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जयशंकर की आक्रामकता से खिसियाया चीनी भोंपू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जल्द होने वाली मुलाकात से पहले चीनी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के खिलाफ जहर उगला है. लेकिन विवाद बढ़ता देख ग्लोबल टाइम्स ने लेख को हटा लिया है.

अक्टूबर में रूस के शहर कजान में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुलाकात की संभावना है. पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच सीधे-सीधे द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने की कोशिश हो सकती है. 

अगले महीने होने वाली इस मुलाकात से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर के खिलाफ चीन ने अनाप शनाप लिखा है.

ग्लोबल टाइम्स ने जयशंकर के खिलाफ आर्टिकल छापा, पर जैसे ही विवाद शुरु हुआ तो आर्टिकल को हटा दिया गया है. यानि कहीं ना कहीं चीन भी मानता है कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग के मुलाकात से पहले भारत और चीन के रिश्ते सामान्य रहें. 

पीएम मोदी के सत्ता में तीसरी बार आने के बाद से भारत-चीन के रिश्तों में नरमी देखी गई है. चीन ने 18 महीने के बाद भारत में अपने राजदूत को नियुक्त किया तो एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री में विवाद सुलझाने को लेकर सकारात्मक वार्ता की गई है. यही वजह है कि चीन ने एस जयशंकर के खिलाफ लिखे गए आर्टिकल को हटा दिया है.

चीन को नापसंद है एस जयशंकर की हाजिर जवाबी
दुनियाभर में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने दो टूक बातों और हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं. उन्हें जो भी कहना होता है, वो सार्वजनिक मंच से कहने में पीछे नहीं हटते. कई उदाहरण हैं. जैसे रूस से तेल खरीदने के लिए एस जयशंकर ने सामने-सामने से अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सुना दिया था. 

एससीओ सम्मेलन से पहले एस जयशंकर ने पाकिस्तान को कह डाला कि “बातचीत का युग खत्म हो चुका है.” 

जयशंकर जब बोलते हैं तो वैश्विक मंच पर भारत दमदार दिखता है. चीन को लेकर भी एस जयशंकर कह चुके हैं कि “दोनों देश आपसी मुद्दे सुलझा सकते हैं. किसी तीसरे की जरूरत नहीं है.”
विदेश मंत्री की यही वाकपटुता चीन को हजम नहीं हो रही है.

एस जयशंकर के खिलाफ आर्टिकल में क्या लिखा गया था?
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि “राष्ट्रीय सुरक्षा एस. जयशंकर की प्राथमिकता नहीं है. भारत के विदेश मंत्री होने के नाते जयशंकर की नीतियां राष्ट्रीय हित में नहीं हैं. चीन के साथ भारत के रिश्ते में आए सुधार से एस जयशंकर डरे हुए हैं. भारत के विदेश मंत्री होने के नाते जयशंकर की नीतियां राष्ट्रीय हित में नहीं हैं. एस. जयशंकर में न तो जवाहर लाल नेहरू की कूटनीति की नैतिकता है और न ही इंदिरा गांधी की कूटनीति का सदाचार है. एस जयशंकर चीन के खिलाफ जलन और नफरत से भरे हुए हैं.”

एस जयशंकर के किस बयान से चीन को मिर्ची लगी?
दरअसल एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि “पूरी दुनिया ही चीन के साथ सामान्य परेशानी है. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व, चीन को लेकर अलग-अलग मुद्दों पर बहस कर रहा है. यूरोप में भी बहस का केन्द्र बिंदु चीन ही है. अमेरिका भी चीन को लेकर बेहद गंभीर है और सही भी है.”

बहरहाल कुछ ही देर बाद चीन को एस जयशंकर के खिलाफ लिखा गया आर्टिकल हटाना पड़ा है. माना जा रहा है कि अगले महीने चीनी राष्ट्रपति और पीएम मोदी के बीच होने वाली मुलाकात से पहले चीन कोई विवाद नहीं खड़ा करना चाहता है.

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