यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि चीन दूसरे देशों को स्विट्जरलैंड में होने जा रही शांति वार्ता में शामिल होने से रोक रहा है. जेलेंस्की ने चीन पर रुस को हथियार देने का भी संगीन आरोप लगाया है. हालांकि, चीन ने एक दिन पहले ही साफ किया था कि रुस को कोई हथियार मुहैया नहीं कराए हैं.
सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में अचानक पहुंचकर जेलेंस्की ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. इस दौरान जेलेंस्की ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित भी किया जिसमें दर्जनों देशों के रक्षा मंत्री और मिलिट्री कमांडर शिरकत कर रहे हैं. इसी दौरान जेलेंस्की ने रुस और चीन, दोनों पर इसी महीने स्विट्जरलैंड में होने जा रही पीस समिट (15-16 जून) को फेल करने का आरोप लगाया. जेलेंस्की ने कहा कि रुस और चीन दोनों ही दूसरे देशों को इस शांति वार्ता में हिस्सा लेने से रोक रहे हैं. हालांकि, सम्मेलन में रुस का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ है लेकिन चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून पहली बार शामिल हुए हैं. साथ ही अमेरिका के रक्षा सचिव (मंत्री) लॉयड ऑस्टिन भी शिरकत कर रहे हैं.
जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि “अगर चीन लगातार रुस की मदद करता रहा तो यूक्रेन युद्ध लंबे समय तक चलता रहेगा.” यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि लंबे समय तक युद्ध चलना “पूरी दुनिया के लिए नुकसानदायक है.”
रुस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के इरादे से स्विट्जरलैंड की पहल पर इसी महीने दो दिवसीय शांति सम्मेलन होने जा रहा है. लेकिन रुस ने सम्मेलन में शामिल होने से साफ मना कर दिया है. चीन ने भी समिट का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है. चीन का कहना है कि वो उसी शांति सम्मेलन में शामिल हो सकता है जिसमें रुस और यूक्रेन दोनों की भागीदारी होगी. माना जा रहा है कि करीब 100 देशों के प्रतिनिधि 15-16 जून को स्विट्जरलैंड पहुंचेंगे. माना जा रहा है कि जेलेंस्की के सिंगापुर पहुंचने का मकसद स्विस समिट के लिए समर्थन जुटाना था. यूक्रेन ने समिट के लिए भारत को भी आमंत्रित किया है. हालांकि, अभी तक भारत के रुख का साफ नहीं है. क्योंकि चुनाव के नतीजे आने (4 जून) और नई सरकार के बनने में थोड़ा वक्त लग सकता है.
शांगरी-ला सम्मेलन के दौरान जेलेंस्की ने रुस द्वारा किए जा रहे हमलों की जानकारी दी तो अमेरिका सहित दूसरे यूरोपीय (नाटो) देशों को हथियार सप्लाई करने को लेकर सराहनी की. जेलेंस्की ने कहा कि पिछले कई दशक से डिप्लोमसी अपना कार्य करने में पूरी तरह असफल रही है. लेकिन कहा कि, हम दिखाएंगे कि कूटनीति कैसे काम करती है. जेलेंस्की ने साथ ही सोवियत संघ के विघटन के बाद रुस को सभी परमाणु हथियार देने पर भी रोष जताया (https://x.com/ZelenskyyUa/status/1797210594082263306).
सिंगापुर में जेलेंस्की ने अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन से भी मुलाकात की. लेकिन चीन के रक्षा मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई है.
फिलहाल, जेलेंस्की के आरोपों पर रुस और चीन की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.