अमेरिका ने ताइवान को एफ-16 फाइटर जेट के उपकरण और दूसरे सैन्य साजो सामान देने की क्या योजना बनाई, चीन बेचैन हो गया है. चीन ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि ताइवान को हथियार न दे.
हाल ही में यूएस के रक्षा विभाग ने 300 मिलियन डॉलर के हथियार देने को मंजूरी दी है. इन हथियारों में गाइडेड बम और एफ-16 फाइटर जेट के अपग्रेड के लिए उपकरण और बैटलफील्ड कम्युनिकेशन सिस्टम शामिल हैं. ऐसे में चीन ने अमेरिका को इस क्षेत्र (ताइवान स्ट्रेट) के सैन्यकरण रोकने का आह्वान किया है.
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगंग के मुताबिक, चीन और अमेरिका के संबंधों में ताइवान ‘पहली रेड-लाइन'” है जिसे पार नहीं करना चाहिए. झांग ने कहा कि ताइवान की आजादी को समर्थन देने से क्षेत्र में तनाव फैलेगा और ताइवान एक खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है.” चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इससे “अमेरिका भी अपना नुकसान कर सकता है.”
स्व-शासित आईलैंड ताइवान को चीन अपना मानता है. लेकिन लोकतांत्रिक आईलैंड होने के चलते ताइवान ने हमेशा से चीन की आक्रामक और साम्राज्यवादी नीतियों का विरोध किया है. पिछले महीने ताइवान में चुनी गई नए सरकार से चीन बौखलाया हुआ है. क्योंकि नव-निर्वाचित राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने अपने उद्घाटन भाषण में ताइवान की आजादी और अमेरिका जैसे देशों के साथ मिलकर स्वदेशी हथियारों के निर्माण का ऐलान किया था.
चिंग-ते के भाषण के विरोध में चीन ने 14-15 मई को ताइवान को घेरकर दबाने की एक बड़ी मिलिट्री एक्सरसाइज ‘ज्वाइंट स्वार्ड’ का आयोजन किया था. ऐसे में इसी महीने के शुरुआत में (1-2 जून) अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने सिंगापुर में चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून से ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर चिंता जताई थी.
चीन ने अमेरिका से ताइवान को इसलिए भी हथियार न देने की गुजारिश की है क्योंकि इनदिनों अमेरिका की टॉप डिफेंस कंपनियां ताइपे (ताइवान की राजधानी) के दौरे पर हैं. अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन और रेयथेयान जैसी कंपनियां एक डिफेंस फोरम में हिस्सा लेने के लिए ताइवान पहुंची हैं. अमेरिकी कंपनियां का नेतृत्व यूएस मरीन फोर्स (पैसिफिक कमांड) के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल स्टीवन रुडर कर रहे हैं.