पाकिस्तान में लगातार बढ़ रहे आतंकी हमलों के बाद चीन ने अपनी निजी कंपनियों को पाकिस्तान में तैनात करने का फैसला लिया है. यानी अब चीन पाकिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा खुद करेगा. बताया जा रहा है कि चीन ने तीन निजी सुरक्षा कंपनियों से समझौता, जो पाकिस्तान में जाकर सीपीईसी प्रोजेक्ट में लगे नागरिकों की आतंकियों से सुरक्षा करेंगी.
पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर पिछले दिनों कई हमले हुए हैं, पिछले महीने 6 अक्टूबर को बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकवादियों के आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिक मारे गए थे.
तीन निजी कंपनियां करेंगी चीनी नागरिकों की सुरक्षा
पाकिस्तान में रह रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए अब खुद पाकिस्तान में चीन की कंपनियां सुरक्षा देंगी. इसके लिए चीन ने एक निजी सुरक्षा और सैन्य अनुबंध को लेकर समझौता किया है. चीन ने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए संयुक्त सुरक्षा व्यवस्था के लिए अपनी तीन निजी कंपनियों, डेवे सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस को नियुक्त किया है.
दरअसल चीन के नागरिकों के हमलों से परेशान होकर पाकिस्तान में पीएलए (चीनी सेना) के तैनाती की बात कही जा रही थी. पाकिस्तान नहीं चाहता है कि चीनी सेना आकर सुरक्षा करें. क्योंकि इससे पाकिस्तान की किरकिरी होती. लिहाजा चीन और पाकिस्तान में एक बीच का रास्ता निकाला गया है. जिसमें अब चीन की प्राइवेट कंपनी ही चीनी लोगों की सुरक्षा करेगी.
चीनी कंपनियों का है पीएलए से सीधा कनेक्शन
जिन कंपनियों को चीन ने हायर किया है, उनका सीधा कनेक्शन पीएलए से ही है. क्योंकि पीएलए से रिटायर होने वाले अधिकारियों की ही ये कंपनियां हैं. डेवे सिक्योरिटी ग्रुप चीनी पीएलए के रिटायर्ड सैनिकों ने ही साल 2011 में शुरू की थी. ये ग्रुप बीआरआई (बेल्ट रोड इनिशिएटिव)के अलग-अलग प्रोजेक्ट को सुरक्षा देता था. डेवे सिक्योरिटी नैरोबी, सूडान, इथोपिया समेत की देशों में चीन के लोगों को सुरक्षा दे रहा है.
चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप की तैनाती टर्की, थाईलैंड, कंबोडिया. केन्या, साउथ अफ्रीका, अर्जेंटीना जैसे कई देशों में चीन के प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा कर रहा है.
तीसरी कंपनी जो पाकिस्तान में सुरक्षा दे सकती है वो हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस है. ये कंपनी मेरीटाइम सिक्योरिटी के लिए जानी जाती है. कहा जा रहा है कि ग्वादर पोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा यह कंपनी निभा सकती है. इस कंपनी को भी पीएलए के एक रिटायर्ड अधिकारी से शुरू किया था. (पाकिस्तान में शिया समुदाय का नरसंहार, 50 की मौत)
पाकिस्तान का मार्शल आर्ट सीखना काम नहीं आया
पाकिस्तान कभी नहीं चाहता था कि चीन उनके देश में आकर सुरक्षा दे. इसलिए चीन को सुरक्षा भरोसा देने के लिए पाकिस्तान सरकार ने अपने सिक्योरिटी बजट में बढ़ोतरी की थी. अगस्त महीने में पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट बढ़ाया था. चीन की सरकार के कहने पर पाकिस्तान ने सीपीईसी फेज-2 प्रोजेक्ट से जुड़े चीनी नागरिकों और उनकी प्रॉपर्टी की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त 90 बिलियन रुपये मंजूर किए थे.
यहां तक कि खैबर पख्तूनख्वा पुलिस ने सीपीईसी की सुरक्षा के लिए एक नई यूनिट तक बनाकर तैनात की गई थी. इस नई यूनिट में 18-25 साल के युवाओं को स्पेशल ट्रेनिंग देकर भर्ती किया गया था. खुद पाकिस्तानी सेना ने छह महीने की ट्रेनिंग में स्पेशल स्किल, मॉर्डन वेपन, सेल्फ डिफेंस , एडवांस फायरिंग और मार्शल आर्ट सिखाई गई थी. पाकिस्तान की मार्शल आर्ट और वेपन ट्रेनिंग हालांकि, काम नहीं आई, क्योंकि अब चीन ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के साथ एक संयुक्त सुरक्षा कंपनी स्थापित करने पर हस्ताक्षर करवा लिए हैं. (गन में छेद, चीन पाकिस्तान में मतभेद)