पाकिस्तान में चीनी इंजीनियर्स पर हो रहे आतंकी हमलों से त्रस्त बीजिंग अब पाकिस्तान पर भरोसा ना कर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर दबाव की रणनीति पर काम कर रहा है. पाकिस्तान में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) 60 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करना चीन के लिए जी का जंजाल बन गया है. क्योंकि चीन के लोग पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं. अपने लोगों की जान गंवा देने के बाद चीन, पाकिस्तान से परेशान होकर अब सीधे तालिबान सरकार से गुहार लगा रहा है कि पाकिस्तान में उसकी परियोजनाओं और सुरक्षाकर्मियों पर हमले न करे.
खास बात ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मंगलवार से चार दिवसीय यात्रा पर बीजिंग जा रहे हैं. इस दौरान वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. मुलाकात में सीपैक (सीपीईसी) और डायमर बाशा बांध पर खास बातचीत हो सकती है.
पाकिस्तान में चीन के प्रतिष्ठानों, परियोजनाओं और चीन के लोगों को लगातार टारगेट किया जा रहा है. हमलों के बाद चीन की महत्वाकांक्षी सीपीईसी परियोजना पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. पाकिस्तान हमलों को रोकने में विफल है, लिहाजा तालिबान से बात करके चीन दूसरा वैकल्पिक रास्ता तलाश रहा है ताकि सीपीईसी परियोजना तय समय पर सुरक्षा के साथ पूरी की जा सके. हाल ही में चीन और तालिबान में राजनयिक संबंध भी मजबूत हुए हैं.
चीन ने तालिबान पर बनाया दबाव, पैसे भी ऑफर किए !
चीन पाकिस्तान में क्रॉस बॉर्डर अटैक से अपने प्रतिष्ठानों और लोगों को बचाना चाहता है, ताकि चीन का प्रोजेक्ट पूरा किया जा सके. चीन ने तालिबान से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को चीनी नागरिकों पर हमले करने से रोकने को कहा है. दरअसल चीन अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों पर सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के लिए अफगानिस्तान के तालिबान शासन पर निर्भर है. आतंकवादी हमलों को रोकने में नाकाम पाकिस्तान पर चीन को भरोसा नहीं है. चीन को लगता है कि तालिबान ही मदद कर सकता है. इसके लिए चीन एक तरफ तालिबान प्रशासन पर दबाव डाल रहा है तो दूसरी तरफ आर्थिक मदद देने का लालच भी दे रहा है. चीन ने तालिबान को लालच दिया है कि अगर वह टीटीपी को रोकता है तो अफगानिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश करेगा.
चीन ने पाकिस्तान को हड़काया, भेजेगा चीनी सेना?
चीनी राजनयिकों ने पाकिस्तान से कहा है कि “आप तालिबानी टीटीपी पर लगाम नहीं लगा रहे, जिससे सीपीईसी के काम प्रभावित हो रहा है.” टीटीपी के हमलों से जूझ रहा चीन अपनी सेना को पाकिस्तान में तैनात कर सकता है क्योंकि बलोच विद्रोही और टीटीपी के आतंकी लगातार चीनी नागरिकों की पाकिस्तान में हत्या कर रहे हैं और पाकिस्तानी सेना चीनी नागरिकों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है. पाकिस्तान की विफलता के बाद अब चीन ने अपने स्तर से कूटनीतिक कदम उठाना शुरू कर दिया है, ताकि अफगानिस्तान और ईरान से पाकिस्तान में होने वाले हमलों को रोका जा सके. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगले कुछ महीनों में अगर टीटीपी के ऐसे हमले नहीं रुके तो चीन अपनी सेना भेज देगा, जो पाकिस्तान के लिए बेहद ही शर्मनाक स्थिति होगी.
