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चांदनी चौक टू चायना, बीजिंग चाहे सीधी फ्लाइट

हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ के अमेरिकी सांसद के दावे के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात की है. जयशंकर और वांग यी की ये मुलाकात एक महीने में दूसरी बार हुई है. एस जयशंकर आसियान देशों की बैठक में भाग लेने के लिए लाओस की राजधानी वियनतियाने पहुंचे हैं.

आसियान बैठक से इतर, जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से “वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पिछले सीमा समझौतों का सम्मान करने को कहा है.”

भारत-चीन के संबंधों को स्थिर करना दोनों के हित में है: एस जयशंकर
लाओस में एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री के बीच एलएसी को लेकर सही दिशा में बातचीत हुई है. आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान वांग से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सीपीसी पोलित ब्यूरो सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से आज वियनतियाने में मुलाकात की. हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा जारी रही. सीमा की स्थिति निश्चित रूप से हमारे संबंधों की स्थिति पर प्रतिबिंबित होगी.’’

एस जयशंकर ने आगे  लिखा, “मुलाकात में एलएसी पर डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मजबूत कदम उठाने जरूरत पर सहमति जताई गई साथ पिछले समझौतों का पूरा सम्मान सुनिश्चित करने को लेकर बातचीत हुई. हमारे संबंधों को स्थिर करना हमारे पारस्परिक हित में है. हमें वर्तमान मुद्दों पर उद्देश्य और तत्परता की भावना का रुख रखना चाहिए.’’

एक महीने में दूसरी बाद भारत-चीन विदेश मंत्रियों की मुलाकात
लाओस से पहले 4 जुलाई को एस जयशंकर और वी यांग के बीच अस्ताना में मुलाकात हुई थी. उस मुलाकात में भी एलएसी को लेकर अहम बातचीत और तनाव कम करने को लेकर सकारात्मक कदम उठाने पर सहमति बनी थी.

दरअसल एलएसी को लेकर मोदी सरकार का हमेशा से कड़ा रुख रहा है. भारत ने चीन से यही कहा है कि “जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ भारत के संबंध सामान्य नहीं हो सकते.” पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच निकटता आ रही है. चीन ने दिल्ली में राजनयिक की नियुक्ति भी की है, जो गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से रिक्त थी. कई मौकों पर चीन ने भारत सरकार की तारीफ की है. वहीं पीएम मोदी के पुतिन से मुलाकात के बाद जब अमेरिका भारत को घेर रहा था. तब भी चीन ने भारत का साथ दिया था.

मई 2020 से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गलवान में हुए गतिरोध के बाद कई बार सैन्य अधिकारियों की वार्ता हुई है पर विवाद नहीं सुलझने पर अब कूटनीतिक तौर पर दोनों देश के विदेश मंत्री खुद सीमा विवाद को सुलझाने में जुट गए हैं. हालांकि सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, पर दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे जरूर हटे हैं.

चीन ने नागरिक की जान बचाने के लिए जताया आभार
दिल्ली में चीन के राजदूत ने भारत का आभार जताया है. चीनी राजदूत ने भारतीय नौसेना द्वारा एक चीन नाविक की जान बचाने के लिए अपने एक्स अकाउंट पर भारत का धन्यवाद दिया है.

24 जुलाई को एक कार्गो जहाज पर तैनात चीनी नागरिक की मुंबई से 200 नॉटिकल मील की दूरी पर चोट लग गई थी. ऐसे में भारतीय नौसेना ने एक हेलीकॉप्टर के जरिए चीनी नाविक को रेस्क्यू कर मुंबई स्थित अस्पताल में भर्ती कराया था. भारतीय नौसेना ने ये मिशन खराब मौसम के बावजूद किया था. ऐसे में चीनी राजदूत ने भारतीय नौसेना के प्रति कृतज्ञता जताई.

भारत से सीधी फ्लाइट चाहता है चीन
जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात के दौरान, चीनी राजदूत ने एक वीडियो जारी किया जिसमें राजधानी दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधी फ्लाइट शुरु करने की मांग की गई थी. दरअसल, 2020 में भारत ने बीजिंग के लिए सीधी फ्लाइट रोक दी थी. ये कदम पहले कोरोना और फिर गलवान घाटी की झड़प के बाद लिया गया था.

वीडियो में कहा गया है कि अभी बीजिंग से दिल्ली पहुंचने के लिए 2000 किलोमीटर का अतिरिक्त मार्ग तय कर सिंगापुर, हांगकांग या फिर मिडिल ईस्ट के जरिए पहुंचा जाता है. ऐसे में बीजिंग से दिल्ली पहुंचने में 11 घंटे लगते हैं जबकि डायरेक्ट फ्लाइट में कम समय लगेगा.

चीनी राजदूत द्वारा जारी वीडियो में भारत द्वारा चीनी नागरिकों को वीजा में कमी की शिकायत भी की गई है. वीडियो के मुताबिक, पिछले साल यानी 2023 में भारत ने चीनी नागरिकों के लिए मात्र 3000 वीजा जारी किए. जबकि 2019 में दो लाख वीजा जारी किए थे. वीडियो में भारत में आने वाले चीनी टूरिस्ट का आंकड़ा भी साझा किया गया है.

वीडियो के मुताबिक, वर्ष 2022 में चीन से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या मात्र 11,762 थी जबकि 2019 में ये आंकड़ा 3.40 लाख था.

हिंद महासागर में घुसपैठ कर रहा है चीन: अमेरिकी सांसद
अमेरिका की एक प्रभावशाली सांसद यंग किम ने दावा किया है कि “चीन, हिंद महासागर के प्रमुख क्षेत्रों में अपनी पैठ बना रहा है और इस जल क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार में बाधा डाल रहा है” जिससे अमेरिका और दक्षिण एशिया में उसके मित्र देशों और सहयोगियों की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों पर खतरा मंडरा रहा है. यंग किम ने कहा है कि “इस क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, जिससे अमेरिका के समक्ष कई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं.”

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