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दलाई लामा पर चीन का तानाशाही फरमान (TFA Exclusive)

जहां एक तरफ ईद के मौके पर चीन की सरकार सोशल मीडिया पर राजधानी बीजिंग में मस्जिद में लगी भीड़ की तस्वीरें साझा कर रही है वहीं दूसरी तरफ बौद्ध भिक्षुओं को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की ‘मौत’ पर किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन पर रोक लगा रही है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने दलाई लामा की ‘मौत’ के बाद तिब्बती धर्मगुरु की तस्वीर को भी किसी धार्मिक आयोजन में प्रदर्शित करने पर रोक लगा दी है. इस बाबत चीन ने तिब्बत के बौद्ध मठों को बाकायदा एक ‘फरमान’ जारी किया है. 

चीन का ये तानाशाही फरमान ऐसे समय जारी किया गया है जब दलाई लामा जीवित हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं. साफ है कि दलाई लामा के जीवित रहने पर जितना चीन डरता है उतना उनकी मृत्यु से. टीएफए  ने चीन सरकार द्वारा जारी ‘मैन्युअल’ देखा है जिसमें दलाई लामा की मौत पर बौद्ध भिक्षुओं के लिए क्या करना है और क्या नहीं, लिखा है. इस मैन्युल में 10 नियम लिखे हैं जिन्हें भिक्षुओं को फॉलो करना है. फरमान में दलाई लामा की मौत पर आयोजित किसी भी तरह के धार्मिक रीति-रिवाज और कर्मकांड को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, चीन की सरकार ने इस ‘मैन्युअल’ को पूर्वी तिब्बत के बौद्ध मठों को भेजा है. 

फरमान में चीन ने दलाई लामा की मौत के बाद अवतरण से जुड़े धार्मिक आयोजनों पर भी रोक लगा दी है. क्योंकि चीन खुद तिब्बती धर्मगुरु के उत्तराधिकारी को चुनना चाहती है जबकि बौद्ध धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक रीति-रिवाज से चुनना चाहते हैं.

भारत के धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में पिछले 65 सालों से शरण लिए हुए दलाई लामा अब 88 साल के हो चुके हैं. ऐसे में उनके उत्तराधिकारी की तलाश शुरु हो चुकी है. लेकिन चीन तिब्बती धर्मगुरु के उत्तराधिकारी को खुद चुनना चाहता है. क्योंकि ऐसे में चीन तिब्बती धर्म के लोगों पर अपनी राजनीतिक बादशाहत कायम करने की साजिश रच रहा है. यही वजह है कि चीन तिब्बत में धार्मिक नियम कानून में अड़ंगे डालता रहता है. 

वर्ष 1959 में तिब्बत क्रांति के दौरान चीन की दमनकारी नीतियों और बर्बरता से बचने के लिए दलाई लामा ल्हासा (तिब्बत की राजधानी) से भारत भाग आए थे. तत्कालीन नेहरू सरकार ने उन्हें उनके परिवार और अनुयायियों के साथ भारत में शरण दी थी. लेकिन चीन को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और तभी से तिब्बत के स्थानीय बौद्ध धर्म को खत्म करने पर तुला है (Indo-Tibet: द दलाई लामा बटालियन (TFA Special)).

हाल ही में चीन की शी जिनपिंग सरकार के तिब्बत के एक शहर में डैम (बांध) बनाने को लेकर बौद्ध मठों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इसको लेकर तिब्बती मूल के लोग धरना-प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन चीन सरकार ने जबरदस्ती रुकवा दिया. इसके साथ ही चीन ने तिब्बत को नया नाम भी दे दिया है. यानी तिब्बत की हर निशानी को खत्म करने पर तुला है चीन. यही वजह है कि पिछले महीने तिब्बत क्रांति की 65वीं वर्षगांठ (10 मार्च) के मौके पर भारत सहित यूरोप और अमेरिका में चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए थे.

तिब्बती विद्रोह की वर्षगांठ पर चीन का विरोध

तिब्बत का बदल दिया नाम, डरा चीन

तिब्बत में Xi के डैम के खिलाफ विद्रोह (TFA Exclusive)

Watch Final Assault by Neeraj Rajput on Tibet uprising anniversary https://www.youtube.com/live/L_2JSvpYanI?si=kr6yRSyfsjnOiqZl

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1 Comment

  • […] हाल ही में तिब्बत क्रांति के 65 साल पूरा होने पर धर्मशाला सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चीन के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए थे. 1959 में तिब्बत क्रांति को बर्बरता पूर्ण कुचलने के चलते तिब्बत के सबसे बड़े धर्मगुरु दलाई लामा भारत आए थे. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से ही दलाई लामा के सानिध्य में ही तिब्बत के निर्वासित सरकार यहां से चलती है. इस बात से भी चीन बेहद खफा रहता है (दलाई लामा पर चीन का तानाशाही फरमान (TFA Excl…). […]

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