“पीठ में छुरा घोंपने के जैसा है”
तालिबान को मनाने के लिए काबुल और इस्लामाबाद में मौजूद चीनी दूत को पूरी तरह से काम पर लगा दिया है. पर कहीं ना कहीं चीन इस बात को मानता है कि तालिबान ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है. दरअसल चीनी नागरिकों पर ये हमले उस वक्त हुए हैं जब तालिबान के साथ चीन ने राजनयिक रिश्ते मजबूत किए हैं और अरबों डॉलर का निवेश का ऑफर दिया है. पाकिस्तान और चीन दोनों का ही मानना है कि “टीटीपी आतंकी अफगानिस्तान में शरण लिए हुए हैं और तालिबान से मदद मिल रही है। ये देश तालिबान पर टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव डाल रहे हैं लेकिन अफगान सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया है” चीनी राजनयिक मानते हैं कि तालिबान ने बातचीत के बावजूद आतंकियों के खिलाफ एक्शन ना लेकर “पीठ में छुरा घोंपा है.”
पाकिस्तान में क्या हुआ जिससे चीन है परेशान?
इसी साल 26 मार्च को पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के शांगला जिले में एक बड़ा आत्मघाती हमला हुआ था. आत्मघाती हमले में पांच चीनी नागरिक समेत छह लोगों की मौत हो गई थी. ये वहीं चीनी इंजीनियर्स थे तो चीन की परियोजना में लगे हुए थे. अपने 5 इंजीनियर की हत्या किए जाने के बाद चीन बुरी तरह से पाकिस्तान पर भड़क गया था. सभी चीनी इंजीनियर दासू में अपने कैंप की ओर जा रहे थे. दासू पहले भी आतंकियों के निशाने पर रहा है, जहां 2021 में एक बड़ा हमला हुआ था. दासू में हाइड्रो पावर प्लांट पर एक बस पर हुए अटैक में 9 चीनी नागरिकों समेत 13 लोग मारे गए थे.
काबुल और बीजिंग में दरार पैदा कर रहा है पाकिस्तान: तालिबान
26 मार्च को हुए आत्मघाती हमले में मारे गए चीनी इंजीनियर्स मामले में तालिबान ने पाकिस्तान को झिड़क दिया है. तालिबान का कहना है कि उस हमले से उनका कोई लेना देना नहीं है. साथ ही तालिबान ने हमले की जांच में पाक की मदद से भी इनकार कर दिया है. अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, “पाकिस्तान काबुल और बीजिंग के बीच दरार पैदा करने का प्रयास कर रहा है. बेशाम में हुए हमले का अफगानिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा खुद सुनिश्चित करनी चाहिए.”
दरअसल चीनी इंजीनियर्स की हत्या के बाद पाकिस्तान के आंतरिक सचिव मोहम्मद खुर्रम आगा तालिबान प्रशासन के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का मैसेज लेकर काबुल गए थे. पाकिस्तान ने कहा था कि “अफगान प्रशासन जांच को आगे बढ़ाने के लिए इस्लामाबाद के साथ सहयोग करने और काम करने के लिए तैयार है”. पाकिस्तान के इस बयान के 24 घंटे के अंदर ही काबुल ने जांच में मदद करने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तान ने लगाया है तालिबान पर आरोप
चीनी इंजीनियर्स की हत्या में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया है. पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने बयान में कहा था कि- “जांच के दौरान पता चला कि चरमपंथी अफगानिस्तान में मौजूद टीटीपी के कमांडरों से निर्देश ले रहे थे, हमले की योजना अफगानिस्तान में बनी थी और आत्मघाती हमलावर भी अफगान नागरिक था.”
चीन इसलिए भी परेशान है 42 अरब डॉलर से शुरु हुई परियोजना की लागत बढ़कर 62 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है. दूसरा उसके नागरिक भी पाकिस्तान में जान गंवा रहे हैं. चीन ने अब आतंकियों को रोकने के लिए नई प्लानिंग की है. जिसमें तालिबान से हमले ना करने पर दबाव बनाया है. चीन अटैक पर लगाम लगाना चाहता है, ताकि सीपीईसी पर बिना किसी बाधा के काम जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सके.
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