पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पिछले चार सालों से भारत से चल रही तनातनी, ताइवान के खिलाफ आक्रामक व्यवहार और अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के बीच चीन ने अपने डिफेंस बजट को 7.2 प्रतिशत बढ़ा दिया है. 19.61 लाख करोड़ के साथ चीन का रक्षा बजट भारत के डिफेंस बजट से करीब तीन गुना ज्यादा है.
दुनिया में आजकल कुछ अलग ही समीकरण चल रहा है. कोई देश किसी का गहरा दोस्त तो कोई देश किसी का कट्टर दुश्मन. अलग-अलग मोर्चों पर लड़ाई तो मित्र देशों में फूट डालकर राज करने की नीति. ऐसे में दुनियाभर में अपना सैन्य प्रभाव बढ़ाने के इरादे से चीन ने बढ़ा दिया है अपना रक्षा बजट.
साल 2024 का चीन का रक्षा बजट पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा है. भारत का साल 2024 के लिए रक्षा बजट 6.21 लाख करोड़ रुपए है. जबकि चीन का बजट 19.61 लाख करोड़ है. हालांकि चीनी सेना का बजट अब भी अमेरिका के बजट से 54 लाख करोड़ रुपए कम है. अमेरिका का रक्षा बजट लगभग 73 लाख करोड़ रुपए है यानी चीन से चार गुना ज्यादा. चीन के वित्त मंत्रालय ने ये दावा किया है कि अमेरिका के बाद चीन डिफेंस बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला दूसरा देश है.
चीन ने अपना रक्षा बजट ऐसे समय पर बढ़ाया है जब चीनी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. पर चीन का डिफेंस बजट बढ़ाना ये भी बताता है कि बजट बढ़ाना उसकी जरूरत है. एलएसी पर कई बार भारत के साथ चीन का आमना सामना हुआ है. दक्षिण चीन सागर में जापान, फिलीपींस से टकराव हुआ है. ताइवान से टेंशन, जासूसी को लेकर अमेरिका से तल्खी मतलब ये की चीन चौतरफा घिरा हुआ है. ऐसे में चीन अपनी सेना को आधुनिक बनाने में जुट गया है.
चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने पीएलए को वर्ल़्ड क्लास बनाने कि लिए 2027 का लक्ष्य तय किया है. जबकि साल 2035 तक अपनी सेना को पूरी तरह से आधुनिक बनाने का टारगेट तय किया है. चीनी नेवी दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. हिंद महासागर में कई देशों में चीन अपनी पैठ जमा चुका है. इसके अलावा चीन एयरक्राफ्ट कैरियर भी बना रहा है. चीन अपने रक्षा बजट का सबसे अधिक खर्च नए रक्षा उपकरण बनाने में खर्च करेगा.
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