Breaking News Conflict Indian-Subcontinent LAC

डोकलाम में चीन-भूटान की तनातनी, जनरल द्विवेदी पहुंचे थिम्पू

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी के भूटान दौरे पर चीन की तिरछी नजर है. भारत से भूटान के नजदीकी संबंध, चीन को फूटी आंख नहीं सुहाता है. भूटान वो देश है, जहां लगातार चीन अपना विस्तार कर रहा है. भूटान की सीमा पर चीन लगातार अपने गांव बसा रहा है. भूटान की जमीन पर नजर गड़ाए हुए है. भारत और भूटान के बीच मैत्री संबंध हैं और भूटान को भारत एक विशेष स्थान देता है. 

ऐसे में भारत के सेनाध्यक्ष के भूटान दौरे को लेकर चीन टेंशन में है, क्योंकि साल 2017 में पहली बार भारत ने भूटान के डोकलाम में चीन के कदम रोके थे. आर्मी चीफ का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब फरवरी महीने में भूटान के रॉयल आर्मी और चीन की सेना के साथ झड़प देखने को मिली थी. 

भूटान में सेनाध्यक्ष, चीन चौकन्ना

सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी 4 दिवसीय भूटान की यात्रा पर हैं. बतौर आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी पहली बार भूटान पहुंचे हैं. भारत और भूटान के मजबूत रिश्तों को लेकर ये दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. यह दौरा दोनों देशों के बीच स्थायी रक्षा सहयोग को और मजबूती देगा. इस दौरे में थल सेना प्रमुख भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे. साथ ही वह रॉयल भूटान आर्मी के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बट्टू शेरिंग के साथ खास चर्चा करेंगे. 

चीन को भारतीय आर्मी चीफ का ये दौरा इसलिए असहज करेगा, क्योंकि भूटान के कई क्षेत्रों पर चीन अपना दावा करता है.

भूटान की जमीन पर चीन की नजर, डोकलाम में भारत ने रोक लिया था

चीन का भारत और भूटान, दोनों से ही लंबा सीमा विवाद रहा है. चीन और भूटान के बीच करीब 500 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. इनमें से दो ऐसे इलाकों को लेकर चीन और भूटान के बीच विवाद है. उनमें एक है 269 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला डोकलाम इलाका. दूसरा इलाका भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का है.

आज से तकरीबन 8 साल पहले डोकलाम में भारत ने चीन के दांत खट्टे किए थे. वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान, चीन की पीएलए आर्मी, तोरसा नाले को पार कर जामफेरी रिज तक सड़क बनाने की फिराक में थी. जामफेरी रिज से भारत का सिलीगुड़ी कॉरिडोर डायरेक्ट लाइन ऑफ फायर में है. यही वजह है कि भारतीय सेना ने चीनी सेना को सड़क बनाने से रोक दिया था. इसके चलते ही दोनों देशों की सेनाओं में 72 दिनों तक फेस-ऑफ (तनातनी) रही थी.

डोकलाम विवाद में भारतीय सेना के अड़ जाने के बाद, चीन की सेना ने सड़क बनाने का काम तो रोक दिया था लेकिन उस सड़क का रुख अमो-छू यानी भूटान की तरफ कर दिया था. 

ऐसे में भूटान भी चीन के इरादों को भांप चुका है और अमो छू नदीं के पूर्वी तट पर तैनाती बढ़ा दी है. लेकिन चीन को इससे भी आपत्ति है.

टीएफ की इन्वेंस्टिगेशन में हुआ था चीन के इरादों का खुलासा

चीन ने तोरसा नाले के पूर्व और उत्तर में भूटान की सीमा में अपने मिलिट्री-विलेज बनाने शुरु कर दिए हैं. इन गांवों को युद्ध के वक्त सैन्य-छावनियों में तब्दील किया जा सकता है. 

चीन ने डोकलाम से सटे इलाकों में अपने मिलिट्री विलेज भी स्थापित किए हैं. इन गांवों को हालांकि, पूर्व-सैनिकों के पुनर्वास के लिए स्थापित किया गया है लेकिन युद्ध के समय इन गांवों को सैनिकों के बैरक में बदला जा सकता है. इन मिलिट्री विलेज को लेकर भी भारत और भूटान बेहद सतर्क हैं.

आपको बता दें कि चीन की चुंबी वैली से निकलने वाली तोरसा नदी ही भूटान में अमो-छू कहलाती है. डोकलाम पहुंचकर तोरसा नदी, दो हिस्सों में बंट जाती है. एक तोरसा नाले के तौर पर डोकलाम से दक्षिण की तरफ जामफेरी रिज चला जाता है, और दूसरा पूर्व में भूटान में अमो-छू के तौर पर बंट जाती है.

इस साल फरवरी में चीन-भूटान सैनिकों में हुई तनातनी

डोकलाम में पिटने के बाद चीन इस बार सीधे भारत से भिड़ने के बजाए, चीन की पीएलए सेना, भूटान की रॉयल आर्मी से टकराव की स्थिति में है. टीएफए को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, डोकलाम के करीब अमो-छू नदी के किनारे भूटान के सैनिकों की पैट्रोलिंग पर चीन की पीएलए आर्मी कड़ा एतराज जता रही है.  

जानकारी के मुताबिक, फरवरी के महीने में पश्चिमी भूटान की अमो छू (तिब्बत में छू यानी नदी) के पूर्वी किनारे पर रॉयल भूटान आर्मी (आरबीए) के सैनिक पैट्रोलिंग कर रही थी. इसे लेकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ऐतराज जताया. जिसके बाद पीएलए आर्मी ने नदी के किनारे गश्त करने को लेकर आरबीए के स्थानीय कमांडर से फ्लैग मीटिंग की थी.

मीटिंग के दौरान भूटान आर्मी के कमांडर ने चीन की पीएलए आर्मी को दो टूक कह दिया कि चीनी सैनिक अमो छू नदी को पार कर पूर्वी तट पर न आए, इसलिए पेट्रोलिंग की जा रही है.

भारत-भूटान की गहरी दोस्ती, चीन भी कर रहा राजनयिक कोशिश

तनाव कम करने के लिए चीन और भूटान ने हाल के सालों में राजनयिक स्तर पर वार्ता भी शुरू की है. डोकलाम में मुंह की खाने के बाद चीन ने भूटान से दोस्ती की पींग बढ़ानी शुरु कर दी हैं.

वहीं भारत-भूटान के दोस्ती की बात की जाए तो रॉयल आर्मी को भारत ट्रेनिंग देता है. भूटान की ज्यादातर सामरिक ट्रेनिंग भारत के सैन्य संस्थानों में होती है. भारत भूटान के व्यापार और विकास में भी साझेदार है. जनरल उपेंद्र द्विवेदी का यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक तौर पर भी अहम है कि अगर चीन ने भूटान की ओर कदम बढ़ाया तो डोकलाम की तरह ही भारतीय सेना एक बार फिर चीन के कदम रोक देगी.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.