो सागर में चीन की हेकड़ी कम की जा सकेगी. ‘रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट’ (आरएए) इसलिए भी अहम है क्योंकि दक्षिण चीन सागर के आयरलैंड पर चीन अपना अधिकार जमाया रहता है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से, जापान की सेना किसी अन्य देश में तैनात नहीं हुई है. पर अगर फिलिपींस और जापान में बात बनती है तो चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगेगी.